भारत ने अमेरिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया तो फिर सवाल उठता है कि ट्रंप भारत आ ही क्यों रहे हैं?

हमारे देश में 'अतिथि देवो भवः' यानी अतिथि हमारे लिए देवता समान है लेकिन भारत आने के पहले से इतनी समस्याएं हैं और लगातार आप भारत के खिलाफ बयानबाजी करते जा रहे हैं तो

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पाॅलिटाॅक्स न्यूज़. भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को यह बयान दिया कि, ‘भारत ने अमेरिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है, वर्षों से गहरी चोट पहुंचा रहा है भारत.’ वहीं इससे पहले बुधवार को ट्रंप ने बयान देते हुए आरोप लगाया था कि, ‘कारोबार के क्षेत्र में भारत अच्छा व्यवहार नहीं करता.’ अगर ट्रंप यह महसूस करते हैं कि भारत ने अमेरिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया तो फिर आम देशवासी के मन में सवाल उठना बिल्कुल वाजिब है कि, ‘फिर आप भारत आ ही क्यों रहे हैं? कहीं इसकी बडी वजह इस साल के अंत में अमेरिका में होने वाले आम चुनाव तो नहीं? इसी के चलते ट्रंप को भारत की मित्रता की बहुत ज्यादा आवश्यकता बन गई है. बता दें, अमेरिका में करीब 28-30 लाख भारतीय रहते हैं. ट्रंप भारत की यात्रा से प्रवासी वोटरों को संदेश देना चाहेंगे. दरअसल अमेरिका के चुनाव में भारतवंशियों का वोट काफी मायने रखता है. ट्रंप चाहेंगे कि वह भारत की यात्रा करके अमेरिका में रह रहे भारतीयों को प्रभावित कर सकें.

बता दें, अमेरिका में इस साल के अंत नवंबर में आम चुनाव होने वाले हैं और चुनाव से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहली बार भारत की यात्रा पर आ रहे हैं, वो भी अपने पूरे परिवार के साथ. मोदी सरकार राष्ट्रपति ट्रंप के भव्य स्वागत में दिन रात जोर-शोर से जुटी है. यह अलग बात है कि ट्रंप की यह यात्रा अचानक से निजी यात्रा बताई जा रही है. वहीं पूरी यात्रा पर कोई सौ करोड से अधिक का खर्चा होना बताया जा रहा है.

राष्ट्रपति ट्रंप की निजी यात्रा पर होने वाले करीब 100 करोड़ रुपए का खर्चा कौन वहन करेगा? अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन जानकारों की मानें तो ट्रंप के आयोजन में होने वाले 100 करोड़ के खर्चे को सरकारी कागजों में न लाकर निजी बताने के लिए ट्रंप नागरिक अभिनन्दन समिति बना दी गई गई है. वहीं ‘नमस्ते ट्रंप’ के लिए सभी सरकारी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका के एक स्टेडियम में भव्य शो हुआ था, ठीक उसी तरह ट्रंप का भी अहमदाबाद में हाल ही में बनकर तैयार हुए दुनिया के सबसे बडे क्रिकेट स्टेडियम में शो होगा. ये बात और है कि अभी तक इस स्टेडियम का उदघाटन भी नहीं हुआ है. खैर, स्टेडियम की क्षमता करीब सवा लाख दर्शकों की है. इससे पहले ट्रंप के लिए करीब 11 किलोमीटर लंबा रोड शो भी रखा गया है.

गुजरात सरकार दोनों कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए जर्बदस्त तरीके से दिन-रात एक कर जुटी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति को हरियाली दिखाने के लिए सडकों को नया करने से लेकर उनके दौनों और पौधे नहीं बल्कि सीधे बडे-बडे पेड लगाए जा रहे हैं. वहीं गुजरात माॅडल का नासूर बनी गरीब झुग्गी झौंपडियों को भी उनके आगे दीवार बना कर पाटा जा रहा है.

चलिए हम अपनी मूल बात पर आते हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत आने से पहले ही तीन चार ऐसे बयान दिए, जिससे हर भारतीय की भावना को ठेस पहुंची है. ट्रंप ने अपने पहले बयान में कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया है, लेकिन वो मोदी को पसंद करते हैं. दूसरे बयान में कहा कि वो भारत यात्रा को लेकर बहुत उत्साहित हैं, लेकिन कोई भी बडी व्यापारिक डील नहीं करेंगे. फिर कहा डील करना चाहते हैं लेकिन कब करेंगे तय नहीं है.

एक अन्य बयान में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा है कि 40-50 लाख लोग भारत में उनका स्वागत करेंगे. फिर अगले बयान में ट्रंप ने यह संख्या बढाकर 70 लाख कह दी. इसके बाद आए तीसरे बयान में तो ट्रंप ने इस संख्या को बढ़ाकर एक करोड लोग कर दिया है. साथ ही यह भी कह दिया कि 1करोड़ लोग नहीं हुए तो वो संतुष्ट नहीं होंगे. बडी अजीब बात है, दुनिया के नंबर वन व्यक्ति को इस तरह की भाषा का उपयोग करते कभी नहीं देखा गया. वहीं बड़ी बात यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति के इस तरह के बयानों पर मोदी सरकार पूरी तरह खामोश है. लेकिन बात भारत के सम्मान की है, आम आदमी के सम्मान की है, तो भैया एक बात तो तय है भले ही हमारे देश में ‘अतिथि देवो भवः’ यानी अतिथि हमारे लिए देवता समान है लेकिन जिसे भारत से इतनी समस्याएं पहले से हैं और लगातार आप भारत के खिलाफ बयानबाजी करते जा रहे हैं तो यहां इतने भी बैगेरत लोग नहीं कि फिर भी आपके स्वागत के लिए पलक-पावडे बिछाएं, यधपि हमारे देश में बेरोजगारों की कोई कमी नहीं है लेकिन बैगेरत नहीं हैं.

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप की भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य साल के अंत में होने वाले चुनावों के लिए वोट बैंक को साधना है, वहीं एक तथ्य यह भी है कि चीन और अमेरिका के बीच महाशक्ति के रूप में सामरिक और व्यापारिक शीत युद्ध चल रहा है. भारत का एशिया में काफी दबदबा है. एशिया में ट्रंप को अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए भारत जैसे एक मजबूत साथी देश की जरूरत है.

राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे से जुडी तीसरी बड़ी बात अमेरिकी उत्पादों के लिए भारत का एक बडा बाजार होना भी है. यहां कंपनियों को एक बड़ा कंज्यूमर बेस मिलता हैं. ऐसे में ट्रंप भी चाहेंगे कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में व्यापार में कुछ रियायत मिले. फिलहाल भारत की ओर से अमेरिकी प्रॉडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगाया जा रहा है, जिससे अमेरिकी व्यापार को नुकसान हो रहा है. लेकिन लॉन्ग टर्म में उसे फायदे का मौका भी मिल सकता है.

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याद दिला दें, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को 2019 में उस समय बडा झटका दिया जब उसने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार बनने के दूसरे ही दिन अमेरिका ने भारत का सामान्य तरजीही दर्जा या जनरलाइज प्रिफरेंस सिस्टम (जीएसपी) को खत्म कर दिया था. एक अनुमान के मुताबिक इससे भारत के करीब 5.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 40 हजार करोड़ रुपए के कारोबार पर सीधा असर पड़ा.

वहीं भारत को दूसरा बडा झटका अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए प्रतिबंध को मानने के कारण लगा. भारत ने प्रतिबंध के तहत सस्ता तेल लेना बंद किया तो ईरान ने पाकिस्तान से दोस्ती बढा दी. ईरान पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को अपने चाबहार बंदरगाह से जोड़ने को तैयार हो गया. इससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. वहीं चीन को भी इससे फायदा मिलेगा. चीन बेल्ट एंड रोड के तहत ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है. ग्वादर से चाबहार जुड़ने पर चीन की पहुंच तुर्कमेनिस्तान, कजाकस्तान, अजरबेजान, दक्षिणी रूस तथा तुर्की तक हो जाएगी. ऐसे में अमेरिका से दोस्ती के चलते ईरान से तेल नहीं लेने के कारण भारत को अधिक दाम पर तेल खरीदना पड रहा है. वहीं ईरान ने भी भारत से निर्यात होने वाले कई समानों को लेना बंद कर दिया, जिसका भारतीय बाजार पर बडा असर पडा है.

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अब नजर डालते हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फर्स्ट अमेरिका और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फर्स्ट इंडिया के नारे पर. यह दोनों नारे अतिवादी माने जा रहे हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था में दोनों ही नारे कारगार नहीं है. दुनिया के पूरे एक बाजार में तब्दील हो जाने के बाद कोई भी देश फर्स्ट नेशन की नीति पर नहीं चल सकता है. जानकारों के अनुसार ऐसी नीति किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक है. वर्तमान में कोई भी देश खुद को फर्स्ट नहीं बना सकता है. हर देश को दूसरे की आवश्यकता है. इसलिए एक दूसरे का सहयोग लेकर विकसित तो हुआ जा सकता है लेकिन फर्स्ट नहीं हुआ जा सकता.

इन सबके बीच विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के इस ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम से भारत को फिलहाल कोई बडा फायदा न मिले लेकिन लाॅंग टर्म में यह भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.