दिल्ली भाजपा (Delhi BJP) में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है. अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उससे पहले यह स्थिति भाजपा के लिए असुविधाजनक है. समस्या मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) और गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) के बीच पिछले कुछ दिनों से पैदा हुई खटास के कारण है. दोनों ही भाजपा नेता होने के साथ ही अपने-अपने क्षेत्र के स्टार का दर्जा रखते हैं. मनोज तिवारी मशहूर गायक और अभिनेता हैं, दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष (Delhi BJP President) हैं, जबकि गौतम गंभीर दिग्गज क्रिकेटर रह चुके हैं और दिल्ली से सांसद चुने गए हैं. इस तरह दिल्ली भाजपा में दोनों का अच्छा खासा दखल बन गया है.

पिछले कुछ दिनों से मनोज तिवारी और गौतम गंभीर एक-दूसरे के सामने आने से बच रहे हैं. दोनों ने एक मंच पर उपस्थित होना बंद कर दिया है. मनोज तिवारी लंबे समय से भाजपा में हैं और राजनीति में जम गए हैं, जबकि गंभीर राजनीति में नए-नए आए हैं. जैसे ही भाजपा में शामिल हुए, वैसे ही टिकट मिल गया और लोकसभा चुनाव जीत गए. दिल्ली की राजनीति में गंभीर की पकड़ बनना अभी-अभी शुरू हुआ है. इस प्रक्रिया में उन्होंने सबसे पहले मनोज तिवारी से वैर भाव बनाया है.

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इन दोनों दिग्गजों की राजनीति कुछ दिन चलेगी, जब तक भाजपा हाईकमान कोई फैसला नहीं करता. गंभीर समर्थकों की मांग है कि दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदलना चाहिए. हाल ही दिल्ली में एक कार्यक्रम में तिवारी और गंभीर, दोनों आमंत्रित थे. दोनों का कार्यक्रम में उपस्थित होना तय था, लेकिन मनोज तिवारी पहुंच गए, गौतम गंभीर ने अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम में नहीं जाने का फैसला कर लिया. वह इस कार्यक्रम से गैरहाजिर रहे. जिसको लेकर बड़ी चर्चाएं चल रही हैं.

इस समय सबकी निगाहें भाजपा हाईकमान की तरफ है. तिवारी को दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से हटाया जाता है तो इसे गौतम गंभीर की सफलता मानी जाएगी और अगर तिवारी अध्यक्ष बने रहते हैं तो यह गंभीर के लिए संकेत होगा कि वह अपने दायरे में रहें और दिल्ली का पार्टी प्रभार तिवारी को संभालने दें. मनोज तिवारी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बनकर उभर रहे हैं. दिल्ली में भाजपा उनके नाम पर ही चुनाव लड़ेगी. अगर तिवारी प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाते हैं तो उनका मुख्यमंत्री पद पर दावा समाप्त हो जाएगा.

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