इत्तेफाक या राजनीति- पायलट की हर मुलाकात के बाद गहलोत को याद आया सियासी संकट या रगड़ाई

गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक बार फिर सियासी संकट की याद आ गई, आनी भी थी, क्योंकि उसके कुछ घण्टे पहले ही सचिन पायलट ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात हुई थी, सिविल सर्विस डे 2022 कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सीएम गहलोत ने अफसरों के एक कल्चरल इवेंट के बाद 2020 के सियासी संकट की याद ताजा करते हुए खूब तंज कसे और सभी को खूब गुदगुदाया भी

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Politalks.News/Rajasthan. यह मात्र एक सियासी इत्तेफाक है या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की गूढ़ राजनीति कि जब-जब पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) को लेकर कोई बड़ा अपडेट आता है या पायलट की शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात होती है ठीक उसके कुछ घण्टों बाद जैसे ही सीएम गहलोत को मीडिया या पब्लिक को एड्रेस करने का मौका मिलता है उनको या तो रगड़ाई याद आ जाती है या जून-जुलाई 2020 का सियासी संकट, वैसे रगड़ाई और सियासी संकट दोनों के टारगेट बिंदु पर एक ही शख्श होता है और वो कौन है ये प्रदेश की राजनीति को जानने वाले भलीभांति समझते हैं. खैर, तो इसी कड़ी में बीते रोज गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक बार फिर सियासी संकट की याद आ गई, आनी भी थी, क्योंकि उसके कुछ घण्टे पहले ही सचिन पायलट ने दिल्ली में सोनिया गांधी से एक घण्टे लंबी मुलाकात जो कि थी.

सोनिया से मुलाकात के बाद पॉजिटिव थी पायलट की बॉडी लैंग्वेज
आपको बता दें, दिल्ली में गुरुवार शाम को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से 10 जनपथ पर लगभग एक घण्टे लम्बी मुलाकात हुई. बैठक के बाद बाहर आकर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सचिन पायलट ने पार्टी में रणनीतिक बदलाव और खुद को दी जाने वाली जिम्मेदारी को लेकर बयान दिया कि पार्टी में रणनीतिक बदलाव को लेकर ही चर्चा चल रही है और मुझे आज तक पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी है उसे मैने पूरी ईमानदारी से निभाया है और आगे भी निभाउंगा. इस दौरान सचिन पायलट की बॉडी लैंग्वेज काफी पॉजिटिव नजर आई और चेहरे पर खुशी के भाव थे.

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कल्चर प्रोग्राम में गहलोत को याद आया सियासी संकट
लेकिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाकात के कुछ घण्टे बाद ही सिविल सर्विस डे 2022 कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अफसरों के एक कल्चरल इवेंट के बाद 2020 के सियासी संकट की याद ताजा करते हुए खूब तंज कसे और सभी को खूब गुदगुदाया भी. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘आज जिस तरीके से अधिकारियों ने अपने गानों के जरिए कला दिखाइए, वह उनकी छुपी हुई प्रतिभा थी जो अब तक सामने नहीं थी. लेकिन इस कार्यक्रम के जरिए कुछ पल अधिकारियों ने अपने जीवन के अपने लिए जिए और अपनी कला को सबके सामने रखा. ठीक इसी तरह का माहौल 2 साल पहले भी हुआ था, जब हमारी सरकार सियासी संकट में आ गई थी.’

… चल रही है दुकानदारी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगे कहा, ‘मेरे दिल में में क्या है, वह मैं जुबां पर ला रहा हूं, जो सियासी संकट हुआ था, तब 34 दिन हम होटल में रहे थे, तब मैं सुबह होटल से आता, कुछ ऑफिशियल काम करता, शाम को पॉलिटिकल एक्टिविटी करते, क्राइसिस मैनेजमेंट करते. क्राइसिस बड़ा था वो, आप सबकी दुआओं से बच गए, आज यहां खड़े हैं वरना यहां कोई और खड़ा होता, लेकिन मेरा ही लिखा था, यहां खड़ा होना. मैं लिखाकर लाया हूं, इसीलिए तीसरी बार मुख्यमंत्री बन गया. पूरे देश में नेता कहते रहते हैं कि उनकी जाति के 35 एमएलए हैं, कोई कहता है 45 एमएलए हैं और मैं कहता हूं, मेरी जाति का राजस्थान में एक ही एमएलए है और वो मैं खुद ही हूं, पर चल रही है दुकानदारी.’

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विधायकों को बाहर निकलते ही 10-10 करोड़ के ऑफर थे
सीएम गहलोत ने आगे बताया कि, ‘सियासी संकट के वक्त मैं रात को फिर होटल जाता, तब 11-12 बजे सब विधायक इंतजार कर रहे होते थे. सबको दिन भर यह चिंता लगी रहती थी कि और सब मेरी बॉडी लैंग्वेज से पता करने की कोशिश करते थे कि सरकार रहेगी या नहीं रहेगी. मेरे साथ जो बैठे थे उन्हें कुछ नहीं मिल रहा था और बाहर निकलते ही उन्हें 10-10 करोड़ के ऑफर थे, लेकिन मुझे गर्व है कि 34 दिन तक सारे विधायक लालच की परवाह किए बिना मेरे साथ बैठे रहे. मैं जब होटल जाता था तब विधायक मेरी बॉडी लैंग्वेज से समझ जाते थे कि सरकार आ रही है कि जा रही है, और तो और वहां जाने के बाद हम दो घंटे तक गाने सुनते थे. आप सबकी दुआओं से उस संकट से बच गए, लेकिन वह बड़ा क्राइसिस था. उस दौरान सरकार पर संकट आता तो आज यहां कोई और खड़ा होता.’

यहां आपको बता दें, भले ही यह सब बातें सीएम अशोक गहलोत ने हल्की फुल्की मजाक के लहजे में कहीं हों लेकिन इन सबके सियासी मायने बहुत गहरे हैं. सीएम गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वो इशारों इशारों में मैसेज दे जाते हैं. यह पहला मौका नहीं है जब सीएम गहलोत ने किसी कार्यक्रम में सियासी संकट को याद किया हो, पिछले लगभग दो सालों में जब जब भी सचिन पायलट को लेकर कोई बड़ा अपडेट आया है या पायलट की शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात हुई है, सीएम गहलोत को या तो रगड़ाई या सियासी संकट की याद आ जाती है.

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आपको याद दिला दें, हाल ही में दो दिवसीय प्रदेश दौरे पर बीकानेर पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीकानेर एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में एक बार फिर बिना नाम लिए सचिन पायलट पर निशाना साधा था. अपना पुराना डायलॉग दोहराते हुए सीएम गहलोत ने कहा था कि, ‘राजनीति में रगड़ाई बहुत जरूरी है, जब मैं NSUI में था तब मेरी भी हुई थी खूब रगड़ाई, फिर जब मैं बना जिलाध्यक्ष तो कई आंदोलनों में भाग लिया और करवाई खूब रगड़ाई, इसके बाद मुझे 3 बार पीसीसी चीफ, 3 बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार संगठन महासचिव और 3 बार मुख्यमंत्री बनाया गया, सोनिया-राहुल गांधी ने बनाया मुझे मुख्यमंत्री, देश में होते हैं दो तरह के नेता, एक तो वो जो संगठन में रगड़ाई करवा कर आता है, दूसरा नेता सीधे ही बिना रगड़ाई के महत्वपूर्ण पदों तक पहुंच जाता है,’ यहां आपको बता दें, सीएम गहलोत के इस बयान के ठीक एक दिन पहले शाम को दिल्ली में सचिन पायलट की राहुल और प्रियंका गांधी के साथ हुई लंबी मुलाकात हुई थी, यही नहीं सियासी संकट के समय इस खास ‘रगड़ाई’ शब्द की उत्पत्ति सचिन पायलट के लिए ही हुई थी.

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