Politalks.News/Delhi/Congress. पिछले दो दिनों से कांग्रेस में एक बार फिर उत्साह छाया हुआ है. यही नहीं पार्टी के कार्यकर्ता भी जश्न के मूड में आ गए हैं. क्योंकि उनके स्टार नेता ने एक बार फिर से कमान संभालने के लिए हां कर दी है. हम बात कर रहे हैं राहुल गांधी की. आखिर ‘डेढ़ वर्ष बाद एक बार फिर राहुल गांधी ने कह दिया है कि वह पार्टी के अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हैं.’ बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले आपको बता दें कि पिछले वर्ष मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
इस्तीफा देने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस की बैठक में तेज आवाज में बोलते हुए कहा था कि पार्टी में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी किसी और को मिलनी चाहिए. लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार का ही कब्जा रहा और सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन अब एक बार फिर राहुल गांधी अध्यक्ष पद का ताज पहनने के लिए तैयार हैं. ‘पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस में नए अध्यक्ष पद के लिए सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म था कि इस पार्टी की कमान कौन संभालेगा?’
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कांग्रेस में अध्यक्ष बनने के लिए गांधी परिवार ने एक बार फिर से अपनी दावेदारी ठोक दी है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ‘राहुल गांधी अगर पार्टी के नए मुखिया बन रहे हैं तो इसमें नया क्या है?‘ शनिवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के नए अध्यक्ष पद संभालने को लेकर बैठक बुलाई थी. उसका प्रचार प्रसार भी खूब व्यापक पैमाने पर किया गया था उससे लगा कि कुछ नया निकल कर आएगा, लेकिन पूरी बैठक राहुल गांधी की ताजपोशी पर ही केंद्रित होकर रह गई. दूसरी ओर राहुल के अध्यक्ष पद को लेकर बॉलीवुड के फिल्म निर्देशक अशोक पंडित ने तंज करते हुए ट्वीट किया ‘गई भैंस पानी में‘. इसके साथ ही सोशल मीडिया में राहुल गांधी के दोबारा अध्यक्ष पद की इच्छा जताने पर यूजर अपनी प्रतिक्रियाएं देने में लगे हुए हैं. कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के लिए फायदे का सौदा ही बताया.
कांग्रेस में नेताओं के बीच अभी भी कई मुद्दों पर एक राय बनती नहीं दिख रही-
भले ही राहुल गांधी ने एक बार फिर से अपनी जिम्मेदारी संभालने के लिए सहमति जता दी है लेकिन कांग्रेस के अंदर ही कई असंतुष्ट नेता नहीं चाहते कि पार्टी का अध्यक्ष पद गांधी परिवार से कोई सदस्य संभाले. माना जा रहा है कि असंतुष्ट नेताओं को मनाने में अभी भी सोनिया गांधी सफल नहीं हो सकी हैं. शनिवार को मीटिंग खत्म होने के बाद पार्टी से नाराज चल रहे गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के खास माने जाने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला पर तंज कसते हुए कहा कि जब ‘सब कुछ ठीक ही था’ तो मीटिंग बुलाई ही क्यों गई, और बुलाई भी गई तो ये पांच घंटे तक क्यों चली?
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आपको बता दें कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुरजेवाला ने कहा था कि कांग्रेस में अब सब कुछ ठीक-ठाक है. नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए कांग्रेस आने वाले दिनों में इसी प्रकार की कुछ बैठक और कर सकती है. बता दें कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कुल 20 नेता बैठक में मौजूद रहे. गौरतलब है कि गत अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी का सक्रिय अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी. तब से लेकर गुलाम नबी आजाद समेत कई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी अभी भी खत्म नहीं हुई है.
राहुल गांधी के लिए पहले अपने असंतुष्ट नेताओं को मनाने की होगी बड़ी चुनौती–
भले ही राहुल गांधी ने पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार हैं लेकिन उनके लिए सबसे पहले अपनों को मनाने की एक बड़ी चुनौती सामने होगी. इस बैठक के बाद राहुल ने बहुत ही सकारात्मक बयान देते हुए कहा है कि सबसे पहले वह कांग्रेस के नाराज वरिष्ठ नेताओं को मनाएंगे, क्योंकि यह सभी नेता मेरे पिताजी के साथ काम कर चुके हैं. राहुल गांधी का इशारा उन नेताओं की ओर था जिन्होंने कुछ माह पहले सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई थी. वहीं बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने कहा कि पार्टी का भविष्य तय करने के लिए पहली बैठक हुई, ऐसी और बैठकें होंगी. पवन बंसल ने बताया कि पार्टी को राहुल गांधी के नेतृत्व की जरूरत है.
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लेकिन वहीं दूसरी ओर बैठक में संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राहुल गांधी के खास रणदीप सिंह सुरजेवाला का मौजूद नहीं रहना साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस का विवाद अभी सुलझा नहीं है. दोनों नेताओं की अनुपस्थिति को लेकर कहा गया कि सुरजेवाला की पीठ में बहुत दर्द है और केसी वेणुगोपाल कहीं बाहर गए हुए हैं. लेकिन यह दोनों ही कारण आम आदमी की समझ से बाहर है.
जानकारों की मानें तो इस मीटिंग से केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला, इन दो नेताओं की गैरमौजूदगी इस वजह से सुनिश्चित की गई थी क्योंकि पार्टी हाईकमान चाहता था कि असंतुष्ट नेता अपने मन की बात को बिना झिझक, बगैर लाग लपेटकर खुलकर बोलें. इन दो नेताओं की मौजूदगी और राहुल से उनकी निकटता की वजह से इन्हें अपनी बात खुलकर कहने में झिझक हो सकती थी.
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वहीं यह बात भी सही है कि सोनिया गांधी द्वारा शनिवार को बुलाई गई इस बैठक में राहुल गांधी की वापसी को लेकर सभी नेताओं की राय एक जैसी नहीं थी. आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर वोटर लिस्ट बनाने का काम जारी है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ वर्किंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव भी करवाया जाएगा.