गांधी परिवार की SPG सुरक्षा हटाने को गहलोत और पायलट ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण तो बेनीवाल ने सराहनीय कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इकलौते शख्स होंगे जिन्हें एसपीजी सुरक्षा मिलती रहेगी, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बना था SPG सुरक्षा बल, राजीव गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्रियों के करीबी परिजनों को किया गया सुरक्षा घेरे में शामिल

SPG Security of Gandhi family
SPG Security of Gandhi family

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. केन्द्र की मोदी सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल और बेटी प्रियंका से SPG सुरक्षा वापस ले ली है और अब उन्हें सिर्फ सीआरपीएफ की ‘जेड प्लस’ वाली सुरक्षा दी जाएगी. यह महत्वपूर्ण फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इकलौते शख्स होंगे जिन्हें एसपीजी सुरक्षा मिलती रहेगी. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार के इस फैसले (SPG Security of Gandhi family) को दुर्भाग्यपूर्ण बताया तो उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इसे राजनीति से प्रेरित कृत्य बताया.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की (SPG Security of Gandhi family) एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के केन्द्र सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. सीएम गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार के लोग बहुत ओछी राजनीति पर उतर आए हैं. गांधी परिवार के दो लोग आतंकवाद के शिकार हो गए, पूर्व पीएम स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपनी जान दे दी, लेकिन खालिस्तान नहीं बनने दिया, आतंकवाद का मुकाबला किया. वहीं पूर्व पीएम स्वर्गीय राजीव गांधी की आतंकवाद के कारण जान चली गई. ऐसे में केन्द्र सरकार गांधी परिवार सुरक्षा देने में जो राजनीति कर रही है, वह इनकी मानसिकता का दिवालियापन है. गहलोत ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. अगर गृहमंत्री अपने स्तर पर कोई फैसला कर रहे हैं तो प्रधानमंत्री को इंटरफेयर करना चाहिए और अगर यह सब प्रधानमंत्री मोदी की खुद की नॉलेज में है तो यह देश का दुर्भाग्य है.

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केन्द्र सरकार द्वारा गांधी परिवार की SPG सुरक्षा हटाने पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि, “गांधी परिवार की SPG सुरक्षा (SPG Security of Gandhi family) हटाना राजनीति से प्रेरित कृत्य है, मैं केंद्र सरकार के इस कदम की घोर निन्दा करता हूँ और मैं डिमांड करता हूँ कि गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा वापस दी जाए”.

वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से नागौर सांसद हनुमान बेनिवाल ने एक प्रेसनोट जारी कर कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गांधी परिवार की एसपीजी की सुरक्षा हटाना एक सराहनीय कदम है. बेनीवाल ने अपने बयान में कहा कि केन्द्र को कई लोगों को दी गई एसपीजी या विशिष्ट श्रेणी की सुरक्षा की समीक्षा करनी चाहिए ताकि अनावश्यक राजकीय व्यय बच सके. बेनिवाल ने कहा कि गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा जमीन घोटालों सहित कई मामलों में संदिग्ध भी है, ऐसे में एसपीजी श्रेणी की सुरक्षा ऐसे लोगों से हटाना अच्छा संदेश है. साथ ही बेनिवाल ने यह भी कहा कि रॉबर्ट वाड्रा जैसे आपराधिक श्रेणी के लोगों से तो पूर्ण सुरक्षा हटा लेनी चाहिए.

शुक्रवार केंद्रीय गृह मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिवार को दी गयी एसपीजी सुरक्षा (SPG Security of Gandhi family) वापस लेने का फैसला एक विस्तृत सुरक्षा आकलन के बाद लिया गया है. अधिकारी ने बताया कि गांधी परिवार की सुरक्षा सीआरपीएफ जवान करेंगे. जेड प्लस सुरक्षा में उन्हें अपने घर और देशभर में जहां भी वे यात्रा करेंगे, वहां के अलावा उनके नजदीक अर्द्धसैन्य बल के कमांडो की सुरक्षा मिलेगी. नियमों के तहत एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को सुरक्षाकर्मी, उच्च तकनीक से लैस वाहन, जैमर और उनके कारों के काफिले में एक एम्बुलेंस मिलती है. बता दें, सरकार ने इस साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटायी थी.

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अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इकलौते शख्स होंगे जिन्हें एसपीजी सुरक्षा मिलती रहेगी. इससे पहले एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ चार लोगों के पास थी जिसमें पीएम मोदी के साथ-साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का नाम भी शामिल था. संसद द्वारा 1988 में लागू एसपीजी कानून को शुरुआत में केवल देश के प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए बनाया गया था. लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्रियों के करीबी परिजनों को इस सुरक्षा घेरे में शामिल करने के लिए कानून में संशोधन किया गया जिससे सोनिया गांधी के साथ-साथ उनके बच्चों को एसपीजी सुरक्षा (SPG Security of Gandhi family) मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ. देश में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए अलग बल बनाने की जरूरत तब महसूस की गई जब 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गाधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी गई थी.

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