आईएएस अधिकारियों का डेपुटेशन के प्रति मोह भंग ! घटती जा रही है दिल्ली में डेपुटेशन पर जाने की इच्छा

दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की इच्छा घटती जा रही है, आईएएस अधिकारियों में, 2014- 15 में 340 अफसर केंद्रीय सरकार में डेपुटेशन पर गए थे, अगले साल यह संख्या घटकर 320 हुई और फिर 247 और 2017-18 में से केवल 215 आईएएस अधिकारी ही राज्यों से दिल्ली गए

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. यह केवल एक इत्तेफाक है या केन्द्र की मोदी सरकार का डर, लेकिन आंकड़ों की मानें तो जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से बहुत ही कम आईएएस अधिकारी (IAS Officers) सेंट्रल स्टॉफिंग स्कीम (CSS) के तहत केंद्र में प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुन रहे हैं. 1 जनवरी 2019 के हिसाब से देश में आईएएस अधिकारियों की कुल अधिकृत संख्या 6500 है जिनमें से 1381 अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्त के लिए स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 507 आईएएस अधिकारी ही केंद्र में कार्यरत हैं.

आखिर इसकी वजह क्या है इसका तो कोई खुलासा हुआ नही है लेकिन मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तब से बहुत ही कम आईएएस अधिकारी सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के तहत केंद्र में प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुन रहे हैं. गत वित्तीय वर्ष में ही केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में सबसे कम 153 आईएएस अधिकारियों (IAS Officers) की नियुक्ति हुई. बात करें राजस्थान की तो केंद्रीय सरकार में राजस्थान से डेपुटेशन पर जाने के लिए 64 आईएएस अधिकारियों का कोटा है, लेकिन वर्तमान में राजस्थान कैडर के केवल 18 अफसर दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं.

राजस्थान ही क्या, मोदी के गृहक्षेत्र गुजरात की अगर बात करें तो एक अवधारणा बनी हुई थी कि जब से मोदी सत्ता में आए हैं गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी बड़ी संख्या में केंद्रीय सेवा के पदों पर नियुक्त हो रहे होंगे, लेकिन मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों ने इस भ्रम को मिटा दिया है. गुजरात से डेपुटेशन पर जाने के लिए आईएएस के 64 पदों के आरक्षित होने के बावजूद गुजरात कैडर के मात्र 17 आईएएस अधिकारी (IAS Officers) दिल्ली में केन्द्र की प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं.

केन्द्र में प्रतिनियुक्ति के तहत बात करें उत्तर प्रदेश राज्य की तो यूपी कैडर के लिए केंद्र सरकार ने सीडीआर के 134 पद आरक्षित किये हुए हैं लेकिन 134 की तुलना में केवल 44 आईएएस अधिकारी ही केन्द्र में कार्यरत हैं. ऐसे ही बिहार कैडर के 74 आईएएस अधिकारियों (IAS Officers) को केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति के लिए आरक्षित किया गया हुआ है लेकिन 74 में से केवल 38 अधिकारी ही केंद्र में कार्य कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें:- दिल्ली में फिर सड़कों पर उतरा ‘ऑड-ईवन का भूत’, गर्म हुई सियासत

इसी प्रकार महाराष्ट्र के 78 पदों के कोटे की एवज में केवल 24 अधिकारी नियुक्त हैं, तमिलनाडु के सीडीआर के 81 पदों की अपेक्षा 22, पंजाब कैडर के 48 के मुकाबले 15 अधिकारी, उड़ीसा के 51 के कोटे के विरुद्ध 20, और मध्य प्रदेश के 90 आरक्षित पदों की एवज में मात्र 28 आईएएस अधिकारी ही केन्द्र में कार्यरत हैं.

वहीं केरल के 50 आरक्षित अधिकारियों की तुलना में वहां से केंद्र में 31 आईएएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर हैं, कर्नाटक से 45 की एवज में केवल 20 अधिकारी, आंध्र प्रदेश से 46 के स्थान पर 18, जम्मू कश्मीर से 30 के कोटे के बजाय 13 अधिकारी, झारखंड से 68 के बजाय 10, हिमाचल प्रदेश से 32 के बजाय 26, हरियाणा से 44 के स्थान पर 12, और छत्तीसगढ़ से 38 अधिकारी आरक्षित होने के स्थान पर मात्र 7 आईएएस अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं.

आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) और आईएफएस (IFS) वर्ग के अधिकारियों की सूची की रख-रखाव करने वाला केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय बताता है कि वर्ष 2014 में CSS के तहत जहां 340 अधिकारी नियुक्त किए गए थे, वहीं वर्ष 2015- 16 के दौरान 320 अधिकारी, वर्ष 2016 -17 के दौरान 247 और वर्ष 2017-18 के दौरान 211 अधिकारियों को ही केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर लगाया गया है.

क्या है सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम (CSS)

सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम (CSS) कई दशकों से प्रतिभागी सेवाओं के योग्य अधिकारियों की केंद्र सरकार में उपसचिव, निर्देशक, संयुक्त सचिव और सचिव पदों पर नियुक्ति के चयन के लिए एक व्यवस्थित प्रबंधन उपलब्ध कराती है. सीएसएस में आने के लिए आईएएस (IAS Officers) सहित प्रतिभागी सेवाओं के अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष में दो बार आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की जाती है जिससे संवर्ग प्राधिकरणों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति में नामित करने के लिए योग्य अधिकारियों के मनोनयन का अनुरोध किया जाता है.

Leave a Reply