हिमाचल की मंडी लोकसभा से बीजेपी सांसद कंगना रनौत के विवादित बयान बंद होने का नाम नहीं ले रहे हैं. उनके विषैले डंकों ने तो अब किसानों को छोड़िए, स्वतंत्रता सेनानियों को भी नहीं छोड़ा. अपनी सत्ता के पहले पांच सालों में जिस तरह से बीजेपी ने कड़वे वचन नेहरू एवं गांधी के लिए बोले थे, वही विषैले जुबानी वार अब कंगना के मुख से निकल रहे हैं. कोई भी बीजेपी नेता अब उनकी इन बयानबाजी के दरमियान नहीं आ रहा है. अब तो ऐसा लगने लगा है कि कंगना रनौत बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर की छवि बनती जा रही है.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कट्टर सनातनी धर्म को मानने वाली प्रमुख बीजेपी नेताओं में से एक रही हैं. सांसद बनने से पहले और बाद में भी उनके कई बयान विवादों में रहे हैं. उनके एक बयान पर तो पीएम नरेंद्र मोदी तक को खुद माफी मांगनी पड़ी थी. प्रज्ञा ठाकुर ने 2022 में कर्नाटक में ‘हिंदू जागरण’ कार्यक्रम में ‘सब्ज़ी काटने वाले चाकू तेज़’ करने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया है. यह विवाद लव जिहाद मुद्दे पर था. इससे पहले उन्होंने नाथूराम गोड़से को देशभक्त कहकर देशभर की राजनीति में हंगामा कराया था.
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रह चुकी प्रज्ञा ठाकुर को महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाके मामले में गिरफ्तार भी किया जा चुका है. हालांकि बाद में उन्होंने दोष मुक्त पाया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की ओर से भोपाल सीट से उम्मीदवारी के दौरान उन्होंने चुनाव को धर्म युद्ध और कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को आतंकवादी तक बता दिया था. यही नहीं, इस चुनाव में प्रज्ञा ठाकुर ने नाथूराम गोडसे वाला विवादित बयान भी दिया था. इसके बाद पीएम मोदी को अपनी इकलौती प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद कहना पड़ा था, ‘साध्वी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे को लेकर जो भी बातें कही हैं, वो आलोचना के लायक हैं. उन्होंने माफ़ी मांग ली है, लेकिन मैं अपने मन से उन्हें कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगा.’
अगर कंगना रनौत के पिछले दो तीन साल को देखें तो उनका किरदार भी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से कमतर नहीं आंका जा सकता है. कोविड़ काल के दौरान कंगना ने उद्धव ठाकरे सरकार से सीधी टक्कर ली. चाहें वो महाराष्ट्र में कोविड़ से बिगड़ती हालात को देखते हुए हो या फिर अपने कार्यालय में निगम की कार्रवाई को लेकर. उन्होंने सरकार को लेकर सोशल मीडिया पर खरी खरी सुनाई. बाद में अपनी सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार से भारी भरकम सुरक्षा भी ले ली. बीच बीच में धर्म के नाम पर पर भी उन्होंने कई उजुल फिजुल बयान दिए.
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मंडी से सांसद बनने के बाद कंगना ने सबसे पहले हरियाणा और पंजाब के किसानों को लेकर बयानबाजी की और उन्होंने आतंकी तक कह दिया. इस बार उन्होंने गांधी जयंती पर महात्मा गांधी को लेकर टिप्पणी कर दी. 2 अक्टूबर को कंगना ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर कंगना ने एक ऐसा पोस्ट कर दिया, जिससे सियासी बवाल मच गया. कंगना रनौत ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, देश के पिता नहीं, देश के तो लाल होते हैं. धन्य हैं भारत के ये लाल. दरअसल, कंगना के इस पोस्ट में गांधी जी को कमतर आंका गया है.
कंगना के इस भद्दे पोस्ट की कांग्रेस नेताओं के साथ साथ बीजेपी नेताओं ने भी निंदा की है. पंजाब के वरिष्ठ भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने कंगना की पोस्ट पर कहा कि इस छोटे से राजनीतिक करियर में उन्हें (कंगना) को विवादित बयान देने की आदत पड़ गई है. उन्हें बोलने से पहले सोचना चाहिए. कंगना पर तंज कसते हुए कालिया ने ये तक कह दिया कि राजनीति उनका क्षेत्र नहीं है. उनकी विवादास्पद टिप्पणी पार्टी के लिए परेशानी का कारण बनती है.
पंजाब से बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और वरिष्ठ नेता हरजीत ग्रेवाल ने भी कंगना की टिप्पणी पर कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि मंडी के लोगों ने उन्हें जिताकर गलती की. कंगना गलत बयानबाजी कर पार्टी को नुकसान पहुंचा रही हैं. वहीं, बीजेपी नेता आरपी सिंह ने कहा कि शब्दों के चयन में गड़बड़ी हो सकता है, लेकिन महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा और प्रेम के भावना में कोई कमी नहीं है. महात्मा गांधी इस देश के लाल भी हैं, बापू भी हैं. पूरी पार्टी उनके प्रति श्रद्धा की भावना रखती हैं.
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इधर, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने गांधी जी पर की गई टिप्पणी को लेकर कहा कि बापू और शास्त्री जी के बीच में भेदभाव गोडसे उपासक करते हैं. क्या नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी की नई गोडसे भक्त को दिल से माफ करेंगे? इससे पहले किसानों पर विवादित बयान पर केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा प्रमुख चिराग पासवान भी कंगना को संभलकर बोलने की सलाह दे चुके हैं. वैसे पूरी पूरी उम्मीद है कि इतनी हिदायतों एवं समझाइश के बावजूद कंगना रुकने वाली नहीं हैं. अब देखना होगा कि क्या कंगना भी साध्वी प्रभा ठाकुर की तरह बड़बोल एवं विवादित बयानों के चलते कहीं बीजेपी की कमजोर कड़ी साबित न हो जाए, जिसके चलते एक बार फिर पीएम मोदी को खुद माफी मांगने मीडिया के समक्ष आने पड़े!