वैलेंटाइन डे पर केजरीवाल लेंगे मुख्यमंत्री की शपथ, 14 फरवरी से रहा है केजरीवाल का अनूठा संबंध

70 में से 62 सीटों पर काबिज हुए आप के उम्मीदवार, आठ पर जीती बीजेपी, दिल्ली में राजनीतिक पतन की ओर कांग्रेस, लगातार चौथे चुनाव में कांग्रेस का नहीं खुला खाता

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश की राजधानी दिल्ली में आज एक ही नारा गूंज रहा है, वो है ‘अगले पांच साल लगे रहो केजरीवाल‘. दिल्ली विधानसभा चुनाव के मंगलवार को आए नतीजों में वन मैन आर्मी यानि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 70 में से 63 सीटों पर अपना कब्जा जमा दिल्ली में लगातार जीत की हैट्रिक लगा दी है. अब केजरीवाल 14 फरवरी यानि वैलेंटाइन डे को लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे. वैसे तो वैलेंटाइन डे मोहब्बत के दिन के लिए जाना जाता, लेकिन अरविंद केजरीवाल के लिए 14 फरवरी के बहुत मायने हैं, नहीं जनाब, ये कोई प्यार-व्यार का चक्कर नहीं बल्कि ये तारीख उनके राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव की बड़ी गवाह है.

दरअसल, 14 फरवरी 2014 को वैलेंटाइन डे के दिन अरविंद केजरीवाल की पहली सरकार गिर गई थी. 4 दिसम्बर, 2013 को आम आदमी पार्टी (28) ने कांग्रेस (8) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन लोकपाल बिल पर कांग्रेस से मनमुटाव के चलते ठीक 49 दिन बाद उन्होंने 14 फरवरी, 2014 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 2015 में फिर से चुनाव हुए और आप ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए ठीक एक साल बाद यानि 14 फरवरी, 2015 को केजरीवाल ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की.

अब 5 साल सफलतापूर्वक सरकार चलाने के बाद फिर से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने जा रही है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर में लगातार दो बार वैलेंटाइंस डे का खासा योगदान होने के चलते इसमें कोई संशय नहीं कि केजरीवाल 3.0 सरकार फिर से 14 फरवरी को ही बनेगी और अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार वैलेंटाइन डे के दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करेंगे.

यह भी पढ़ें: भाजपा के राष्ट्रवाद का बुरा हाल, विकास के रास्ते पर फिर से पांच साल, दिल्ली में सिर्फ केजरीवाल

बता दें, 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव संपन्न हुए थे. 11 फरवरी को चुनावी नतीजे आए जिनके अनुसार, आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला है. आप ने 62 सीटों पर कब्जा जमाया जबकि बीजेपी आठ सीटों पर सिमट गई. वहीं लगातार 15 साल दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी की राजनीति यहां समाप्त होते नजर आ रही है. लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला. इससे पहले दिल्ली में हो चुके दो लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस के हाथ शून्य ही आया. हालत इतने दयनीय रहे कि 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस (4 सीटों पर राजद) के केवल तीन उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचा पाए हैं, शेष 67 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है.

वहीं आप से निष्काषित और बीजेपी के टिकट पर मॉडल टाउन के उम्मीदवार कपिल मिश्रा अपनी पार्टी को जीत की खुशी नहीं दिला सके. वहीं दीपिका पादुकोण पर बयानबाजी कर सुर्खियों में आए सोशल मीडिया के स्टार और हरि नगर से चुनाव लड़ने वाले तेजेंद्र पाल बग्गा भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. सबसे बड़ी बात, पूरे चुनाव में सबसे ज्यादा गर्माने वाला मुद्दा, शाहीन बाग इलाके की ओखला सीट से आप नेता अमानतउल्लाह खान ने सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की. उन्होंने करीब एक लाख के बड़े अंतर से अपने प्रतियोगी ब्रह्म सिंह को हराया. वहीं कांग्रेस के परवेज हाशमी तीसरे नंबर पर रहे.

Leave a Reply