Politalks.News/HanumanBeniwal. देश का आम बजट 2022-23 पेश हो चूका है और संसद में आम बजट पर चर्चा जारी है. आम बजट पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए RLP मुखिया एवं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान के कई मुद्दों को उठाया. सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘इस बजट में आमजन ,मध्यम वर्ग तथा निर्धन वर्ग के हाथ सिर्फ निराशा लगी है. क्योंकि जिस तरह देश में महंगाई चरम पर है उसको नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार की और से कोई ठोस उपाय इस बजट में नहीं किए गए.’ सांसद बेनीवाल ने सदन में किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी का रोड में बनाने तथा एमएसपी पर खरीद का कानून बनाने की मांग भी की.
आम बजट पर चर्चा के दौरान सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि, ‘सरकार कह रही है की आम बजट नया विश्वास लेकर आया है तो सवाल यह उठता है कि पुराने विश्वास का अब क्या होगा?’ बेनीवाल ने कहा कि, ‘पिछले सात सालों से विकास और विश्वास को सत्ता का हित साधने के लिए इतनी बार भुनाया जा चुका है कि अब इन शब्दों के अर्थ तक बदल गए हैं. बजट में वित्त मंत्री ने अगले पच्चीस सालों के ढांचागत विकास की रूपरेखा पर तो बात की है, लेकिन आम आदमी अगले पच्चीस दिन या अगले पच्चीस महीने किस उम्मीद पर बिताएगा, इस बारे में बजट किसी तरह की आश्वस्ति नहीं देता है.
यह भी पढ़े: ‘दुश्मनी जमकर करो, लेकिन …. शर्मिंदा न होना पड़े’- CM गहलोत ने विरोधियों के साथ अपनों पर कसे तंज
पेट्रोल डीजल की कीमतें कम करे सरकार
देश में पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों को देखते हुए पेट्रोल तथा डीजल की कीमतें देश में बहुत अधिक है जिसका प्रत्यक्ष असर महंगाई पर पड़ रहा है. ऐसे में मैं सरकार से अपील करता हूं कि बढ़ती कीमतों को कम किया जाए.’ सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘पिछले दो सालों में कोरोना के कारण लगाए गए प्रतिबंधों से उद्योगों और नौकरियों पर बहुत बुरा असर पड़ा, रोजगार खत्म हुए, आधे वेतन पर लोग काम करने को मजबूर हुए, महंगाई बेतहाशा बढ़ गई, स्कूल-कॉलेज बंद रहे, जिस वजह से ऑनलाइन पढ़ाई करना विद्यार्थियों की मजबूरी हो गई व महामारी के कारण स्वास्थ्य खर्चों में भी बढ़ोतरी हुई है.’
हनुमान बेनीवाल ने आगे कहा कि, ‘कृषि कानूनों के विरोध में किसानों को साल भर तक आंदोलनरत रहना पड़ा, जिसका व्यापक असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा मगर बजट में जिक्र हुआ गति और शक्ति का और बजट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 22-23 में 25 हजार किलोमीटर के हाईवे तैयार किए जाएंगे. अगले तीन सालों में 100 नए कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे. पीएम गतिशक्ति योजना के तहत रोड, रेलवे और वॉटरवेज के इंफ्रा और लॉजिस्टिक्स विकास पर फोकस किया जाएगा लेकिन इन सब बड़ी-ब़ड़ी बातों और योजनाओं में गांवों का भारत कहीं गुम न हो जाए, ऐसी सुनिश्चितता सरकार कैसे लाएगी?’
यह भी पढ़े: लव जिहाद पर कठोर कानून और मुफ्त विकास के वादों के साथ उत्तराखंड में BJP ने जारी किया ‘दृष्टि पत्र’
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि, ‘आम बजट में सबसे अधिक निराशा उस मध्यवर्ग को हुई है, जो इस बजट में अपने लिए करों में राहत की उम्मीद कर रहा था. सरकार ने आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन आम बजट 2022-23 में कृषि क्षेत्र के लिए कुल आवंटन में केवल 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि फसल बीमा और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सक्षम करने वाले आवंटन में भारी कमी की गई है. इतना ही नहीं, बजट में किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर भी पूरी तरह चुप्पी साध दी गई है. जबकि इस योजना की समय सीमा इसी वर्ष 2022 है.’ सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘बजट में कृषि क्षेत्र के लिए वित्त वर्ष 2022-23 में चालू वित्त वर्ष 2021-22 से केवल 5,700 करोड़ रुपये की मामूली वृद्धि हुई है.’
सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘फसल बीमा योजना के लिए आवंटन भी 15,989 करोड़ रुपये से घटाकर 15,500 करोड़ रुपये कर दिया गया. वहीं देश में दलहन और तिलहन के लिए एमएसपी आधारित खरीद सुनिश्चित करने वाली पीएम-आशा (प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना) और एमआईएस-पीएसएस (बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना) के आवंटन में भारी कमी की गई है. पीएम-आशा को सिर्फ एक करोड़ रुपये का आवंटन किया गया.
यह भी पढ़े: बेंगलुरू-गुरुग्राम जैसे महानगर बने हिंदुत्वादी राजनीति की प्रयोगशाला, हिजाब से धुव्रीकरण की कोशिश!
सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘खाद्य और पोषण सुरक्षा बजट दस्तावेज में खाद्य और पोषण सुरक्षा को लेकर विरोधाभासी बात दिखती है. यह दस्तावेज कहता है कि मिशन का उद्देश्य पोषण सुरक्षा के साथ इन फसलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए दलहन और पोषक अनाज पर विशेष जोर देना है, जबकि खाद्य और पोषण सुरक्षा के तहत आवंटन में 2021-22 में 1540 करोड़ रुपये (संशोधित) से घटकर 1395 करोड़ रुपये हो गया है. इसके तहत राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को दालों का वितरण करने के लिए खरीदी गई दालों के स्टॉक का निपटान करना है,इसके अलावा मिड डे मील , सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), आईसीडीएस आदि जैसी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए केवल 9 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जबकि 2021-22 में संशोधित अनुमान 50 करोड़ रुपए था. हालांकि 2021-22 के बजट में अनुमानित आवंटन 300 करोड़ रुपये था.
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने ईस्टर्न कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने तथा राजस्थान में रेलवे से जुड़ी नई परियोजनाएं लाने वह राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी उठाई. सांसद ने कहा कि ‘इस बजट में राजस्थान को भी निराशा हाथ लगी.’