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लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजस्थान में कांग्रेस की सियासी साढ़े साती खत्म होने का नाम नहीं ले रही. पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से छनकर निकली खबरों ने पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा की तो अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक इंटरव्यू ने बवाल मचा दिया है. एबीपी न्यूज को दिए इस इंटरव्यू को आधार बनाकर नेशनल मीडिया में यह खबर चल रही है कि अशोक गहलोत ने जोधपुर से बेटे वैभव की हार की जिम्मेदारी सचिन पायलट को लेने की बात कही है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है. गहलोत ने ट्विटर पर कहा है कि ‘इंटरव्यू के दौरान कुछ सवालों के जवाब दिए थे, मीडिया के कुछ वर्ग इसे संदर्भ से हटकर मुद्दा बना रहे हैं’.

जब ‘पॉलिटॉक्स न्यूज’ ने इस इंटरव्यू और इसे आधार बनाकर छपी खबरों की पड़ताल तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. दरअसल, एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने अशोक गहलोत से यह सवाल पूछा था कि ‘मैंने तो यह भी देखा था की गहलोत साहब सचिन पायलट साहब एक पब्लिक मीटिंग में कह रहे थे की जब उनके टिकट की बात हुई तो गहलोत साहब चुप बैठे हुए थे और मैंने कहा की इनकी जमानत मैं लेकर के आया हूं कि कहीं जीत होगी तो सबसे बड़ी जोधपुर से होगी, सच बात है क्या उनके टिकट के लिए सचिन पायलट साहब ने कहा था?’

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इसके जवाब में अशोक गहलोत ने कहा कि ‘उन्होंने कहा था तो अच्छी बात है ना यह जो मीडिया में गलतफहमी पैदा होती है की पीसीसी चीफ की और मुख्यमंत्री की बनती नहीं है जब अगर सचिन पायलट जी ये बात कहते है तो मैंने जमानत दी है वैभव गहलोत की जोधपुर से टिकट देने की फिर कहां हमारे डिफरेंसेस हैं? यह समझ के परे है. पर उसके बाद में अभी पायलट साहब ने कहा कुछ दिन पहले भी की बहुत भारी बहुमत से सीट जीतेगी जोधपुर की हमारे वहां पर छह एमएलए हैं. शानदार केंपेन हमने किया है तो मैं समझता हूं की कम से कम पायलट साहब उस सीट की जिम्मेदारी तो वो लें कि जोधपुर की सीट जो है उसका पूरा पोस्टमार्टम होना चाहिए की क्यों नहीं जीते हम लोग.’

अशोक गहलोत के इस जवाब पर रिपोर्टर ने सवाल किया कि ‘आपको लगता है जोधपुर की सीट की जिम्मेदारी पायलट साहब की बनती है?’ इसके जवाब में गहलोत ने कहा कि ‘नहीं जब उन्होंने कहा की शानदार जीत हो रही है, टिकट मैंने दिलवाया है और जीतेंगे हम लोग और जब हम 25 सीटे हार गए मैं समझता हूं की जिम्मेदारी कोई पीसीसी प्रेजिडेंट ले या मुख्यमंत्री ले ये जिमेदारी का तो सामूहिक जिम्मेदारियां होती है.’ उनके इस जवाब पर रिपोर्टर ने सवाल पूछा कि ‘आपको लगता है सामूहिक जिम्मेदारी है?’ तो गहलोत ने जवाब दिया कि ‘सबकी जिम्मेवारी होती है और जब पूरे मुल्क में सब राज्यों में जिस रूप में डिबेकल हुआ है यह समझ के परे है अपने आप में.’

इस सवाल-जवाब से साफ है कि अशोक गहलोत ने जोधपुर से वैभव गहलोत की हार की जिम्मेदारी सचिन पायलट को लेने की बात नहीं कही, बल्कि उन्होंने पीसीसी चीफ के दो बयानों का संदर्भ देते हुए अपनी बात रखी. आपको बता दें कि सचिन पायलट ने जोधपुर में वैभव गहलोत के नामांकन के बाद आयोजित सभा में यह कहा ​था कि वे दिल्ली में वैभव की जमानत देकर आए हैं. पायलट ने कहा था कि ‘दिल्ली में जब चर्चा हो रही थी कि किसको कहां से टिकट दिया जाए और जोधपुर की बात आई तो गहलोत साहब ने कुछ कहा नहीं. अविनाश पांडे जी गवाह हैं इस बात के कि दिल्ली में वैभव गहलोत की जमानत मैं देकर आया हूं.’

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के जिस दूसरे बयान का जिक्र एबीपी न्यूज के इंटरव्यू में किया वो उन्होंने मतदान होने के बाद पीसीसी में दिया था, जिसमें उन्होंने जोधपुर के साथ-साथ राज्य की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस की जीत का दावा किया था. पायलट ने कहा था कि ‘जोधपुर में हमारी ऐतिहासिक जीत होगी. मुख्यमंत्री का गृह जिला है. वहां पर विधानसभा चुनाव में आठ में से छह सीटों पर कांग्रेस के विधायक जीते थे. हमने वहां पर बहुत मेहनत की है. सबसे बड़ी होगी तो वो जोधपुर से होगी. हम राज्य की सभी सीटों पर जीत रहे हैं.’

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के इन दोनों बयानों का संदर्भ देते हुए एबीपी न्यूज के इंटरव्यू में जवाब दिया. नेशनल मीडिया ने इस जवाब को आधार बनाकर यह खबर चला दी कि गहलोत ने जोधपुर से वैभव की हार का जिम्मेदार सचिन पायलट को बताया है. जबकि गहलोत ने एबीपी न्यूज के इंटरव्यू में दो बार यह कहा कि हार की जिम्मेदारी सबकी है. ‘पॉलिटॉक्स’ के पड़ताल के बाद सच्चाई आपके सामने हैं, लेकिन मीडिया में चल रही खबरों से लोकसभा चुनाव में करारी हार से हलकान कांग्रेस के लिए मुसीबत तो खड़ी कर ही दी है.

एआईसीसी के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया पर अशोक गहलोत के इंटरव्यू को गलत तरह से पेश करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, ‘श्री अशोक गहलोत ने हार की सामूहिक ज़िम्मेवारी की स्पष्ट बात अपने साक्षात्कार में कही, यानी सरकार व संगठन दोनों की. लगता है मीडिया का एक हिस्सा इतना अंधभक्त बन चुका है कि उसे सोते जागते भाजपा के स्तुतिगान व कांग्रेस की आलोचना के सिवाय कुछ नहीं सूझता.’

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