Politalks.news/Karnataka. कर्नाटक में बसवराज बोम्मई नए CM बन गए हैं. राजभवन में राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने बसवराज को पद की शपथ दिलवाई. इससे पहले सोमवार को विधायक दल की बैठक में इस्तीफा देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ही मंगलवार को बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा था. इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. उत्तराखंड के बाद कर्नाटक में सीएम बदलना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी नई लीडरशिप तैयार करने में जुटी है. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी तो कर्नाटक में बोम्मई को कमान सौंपी गई है. आपको बता दें कि बसवराज बोम्मई कर्नाटक का सीएम बनाए जा रहे हैं ये बात पॉलिटॉक्स ने दो दिन पहले ही बता दी थी.
शपथग्रहण के दौरान लगते रहे ‘भारत माता की जय के नारे’
बोम्मई की शपथ ग्रहण के दौरान भारत माता की जय के नारे लगते रहे.बैंगलुरू में हुए शपथ ग्रहण समारोह से पहले बोम्मई ने येदियुरप्पा, प्रधान, रेड्डी और सिंह से मुलाकात की. बता दें कि येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर महीनों से लगायी जा रही अटकलों को विराम देते हुए सोमवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इस्तीफा ऐसे दिन दिया जब उनकी सरकार को दो साल पूरे हुए थे.
बुजुर्ग बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद से लगातार ये सवाल उठ रहा था कि कर्नाटक का अगला सीएम कौन बनेगा. अंतत: अब इस सस्पेंस से पर्दा गिर गया है.बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने यहां राज भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. कर्नाटक में भाजपा के विधायक दल ने मुख्यमंत्री पद पर असमंजस को खत्म करते हुए मंगलवार शाम को 61 वर्षीय बोम्मई को अपना नया नेता चुना है. उत्तर कर्नाटक से लिंगायत समुदाय के नेता बोम्मई को येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाने में वरिष्ठ भाजपा नेता की पूरी सहमति है.
यह भी पढ़े: यूपी में कांग्रेस के लिए दोहरी मुश्किल, होता दिख रहा सूपड़ा साफ, अस्तित्व बचाएं या प्रियंका की साख!
‘पिता-पुत्र की जोड़ी मुख्यमंत्री’, बोम्मई के पिता थी थे सीएम
दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एस आर बोम्मई के बेटे बोम्मई सोमवार को भंग हुई येदियुरप्पा की मंत्रिपरिषद में गृह मामलों, कानून, संसदीय मामलों और विधायी मामलों के मंत्री थे. कर्नाटक में एच डी देवगौड़ा और एच डी कुमारस्वामी के बाद यह पिता-पुत्र की दूसरी जोड़ी है जो मुख्यमंत्री बने हैं. बोम्मई हावेरी जिले में शिगगांव से तीन बार के विधायक हैं तथा दो बार वह पार्षद रहे हैं. उनके शपथ ग्रहण समारोह में येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री प्रधान और जी किशन रेड्डी, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एवं कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील और राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि मौजूद रहे. प्रधान और रेड्डी को विधायक दल की बैठक के लिए भाजपा के संसदीय बोर्ड ने केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था.
बसवराज सिंचाई के मामलों के एक्सपर्ट
इंजीनियर और खेती से जुड़े होने के नाते बसवराज को कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है. राज्य में कई सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू करने की वजह से उनकी तारीफ होती रही है. उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली 100% पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है.
यह भी पढ़े: सिंधिया ने बघेल पर निकाली पुरानी भड़ास, ‘टिकाऊ’ और ‘बिकाऊ’ पर छिड़ा ‘संग्राम’
‘गुरु’ येदियुरप्पा की सीट पर बैठा ‘चेला’ बोम्मई
कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के चहेते और उनके शिष्य हैं. सूत्रों की मानें, तो येदियुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले ही बोम्मई का नाम भाजपा आलाकमान को सुझा दिया था. दरअसल, लिंगायत समुदाय के मठाधीशों के साथ हुई बैठक में येदियुरप्पा ने अपनी तरफ से इस नाम को उन सबके बीच रखा था.
कर्नाटक के मशहूर लिंगेश्वर मंदिर के मठाधीश शरन बसवलिंग ने बताया अगर येदियुरप्पा एक इशारा करते, तो पूरा समुदाय उनके लिए भाजपा के विरोध में उतर आता. चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ती, लेकिन खुद येदियुरप्पा ने बसवराज बोम्मई की हिमायत की. लिंगायत समुदाय के होने की वजह से उनके नाम पर सभी मठाधीश जल्दी राजी हो गए.
बोम्मई के नाम पर लिंगायत समुदाय राजी
येदियुरप्पा को CM पद से इस्तीफा न देने के लिए अड़े लिंगायत समुदाय के सामने येदियुरप्पा ने जब बोम्मई के नाम का सुझाव रखा, तब जाकर भाजपा का विरोध रुका. दसअसल, लिंगायत समुदाय नहीं चाहता था कि येदियुरप्पा इस्तीफा दें, लेकिन येदियुरप्पा ने इस समुदाय की बैठक में कहा था, ‘CM पद की शपथ लेने से पहले ही यह तय हो चुका था कि मुझे 2 साल बाद आलाकमान के निर्देश के हिसाब से काम करना होगा. शीर्ष नेतृत्व का पैगाम आ गया है. मुझे पद छोड़ना होगा’. बता दें कि कर्नाटक की आबादी में लिंगायत समुदाय की हिस्सेदारी 17% के आसपास है. कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से तकरीबन 90-100 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है. ऐसे में भाजपा के लिए येदि को हटाना आसान नहीं था. उनको हटाने का मतलब था, इस समुदाय के वोट खोने का खतरा मोल लेना.
लिंगायत समुदाय की नाराजगी नहीं चाहती थी बीजेपी
सोमवार को येदियुरप्पा के इस्तीफे के साथ ही राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश की सियासत में हलचल थी कि आखिर बीएस येदियुरप्पा के बाद कर्नाटक का CM कौन होगा? येदि को हटाकर भाजपा ने जानबूझकर आखिर राज्य के सबसे प्रभावी समुदाय लिंगायत से विरोध मोल क्यों लिया? अगर ये मठ रूठ गए तो भाजपा का कर्नाटक में क्या होगा? लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लिंगायत समुदाय और येदियुरप्पा दोनों को साधने के लिए बसवराज बोम्मई का नाम तय किया.
यह भी पढ़ें- जैसे यहां थे वैसे ही वहां हैं, मुख्यमंत्री तो वहां भी नहीं बन पाए, फर्क क्या रहा- लक्ष्मण सिंह का सिंधिया पर तंज
बीजेपी ने साधे-‘एक तीर से तीन निशाने’
दरअसल, भाजपा को कर्नाटक में तीन कोण साधने थे. पहला पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, दूसरा लिंगायत समुदाय और तीसरा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं. संघ की पृष्ठभूमि के भी हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते भाजपा से निष्कासित होने के बाद उनके और संघ के शीर्ष नेतृत्व के संबंधों के बीच दरार आ गई थी. संघ कभी नहीं चाहता था कि येदियुरप्पा भाजपा में वापस आएं, लेकिन 2013 के चुनाव में बिना येदियुरप्पा के भाजपा को मुंह की खानी पड़ी. लिहाजा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने येदियुरप्पा को वापस बुला लिया.
पहले भी बीजेपी को ताकत दिखा चुके हैं अकेले ‘येदियुरप्पा’
आपको बता दें कि भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते बीएस येदियुरप्पा को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था. अलग होने के बाद येदियुरप्पा ने कर्नाटक जनता पार्टी (केजपा) बनाई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि लिंगायत वोट कई विधानसभा सीटों में येदियुरप्पा और भाजपा के बीच बंट गए थे. विधानसभा चुनाव में भाजपा 110 सीटों से घटकर 40 सीटों पर सिमट गई थी. उसका वोट प्रतिशत भी 33.86 से घटकर 19.95% रह गया था. येदियुरप्पा की पार्टी को करीब 10% वोट मिले थे. 2014 में येदियुरप्पा की वापसी फिर भाजपा में हुई. यह येदियुरप्पा का ही कमाल था कि कर्नाटक में भाजपा ने 28 में से 17 लोकसभा सीटें जीतीं.
फिलहाल डिप्टी CM पर फैसला नहीं
इधर, डिप्टी CM को लेकर मीडिया में अपने नाम की चर्चा को लेकर BJP नेता आर अशोक का कहना है कि पार्टी इस बारे में तय करेगी. वहीं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने भी कहा है कि कर्नाटक में उप मुख्यमंत्री को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बारे में तय करेगा.