आधी रात राज्यपाल ने कमलनाथ को किया तलब तो शिवराज ने देर रात पीसी कर सरकार पर साधा निशाना, फ्लोर टेस्ट पर सस्पेंस

विधानसभा की कार्यसूची में राज्यपाल अभिभाषण के बाद विश्वास मत प्रस्ताव का जिक्र नहीं, राज्यपाल अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं, मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं- कमलनाथ, सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है, यही कारण है कि वे इससे दूर भाग रहे हैं, हम कल अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कहेंगे- शिवराज सिंह

Frame Collage1584306846370
Frame Collage1584306846370

पॉलिटॉक्स न्यूज/मध्यप्रदेश. पिछले एक सप्ताह से प्रदेश की राजनीति में चल रही सियासी उठापटक अब अंतिम पड़ाव पर आ चुकी है. आज से मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र बुलाया गया है. सबसे पहले राज्यपाल लालजी टंडन का अभिभाषण होगा, लेकिन विधानसभा की कार्यसूची में राज्यपाल अभिभाषण के बाद विश्वास मत प्रस्ताव का जिक्र नहीं है. रविवार को दिनभर चला जबरदस्त सियासी घटनाक्रम देर रात तक जारी रहा. आइए आपको मध्यप्रदेश की राजनीति में रविवार को हुई हर एक हलचल से कराते हैं वाकिफ.

बता दें राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को खत लिखकर 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा स्थगित नहीं करने और विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा कराकर मतदान कराने के निर्देश दिए थे, विधानसभा से जारी की गई विधानसभा की कार्यसूची के पत्र में राज्यपाल के अभिभाषण का तो जिक्र है, लेकिन विश्वास मत प्रस्ताव को लेकर इस पत्र में कोई भी सूचना नहीं दी गई है.

वहीं एक ओर जहां विधानसभा की कार्यसूची में बहुमत परीक्षण का जिक्र नहीं है, वहीं राज्यपाल लालजी टण्डन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को दूसरा पत्र लिखते हुए कहा कि, “मुझे जानकारी मिली है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में बटन दबाकर मतदान करने की व्यवस्था नहीं हैं, अतः मैं आदेशित करता हूँ कि मतदान की प्रक्रिया हाथ उठाकर संचालित की जाए अन्य किसी भी प्रकार से नहीं.” ऐसे में राजनीतिक हलकों में इस बात की जिज्ञासा बढ़ गई है कि आज बहुमत परीक्षण होगा भी या नहीं.

इसी बीच, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने रविवार देर रात राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा, जिसमें राज्यपाल से की अपील करते हुए लिखा गया कि, विधानसभा की कार्यसूची में बहुमत परीक्षण की कार्यवाही को नहीं रखना आपके आदेशों का सरासर उल्लंघन है. इसके बारे में आप कोई व्यवस्था दें. इस पर राज्यपाल ने शीघ्र कदम उठाने का आश्वासन उनको दिया. राजभवन से बाहर निकल कर गोपाल भार्गव ने विधानसभा की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट को शामिल नहीं करने पर दुःख जताया और इसे पूरी तरह से असंवैधानिक बताया. कहा- सरकार लगातार फ्लोर टेस्ट से बचने की कोशिश कर रही है.

इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे और मुलाकात के बाद राजभवन से बाहर आकर बताया कि राज्यपाल ने मुझे बुलाया था. राज्यपाल अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं. मैंने राज्यपाल महोदय से कहा है कि मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं और जिन विधायकों को बंदी बना लिया गया है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. मैं कल स्पीकर से इस बारे में बात करूंगा (फ्लोर टेस्ट).

इसके बाद रविवार देर रात शिवराज सिंह चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि, ‘सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है, यही कारण है कि वे इससे दूर भाग रहे हैं, हम कल अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कहेंगे.’ शिवराज सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ कह रहे हैं कि वह फ्लोर टेस्ट चाहते हैं, फिर वह ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं? हमारी एकमात्र मांग है फ्लोर टेस्ट.

इससे पहले रविवार को दिनभर सियासी हलचलों और बैठकों का दौर चलता रहा. सियासी घमासान के बीच कमलनाथ सरकार के विधानसभा में बहुमत साबित करने के चलते रविवार को तमाम कांग्रेसी विधायक सीएम कमलनाथ के आवास पर पहुंचे जहां विधायक दल की बैठक हुई. जानकरों की मानें तो सोमवार को कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री निवास से सीधे विधानसभा पहुंचेंगे. वहीं, गुड़गांव के मानेसर में एक रिजॉर्ट में ठहरे बीजेपी विधायकों को भी रविवार देर रात भोपाल लाया गया. वहीं बैंगलुरु से सिंधिया समर्थक कांग्रेस विधायकों को भी आज विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले भोपाल लाए जाने की संभावना है.

बता दें, मध्‍यप्रदेश के बैंगलुरु में रुके कांग्रेस के 16 और बागी विधायकों ने विधानसभा अध्‍यक्ष को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि जिस तरह से छह कांग्रेस विधायकों के इस्‍तीफे को स्‍वीकार किया गया है उसी तरह उनके भी इस्‍तीफे स्‍वीकार कर लिए जाएं. विधानसभा अध्‍यक्ष से ऐसी गुजारिश करने वाले विधायकों में जजपाल जज्जी, बृजेन्द्र यादव, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, गिरिराज दंडोतिया, मनोज चौधरी, ओपीएस भदौरिया, संतराम सरोनिया, सुरेश धाकड़, राज्यवर्धन सिंह, हरदीप सिंह डंग, आर कंसाना शामिल हैं.

वहीं मध्यप्रदेश विधानसभा स्पीकर ने कहा है कि, मैं उन विधायकों का इंतजार कर रहा हूं जिन्हें किसी न किसी माध्यम से मुझे इस्तीफे भेजे हैं, वे मुझसे सीधे संपर्क क्यों नहीं करते. विधानसभा के सदस्यों के साथ जो हो रहा है उससे मैं चिंतित हूं. यह स्थिति राज्य में लोकतंत्र पर सवाल उठाती है.

भाजपा ने बनाई रणनीति

इससे पहले रविवार को दिल्ली में अमित शाह के साथ उनके आवास पर धर्मेंद्र प्रधान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान ने डेढ़ घंटे तक बैठक की. इसमें सिंधिया ने खुलकर अपनी राय रखी. अमित शाह ने पीएम नरेंद्र मोदी को भी अपडेट किया. शाह ने केंद्रीय गृह सचिव से भी चर्चा की. वहीं बताया जा रहा है कि अमित शाह और तुषार मेहता के बीच भी टेलीफोन पर चर्चा हुई.

यह भी पढ़ें: कांग्रेस में दिग्गजों की राजनीति का शिकार बने ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्या बीजेपी में मिल पाएगी तवज्जो?

जानकारी के मुताबिक, भाजपा विधायक गुरुग्राम के मानेसर से बस द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट लाए गए, फिर एयरपोर्ट से भोपाल के लिए रवाना हुए. रात 11 बजे के आसपास विशेष विमान से भोपाल के लिए रवाना हुए, जोकि लगभग रात 1.30 बजे आसपास भोपाल पहुंचे. इसी के साथ खबर ये भी आ रही है कि आज सुबह सिंधिया समर्थक विधायक बंगलूरू से चार्टर्ड विमान से भोपाल रवाना होंगे.

वहीं, खबर है कि भाजपा ने नरेंद्र तोमर, धर्मेंद्र प्रधान शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, वीडी शर्मा और कैलाश विजयवर्गीय को मोर्चे पर लगाया है. नरेंद्र तोमर, शिवराज चौहान, विजयवर्गीय लगातार केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में रहेंगे. कैलाश विजयवर्गीय पर्दे के पीछे सक्रिय रहेंगे. शिवराज सिंह को प्रदेश के नेताओं को साधने की जिम्मेदारी दी गई है. भाजपा सरकार बनी तो शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री होंगे. वहीं केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर को लग रहा है कि सरकार बनने और चलाने की चुनौती काफी बड़ी है. बता दें, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को गुरुग्राम के होटल आईटीसी ग्रांड भारत पहुंच कर मध्यप्रदेश के भाजपा के विधायकों से मुलाकात की.

बता दें, मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार दिनांक 16 मार्च 2020 से प्रारंभ होकर सोमवार दिनांक 13 अप्रैल 2020 तक चलेगा. उक्त अवधि के दौरान सार्वजनिक शांति व कानून व्यवस्था के मद्देनजर भोपाल के कलेक्टर तरुण कुमार पिथोड़े द्वारा विधानसभा भवन के आसपास धारा 144 लागू कर दिया गया है. उल्लेखित क्षेत्रों में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर 5 या इससे अधिक व्यक्ति एकत्रित नहीं होंगे. इस प्रकार एकत्रित भीड़ को गैरकानूनी समझी जाएगी एवं उक्त आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

वहीं रविवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कमलनाथ सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि भोपाल लौटे सभी विधायकों का कोरोना वायरस का टेस्ट होगा. हमारे विधायक जो जयपुर से आए हैं, उनका चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए. साथ ही हरियाणा और बेंगलुरु में रहने वाले विधायकों का भी चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए.’

मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने रविवार को कहा कि हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं और हम इसे जीतने के लिए आश्वस्त हैं. हम नहीं, बीजेपी नर्वस है. वे (बागी) विधायक हमारे संपर्क में हैं. इसके साथ ही हरीश रावत ने सवाल किया कि अगर बीजेपी फ्लोर टेस्ट जीतने के लिए आश्वस्त है तो वो अपने विधायकों को दूसरे शहरों में क्यों भेज रही है.

वहीं कमलनाथ सरकार के मंत्रियों और विधायकों का कहना है कि राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट करवाने का अधिकार नहीं है. एक कांग्रेस विधायक ने कहा कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से फ्लोर टेस्ट के लिए कहा है और फ्लोर टेस्ट कराने का अधिकार राज्यपाल के पास नहीं बल्कि विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है. फ्लोर टेस्ट तभी होगा जब हमारे बंधक बनाए गए विधायकों को छोड़ा जाएगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी ने हमारे विधायकों को बंधक बनाकर रखा है और जब तक वो हमारे पास नहीं आ जाते, हम फ्लोर टेस्ट नहीं करा सकते.

Leave a Reply