KarnatakaAssbmelyElections2023. कर्नाटक की 224 सीटों पर आज विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। सुबह से ही लंबी लंबी कतारों में मतदाता अपने वोट का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं. आज शाम 5 बजे के बाद 2613 चुनावी उम्मीदवारों का भाग्य वोटिंग मशीन में बंद हो जाएगा. प्रदेश के 5 करोड़ 30 लाख 85 हजार 566 पंजीकृत मतदाता उनके भाग्य का फैसला करेंगे। यहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों की साख दांव पर है जबकि जेडीएस दोनों पार्टियों के बीच अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रही है. इनमें सभी 224 विस सीटों में से कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां हाई प्रोफाइल मुकाबला होने जा रहा है.
यहां से कई दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसी ही सीटों में कनकपुरा, चन्नापटना और वरुणा निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं. आइए इन सभी सीटों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं…
डीके का गढ़ है कनकपुरा, पिछले सात बार के अजेय विधायक
सबसे पहली बात कनकपुरा सीट की बात करेंगे. कनकपुरा विधानसभा सीट को कांग्रेस के कर्नाटक अध्यक्ष डीके शिवकुमार का गढ़ माना जाता है. यहां कांग्रेस पिछले 7 बार से अजेय है. कनकपुरा में कांग्रेस की मजबूत पकड़ है. डीके शिवकुमार जिन्हें कि ‘कनकपुरा रॉक’ के नाम से भी जाना जाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र से वे सात बार के विधायक हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने जद (एस) के उम्मीदवार को 79,909 मतों के अंतर से हराकर इस सीट पर अपनी जीती पक्की की थी. हालांकि, वक्त के साथ भाजपा भी यहां मजबूत हुई है.
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भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर डीके शिवकुमार के विरुद्ध आर. अशोक को मैदान में खड़ा किया है. वहीं, जेडीएस के बीआर रामचंद्र भी यहां से खड़े हैं. ऐसे में इस सीट पर लड़ाई देखना दिलचस्प होगा. लेकिन डीके शिवकुमार कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र में अपराजेय रहे हैं. ऐसे में यह चुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई होने की संभावना है.
यह मुकाबला इसलिए भी देखने लायक होगा क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र में वोक्कालिगा समुदाय का अच्छा प्रतिनिधित्व है और आर. अशोक और शिवकुमार दोनों ही उसी समुदाय के हैं. हालांकि, जेडीएस को भी समुदाय से मजबूत समर्थन प्राप्त है और उनके उम्मीदवार भी चौंका सकते हैं.
चन्नापटना से JDS प्रमुख की साख दाव पर
दूसरी महत्वपूर्ण सीट चन्नापटना है. यह बैंगलोर ग्रामीण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें आठ विधानसभा सीटें हैं. कर्नाटक के कई प्रमुख राजनेता चन्नापटना क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए हैं. मैसूर राज्य के पहले शिक्षा मंत्री एमवी वेंकटप्पा को इसी सीट से चुना गया था.
2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में, JDS ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 21,530 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी. यह सीट वर्तमान में JDS प्रमुख और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पास है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एचएम रेवन्ना 30,208 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
इस बार के चुनाव में चन्नपट्टना सीट से JDS प्रमुख एचडी कुमारस्वामी और पूर्व पर्यटन मंत्री सीपी योगेश्वर के बीच कांटें का मुकाबला है जोकि भाजपा का प्रतिनिधित्व करेंगे. एचडी कुमारस्वामी 2004 से चन्नपट्टना निर्वाचन क्षेत्र में अपराजेय रहे हैं. यह चुनाव उनके लिए एक प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है.
यहां इस बार का चुनावी दंगल इस बार और भी कठिन होने वाला है, क्योंकि योगेश्वर एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में व्यापक लोकप्रियता वाले व्यक्ति हैं जिन्हें ‘उत्तरा ध्रुवदिम दक्षिण द्रुवाकु’, ‘सैनिका’ और ‘बधरी’ जैसी सफलताओं के लिए जाना जाता है. वह एक मजबूत वोक्कालिगा समुदाय के नेता भी हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव इस सीट पर पड़ सकता है.
वरुणा सीट पर कांग्रेस की अग्निपरीक्षा
यहां पर 2008 से कांग्रेस की मजबूत पकड़ है और इस साल के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. इससे पहले 2013 में सिद्धारमैया ने कर्नाटक जनता पक्ष के कापू सिद्धलिंगस्वामी को 29641 मतों के अंतर से हराया था और 2018 में कांग्रेस के यतींद्र एस ने भारतीय जनता पार्टी के टी. बसवाराजू को हराकर यह सीट अपने नाम कर ली थी.
वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वी श्रीनिवास प्रसाद ने चामराजनगर लोकसभा सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार आर. ध्रुवनारायण को 1817 मतों के अंतर से हराया था.
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वरुणा सीट कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है चूंकि इस सीट के चुनावी नतीजे काफी हद तक राज्य में कांग्रेस के भविष्य का निर्धारण करेंगे. इस सीट का परिणाम सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की लोकप्रियता और जन अपील से जुड़ी है. जो इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, आवास मंत्री वी. सोमन्ना BJP उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला होगा.