Karnataka
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कर्नाटक में उठे राजनीतिक संकट के बीच मौजूदा सरकार के सभी 15 बागी विधायकों की उम्मीदों को उस समय करारा झटका लगा जब चीफ जस्टिस ने कहा कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना है, ये सुप्रीम कोर्ट तय नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट का यह बयान सीधे-सीधे पासा स्पीकर आर.के.रमेश कुमार के पक्ष में जाता दिख रहा है. हालांकि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. बुधवार सुबह 10:30 बजे इस मामले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

इससे पहले आज सुबह 11 बजे कर्नाटक मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने बागी विधायकों के वक्ता मुकुल रोहतगी से विधायकों के इस्तीफे की तारीख पूछी. इसके अलावा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की तारीख भी पूछी. जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 10 जुलाई को 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया, वहीं सिर्फ दो विधायकों का अयोग्य करार दिया जाना 11 फरवरी से पेंडिंग है. मुकुल रोहतगी ने यह भी कहा कि अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो कोई उन्हें फोर्स नहीं कर सकता है. विधायकों ने इस्तीफा देने का फैसला किया और वापस जनता के बीच जाने की ठानी है. अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा.

वहीं स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को कहा गया है कि स्पीकर को कुछ समय मिलना चाहिए क्योंकि उन्हें सही तर्कों के साथ इस्तीफों और अयोग्यता पर निर्णय करना है.

बता दें, कर्नाटक में पिछले 11 दिनों से राजनीतिक उठा-पटक चल रही है. प्रदेश की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के 16 विधायकों ने सदन से इस्तीफा दे दिया है जिनमें 13 कांग्रेस और तीन जेडीएस के हैं. 18 जुलाई को विधानसभा में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ अविश्वासमत पर बहस होनी है. विधायकों के इस्तीफे के बाद मौजूदा सरकार अल्पमत पर है. हालांकि कुमारस्वामी और कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया को विश्वास है कि वे सरकार बचाने में कामयाब हो जाएंगे.

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