कर्नाटक में मंगलवार शाम कुमारस्वामी सरकार के गिरने के कुछ घण्टों बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि अब अगला नम्बर मध्यप्रदेश का है. मंगलवार शाम से शुरु हुए बीजेपी नेताओं के बयान और कांग्रेस नेताओं के पलटवार ने मध्यप्रदेश की राजनीति में माहौल को गरमा दिया है. चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया कि अब बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर है.

कर्नाटक में मंगलवार शाम को एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस सरकार 14 महीने के अल्प कार्यकाल के बाद गिर गई. पिछले कई दिनों से चली आ रही सियासी उठापटक के बाद मंगलवार को हुए बहुमत परीक्षण में कुमारस्वामी सरकार फ्लोर टेस्ट में पास नहीं कर पाई. कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में 99 वोट और बीजेपी के पक्ष में 105 वोट पड़े. इस तरह कुमारस्वामी को सत्ता गवांनी पड़ी.

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14 महीने की कुमारस्वामी सरकार के गिरने के बाद एक बार फिर से बीजेपी के सत्ता में आने का रास्ता साफ हो गया है. कर्नाटक में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद अब नजर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर है. इस बात की चर्चा बडे जोरों पर है कि बीजेपी ने मध्यप्रदेश में ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिए कुछ बड़ा उलटफेर करने की कवायद शुरू कर दी है.

मध्यप्रदेश के बीजेपी नेताओं ने इस बात का पूरा माहौल बना दिया है कि बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी पर है. मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने अपने आज दिए ताजा बयान में कहा है कि “हमारे ऊपर वाले नम्बर-1 या नम्बर-2 का आदेश हुआ तो 24 घण्टे भी कमलनाथ सरकार नहीं चलेगी” गौरतलब है, बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद भी गोपाल भार्गव ने राज्यपाल से विधानसभा का सत्र जल्द से जल्द बुलाने की मांग की थी, ताकि मोदी लहर में फ्लोर टेस्ट करवाया जा सके.

मंगलवार को भी नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्य प्रदेश में जल्द ही कांग्रेस सरकार अपना पिंडदान करवाएगी. कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद गोपाल भार्गव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लंगड़ी सरकारों का यही हाल होता है. साथ ही भार्गव ने कर्नाटक की तुलना मध्य प्रदेश से करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की भी लगभग यही स्थिति है, क्योंकि यहां जो ट्रांसफर उद्योग चल रहा है, किसानों के साथ छल कपट कर उनसे वोट ले लिए गए. मुझे विश्वास है मध्य प्रदेश की सरकार भी अपना पिंडदान करवाएगी.

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कर्नाटक के बाद अब मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता वापसी को लेकर सियासी चर्चाओं के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘हम यहां की सरकार के पतन का कारण नहीं बनेंगे. कांग्रेस के नेता स्वयं अपनी सरकारों के पतन के लिए जिम्मेदार हैं. कांग्रेस में एक आंतरिक संघर्ष है, और बीएसपी-एसपी का समर्थन है, अगर ऐसा कुछ होता है तो हम कुछ नहीं कर सकते.’

बीजेपी नेताओं द्वारा दिये गए बयानों पर कांग्रेसी नेताओं ने पलटवार करते हुए साफ तौर पर कहा कि मध्य प्रदेश में इस सरकार के साथ हॉर्स ट्रेडिंग करने में बीजेपी को सात जन्म लेने पड़ेंगे. मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने पलटवार करते हुए कहा कि ‘कर्नाटक में जो हुआ वैसा मध्य प्रदेश में नहीं होगा. बीजेपी ने हमारे लिए समस्याएं पैदा करने के लिए सब कुछ किया, मगर यह कमलनाथ की सरकार है, कुमारस्वामी की नहीं. उन्हें मध्य प्रदेश सरकार में हॉर्स ट्रेडिंग करने के लिए सात जन्म लेने होंगे.’

बता दें, कि मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. सूबे की 230 सीटों में से कांग्रेस के पास 114 सीटें हैं जबकि बीजेपी की 109 सीटें हैं, इनके अलावा बीएसपी और एसपी के एक-एक जबकि 4 निदर्लीय विधायक हैं. हालांकि 114 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत के लिए 116 विधायकों की अवश्यकता होती है. कमलनाथ ने बसपा, सपा और निर्दलीय से सरकार बनाई हुई है. विधानसभा में 4 निर्दलीय विधायक हैं. 2 विधायक बसपा से हैं और एक विधायक समाजवादी पार्टी से है. जाहिर है कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत से दो सीट कम है और वो निर्दलीय और एसपी-बीएसपी विधायकों के सहारे सत्ता में टिकी हुई है. अगर बीजेपी, कांग्रेस के विधायकों को या फिर निर्दलीय और एसपी-बीएसपी विधायकों को तोड़ने में सफल होती है तो फिर कमलनाथ सरकार संकट में आ सकती है.

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पहले गोवा और उसके बाद कर्नाटक में विधायकों को तोड़कर सरकार गिराने या विपक्ष को अल्पमत में लाकर पंगू बनाने के अनुभव से लबरेज बीजेपी के लिए मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराना मुश्किल भी नहीं है. मध्य प्रदेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी विधायकों की संख्या कांग्रेस से बहुत ज्यादा पीछे नहीं है. विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के पास 109 विधायक थे, लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ सीट से सांसद बनने के बाद स्थानीय बीजेपी विधायक ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद अब बीजेपी के पास 108 विधायक बचे हैं. ऐसे में अगर कर्नाटक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी ऑपरेशन लोटस चलता तो कमलनाथ सरकार का गिरना लगभग तय है.

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