राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं में लगी राज्यसभा जाने की होड़, राजस्थान से सामने आ रहा रणदीप सुरजेवाला का नाम

रणदीप सुरजेवाला पूर्व और भविष्य के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी नजदीक हैं और अगर राहुल गांधी कहेंगे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी की बात टालेंगे नहीं, ये भी पक्का है

राज्यसभा, राजस्थान से सूरजेवाला का नाम
राज्यसभा, राजस्थान से सूरजेवाला का नाम

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. बिता साल कांग्रेस के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहा. जहां 2018 में तीन बड़े राज्यों में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी वहीं 2019 में तीन राज्यों में ठीक-ठाक सी टक्कर देकर कांग्रेस 2 राज्यों में सरकार में शामिल होने में कामयाब तो रही लेकिन आम चुनावों में पार्टी की हालत दयनीय हो गई. आम चुनावों में मोदी लहर के सामने कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज और खासकर राहुल गांधी के तमाम करीबी युवा नेता अपने बड़े-बड़े नामों के साथ न्याय न कर पाए और चुनाव हार गए. और तो किसकी कहें, खुद राहुल गांधी अपनी परम्परागत अमेटी सीट से स्मृति ईरानी के सामने चुनाव हार बैठे.

खैर पुरानी बातों को छोड़िए, बात करें इस साल अलग-अलग समय में खाली होने वाली राज्यसभा सीटों की. चूंकि राहुल गांधी की युवा टीम के लगभग सभी खिलाड़ी आम चुनाव और कुछ तो विधानसभा चुनाव तक हार गए हैं, अब इनमें से ज्यादातर राज्यसभा जाने के जुगाड़ में लगे हुए हैं. इस सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंन देवड़ा, राजीव सातव से लेकर रणदीप सिंह सुरजेवाला तक शामिल हैं.

गौरतलब है कि मार्च-अप्रैल में कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की कुल 8 सीटें खाली हो रही हैं. राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में तीन-तीन और छत्तीसगढ़ में दो सीटें हैं. इनमें से 5 सीटें हर हाल में कांग्रेस के खाते में जाएंगी. वहीं महाराष्ट्र में सात और झारखंड में दो सीटें खाली हो रही हैं, यहां कांग्रेस साझा सरकार की भूमिका में हैं. ऐसे में महाराष्ट्र में कांग्रेस एक, बहुत ज्यादा करें तो दो सीटें जबकि झारखंड में अगर हेमंत सोरेन सरकार चाहे तो एक सीट कांग्रेस को मिल सकती है. हरियाणा की दो में एक पर और उत्तर प्रदेश की खाली हो रहीं 10 में से भी एक सीट कांग्रेस के नाम होना पक्का है.

बात करें राजस्थान की तो यहां राज्यसभा के लिए खाली होने वाली तीनों सीटों पर अभी उम्मीदवार तय नहीं है, लेकिन चर्चाओं में यहां से अविनाश पांडे, भंवर जितेंद्र सिंह और मुकुल वासनिक, गुलाम नबी सहित 7-8 का नाम मीडिया में बताए जा रहे है. वहीं मध्य प्रदेश की तीन में से दो सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और वर्तमान सांसद दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना करीब-करीब पक्का माना जा रहा है. ऐसे ही हरियाणा की दो में से एक सीट से कुमारी शैलजा के फिर से उच्च सदन में जाना पूर्ण रूपेण पक्का है.

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जानकारों की मानें तो इन सभी के बीच रणदीप सिंह सुरजेवाला जो कि हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कैथल से अपनी सीट न बचा सके थे, भी राज्यसभा जाने के इच्छुक बताए जा रहे हैं. यही वजह है कि सुरजेवाला अपने लिए भूमि तलाशने में लगे हैं, क्योंकि हरियाणा की कुल 5 राज्यसभा सीटों में से केवल 2 सीटें खाली हो रही हैं. ऐसे में 2 में से बमुश्किल अगर कांग्रेस के खाते में 1 सीट आ भी जाती है तो उस पर कुमारी शैलजा का नाम करीब करीब फाइनल होने के चलते उनका यहां काम नहीं बनेगा. वहीं महाराष्ट्र में भी उनके भूमि तलाशने का कोई ओचित्य नहीं है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पहले ही वर्चस्व की लड़ाई चरम पर है और वहां के कांग्रेस नेताओं का नम्बर लग जाए तो वो ही बड़ी बात होगी.

ऐसे में रणदीप सुरजेवाला की नजर अब राजस्थान पर है. बता दें, सुरजेवाला पूर्व और भविष्य के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी नजदीक हैं और अगर राहुल गांधी कहेंगे तो यहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी की बात टालेंगे नहीं, ये भी पक्का है. बता दें, राजस्थान से राज्यसभा की इस साल खाली होने वाली 3 में से दो सीटों का कांग्रेस के खाते में आना पक्का है. वर्तमान में यहां की 10 में से 9 सीटों पर बीजेपी के सांसद काबिज हैं वहीं बीजेपी के मदन लाल सैनी के निधन के बाद खाली हुई सीट पर हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चयन हुआ है.

राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए कांग्रेस से अविनाश पांडे, मुकुल वासनिक, भंवर जितेन्द्र सिंह, प्रियंका गांधी, गुलाम नबी आजाद, गौरव वल्लभ और रामेश्वर डूडी तक के नाम मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं. लेकिन इस सभी नामों में एक नाम भी ऐसा नहीं है जिसको रणदीप सूरजेवाला के नाम के साथ रिप्लेस नहीं किया जा सकता हो, और वो भी तब जबकि सुरजेवाला के लिए राहुल गांधी निर्देश दें. वहीं जिस प्रकार मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजयसिंह के नाम के साथ छेड़छाड़ एक दम से नहीं कि जा सकती है. दोनों के नामों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ की हामी भी हो चुकी है. ऐसे में यहां किसी और के नाम की गुजाइंश नहीं बचती. ऐसे ही महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा की नाराजगी को दूर करना भी जरूरी है. ऐसे में राजस्थान ही सुरक्षित प्रदेश है जहां किसी का भी नाम कटे, विरोध होने की संभावना ना के बराबर है.

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अब बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां जितिन प्रसाद का नाम कांग्रेस के दावेदारों में सामने आ रहा है. जितिन प्रसाद के बारे में तो ये भी कहा जा रहा है कि अगर उन्हें कांग्रेस की ओर से राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं. यहां से उन्हें आसानी से उच्च सदन में भेजा जा सकेगा. छत्तीसगढ़ से पुराने नेताओं की ही दावेदारी प्रबल है. वहीं महाराष्ट्र से राहुल गांधी के दो करीबी नेता मिलिंद देवड़ा और राजीव सातव कड़े जुगाड़ में लगे हुए हैं ताकि अगले पांच साल आराम से राज्यसभा की कुर्सियों पर बैठकर निकाले जा सकें. बता दें, राजीव सातव गुजरात के प्रभारी भी हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. यहीं से रजनी पाटिल, मुकुल वासनिक और राजीव शुक्ला भी दावेदारी में लगे हुए हैं.

वहीं झारखंड की एक सीट पर अगर कांग्रेस को मौका मिलता है तो यहां से प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह को राज्यसभा भेजा जा सकता है. वे युवा नेता हैं और राहुल गांधी के करीबी भी. ऐसे में उन्हें अन्य नेताओं पर वरियता मिल सकती है. हालांकि यहां झामुमो और कांग्रेस में सीट को लेकर तनातनी होना निश्चित है लेकिन स्थानीय नेताओं ने जिस तरह आरपीएन सिंह को विश्वास दिलाया है, उससे तो यही लग रहा है कि वे झारखंड जीत ही लेंगे.

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अगर उपरोक्त दिए गए नामों को राज्यसभा में भेजा जाता है तो निश्चित तौर पर यहां कांग्रेस की आवाज प्रबल होगी. संख्या बल के मुताबिक नहीं बल्कि युवा चेहरों के अनुसार. देखा जाए तो राजस्थान सीट से वरिष्ठ नेता डॉ.मनमोहन सिंह उच्च सदन में हैं जो दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. लेकिन बढ़ती आयु के चलते उनकी आवाज सदन में उतनी प्रबल नहीं है. ऐसे में राज्यसभा में युवा शक्ति ढलती कांग्रेस की आवाज को न केवल मुखर कर सकती है बल्कि सदन में अपनी बातों को प्रबलता से रख भी सकती है.