‘जब पोहा से हो पहचान तो NRC-NPR का क्या काम’

आज की सोशल मीडिया की हलचल

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय की पहचान उनकी राजनीति से ज्यादा उनके बयानबाजी को लेकर रही है. लेकिन इस पर उनका एक विशेष ज्ञान इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहा है. वो ज्ञान है किसी के खाना खाने का तरीके से उसकी नागरिकता का पता लगा लेना. दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने उनके घर पर काम कर रहे कुछ मजदूरों के खाना खाने के तरीके से ही पहचान लिया कि वे सभी बांग्लादेशी हैं. देशभर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच उनका ये बयान सियासी गलियारों के साथ सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है. अब डिजिटल प्लेटफार्म पर यूजर्स कह रहे हैं कि जब पोहा (#POHA) से हो रही पहचान तो फिर एनआरसी और एनपीआर का क्या काम.

शुक्रवार को विजयवर्गीय ने इंदौर में एक संगोष्ठी के दौरान कहा, ‘हाल में मेरे घर के एक कमरे में निर्माण कार्य चल रहा था. कुछ मजदूरों के खाना खाने का तरीका मुझे अजीब लगा. वे लोग केवल पोहा (POHA) खा रहे थे. जब मैंने उनके सुपरवाइजर से बात की तो पता चला कि वे केवल पोहा ही खाते हैं. जब मैंने उनके पोहा खाने का तरीका देखा तो मुझे लग गया कि वो बांग्लादेशी हैं. मैंने उनके सुपरवाइजर से उन मजदूरों के बांग्लादेशी होने को लेकर अपना शक जाहिर किया. इसके दो दिन बाद से मजदूर काम पर आए ही नहीं’. हालांकि उन्होंने पुलिस में इस संबंध में शिकायत दर्ज नहीं कराई. विजयवर्गीय ने कहा कि ये सब देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं. मुझे 6 सुरक्षाकर्मियों के साथ बाहर जाना पड़ता है क्योंकि घुसपैठिए देश का माहौल बिगाड़ रहे हैं. यह बात उन्होंने सीएए के समर्थन में कही. उन्होंने कहा कि सीएए देश के हित में है और ये वास्तविक शरणार्थियों को नागरिकता देगा, साथ ही घुसपैठियों की पहचान करेगा.

अब सोशल मीडिया यूजर्स उनके इस बयान को ट्वीटर पर जमकर ट्रोल कर रहे हैं. उनका ये बयान ट्रोल इसलिए भी हो रहा है क्योंकि इंदौर में खासतौर पर पोहा नाश्ते में खासा पसंद किया जाता है. अब उनके बयान के बाद कहा जा रहा है कि विजयवर्गीय का ज्ञान खास है क्योंकि लोगों को पोहा खाते देख वे समझ जाते हैं कि कौन स्थानीय है और कौन घुसपैठी. वहीं कई यूजर्स ने सभी पोहा खाने वालों को बांग्लादेशी होने को लेकर मजाक बनाया है.

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एक यूजर ने कहा कि पहले बीफ खाने वाले देशद्रोही थे लेकिन अब पोहा खाने वाले भी देशद्रोही हैं. अब कैलाश विजयवर्गीय दिहाड़ी मजदूरों की नागरिकता पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि वे खुद खाना खाते हैं’.

एक यूजर ने थ्री इंडियट फिल्म की एक इमेज शेयर करते हुए कहा, पोहा खाने की एक अजीब आदत के लिए बीजेपी नेता कैलाश विजरवर्गीय ने बांग्लादेशियों को बुलाया. इस बीच भक्त जो पोहा खा रहे थे

एक अन्य यूजर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खिचड़ी और पोहा खाने वाली एक खबर को शेयर करते हुए लिखा, ‘धन्यवाद विजयवर्गीय जी, इस पोहा खाने वाले बांग्लादेशी मजदूर का नाम उजागर करने के लिए. नरेंद्र मोदी भी भारतीय नागरिक होने का दिखावा कर रहे थे और भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत थे. मुझे उन पर शर्म आती है’.

एक यूजर ने मजे लेते हुए कहा कि पूरे इंदौर को ‘देशद्रोही’ करार कर दिया जाएगा क्योंकि इंदौरियों और पोहा को अलग नहीं किया जा सकता’.

वहीं एक यूजर ने भगवान कृष्ण और सुदामा का एक किस्सा याद दिलाते हुए कहा कि वे भी पोहा खाते थे. तो क्या वे भी बांग्लादेशी थे.

एक यूजर ने विजयवर्गीय को डाटते हुए कहा कि आप पूर्व प्रधानमंत्री का मजाक कैसे उड़ा सकते हैं क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी को पुणे का पोहा बहुत पसंद था.

वहीं एक यूजर ने अपने पोहा की प्लेट शेयर करते हुए कहा कि मैं पोहा खा रहा हूं, मैं भी बांग्लादेशी हूं.

मुंबई कांग्रेस के आईटी सेल ने कहा कि कांदा ब्याज मुंबईयों का पसंदीदा भोजन हैं और हम कैलाश विजयवर्गीय की मेजबानी करके खुश होंगे.

एक महिला यूजर ने कहा कि मैं बांग्लादेशी नहीं हूं लेकिन मुझे पोहा पसंद है क्योंकि ये सस्ता है और पोष्टिक है.

एक अन्य महिला यूजर ने कहा कि सबसे पहले वे बिरयानी को लेकर बोले, आज उन्होंने पोहा पर अटैक किया. कल वे गुलाब जामुन पर अटैक करेंगे…. देखते जाइए.

वहीं कुछ यूजर्स ने कुछ समय पहले की दिल्ली सांसद गौतम गंभीर की अपने दोस्तों के साथ जलेबी-पोहा खाते हुए तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि विजयवर्गीय के अनुसार अगर मैं पोहा खाता हूं तो मैं बांग्लोदेशी हूं लेकिन आपकी पार्टी के सांसद गौतम गंभीर के बारे में क्या कहेंगे.

वहीं एक यूजर ने कहा कि पहले बीफ फिर प्याज और अब पोहा. अर्थव्यवस्था बढ़े या न बढ़े लेकिन राष्ट्र विरोधी खाद्य पदार्थों की सूची दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

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