उचाना कलां में जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला देंगे चौधरी बीरेंद्र के राजनीतिक रसूख को चुनौती!

हरियाणा के जींद जिले में आने वाली उचाना कलां विधानसभा सीट पर जेजेपी के चौटाला और प्रेमलता आमने-सामने, वर्तमान विधायक चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी के सामने पिछला चुनाव हार चुके हैं दुष्यंत

(Dushyant Chautala) (JJP)
(Dushyant Chautala) (JJP)

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: – जेजेपी (JJP) प्रमुख दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) पूरे जोश खरोश से कह चुके हैं कि इस बार हरियाणा में जेजेपी की सरकार बनेगी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर भी जेजेपी पार्टी के साथ उनकी इस बात का भी समर्थन कर चुके हैं. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए उनका जीतना भी तो जरूरी है और जिस सीट से चौटाला खड़े हैं, वहां प्रेमलता लगातार दूसरी बार अपनी पति चौधरी बीरेंद्र सिंह के राजनीतिक रसूख को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही है. हरियाणा के जींद जिले में आने वाली उचाना कलां विधानसभा सीट पर इन दोनों राजनीतिज्ञ धुरंधरों में लगातार दो चुनाव हार चुके दुष्यंत चौटाला पर अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को बचाने की जिम्मेदारी है.

उचाना कलां विधानसभा सीट हरियाणा की उन चुनिंदा सीटों में से एक है जहां बीजेपी का सीधा मुकाबला जेजेपी (JJP) से रहा है. 2014 में दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) के सांसद बनने में उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा. पिछले लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से उन्हें 50 हजार वोटों की लीड मिली थी. इसी वजह से उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को हराया. उस समय के सबसे युवा सांसद (हिसार लोकसभा) दुष्यंत चौटाला लोकसभा चुनाव के पांच महीने बाद ही उचाना कलां विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में उतरे.

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उचाना कलां सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह का गढ़ रही है. वे यहां से कभी कांग्रेस तो कभी अन्य के टिकट पर पांच बार विधायक चुने गए हैं. माना जाता है कि इस हलके में उनका खुद का बड़ा जनाधार है. यही वजह है कि बीजेपी में शामिल होने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में जब बीरेंद्र सिंह ने इस सीट से अपनी पत्नी प्रेमलता सिंह को चुनाव लड़ाया तो प्रेमलता ने दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) को करीब 7 हजार वोटों से मात देकर विधानसभा पहुंची. इस बार उचाना कलां की जनता ने चौटाला को नकार दिया. वजह रही कि लोकसभा का चुनाव लड़ने के केवल पांच माह बाद विधानसभा चुनाव लड़ना शायद यहां की जनता को रास न आया.

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें लगातार दूसरी चुनावी हार का सामना करना पड़ा. दुष्यंत के लिए चिंता की बात ये है कि दोनों ही मौकों पर उन्हें उचाना कलां से लीड नहीं मिली. बावजूद इसके दुष्यंत के लिए इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना दो धारी तलवार पर नंगे पैर चलने जैसा साबित हो सकता है.

अब गौर करने वाली बात ये है कि आखिरी असुरक्षित सीट से चौटाला क्यों दूसरी बार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. इसके पीछे की वजह भी दिलचस्प है. दरअसल, ओमप्रकाश चौटाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह की चुनावी लड़ाई नई नहीं बल्कि दशकों पुरानी रही है. 1984 में हिसार लोकसभा चुनाव में चौधरी बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और दुष्यंत के दादा ओमप्रकाश चौटाला (इनेलो) को धूल चटाई थी. चौटाला के मन में ये टीस 25 साल तक रही. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला, चौधरी बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना कलां में फिर चुनौती देने उतरे और 621 वोटों के मामूली अंतर से बीरेंद्र सिंह से हिसाब चुकता किया.

अगले विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोते दुष्यंत चौटाला को उचाना भेजा लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई. अब दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग पार्टी जेजेपी (JJP) जरूर बना ली है लेकिन पिछली हार का बदला चुकता करने और परिवार की राजनीतिक विरासत पर अपनी दावेदारी को बचाने के लिए दुष्यंत (Dushyant Chautala) फिर से उचाना कलां आए हैं और आंकड़ों से बेफिक्र चौधरी बीरेंद्र के राजनीतिक रसूख को चुनौती को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

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आज की तारीख में जेजेपी हरियाणा की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी बनकर उभरी है. एक साल पहले बनी इस पार्टी ने इसी साल हुए जींद विधानसभा उपचुनाव में दूसरा स्थान हासिल कर सबको चौंका दिया. उपचुनाव में दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला ने कांग्रेस नेता और कैथल से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला को तीसरे नंबर पर धकेला था. कहना गलत न होगा कि महज कुछ महीनों में ही दुष्यंत चौटाला ने अपनी पार्टी को हरियाणा की राजनीति में स्थापित कर दिया है. लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर जेजेपी हरियाणा में तीसरे नंबर की पार्टी बन बैठी थी.

इस बार हरियाणा विधानसभा की 90 में से 87 सीटों पर जेजेपी (JJP) उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और चुनाव प्रचार का जिम्मा दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) के युवा कंधों पर है. इस विधानसभा चुनाव में जेजेपी कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले में नज़र आ रही है. वहीं कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां जेजेपी का मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी या कांग्रेस से है. अगर मौजूदा विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो जेजेपी (JJP) निश्चित तौर पर गेम चेंजर साबित होगी.

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