पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को निधन हो गया. वे 67 साल के थे. जेटली लंबे समय से बीमार थे और 9 अगस्त से दिल्ली के एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल में भर्ती थे. दोपहर 12.07 मिनिट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद राजनीतिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गयी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित तमाम राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्ति करते हुए राजनीति के लिए इसे अपूर्ण क्षति बताया. रविवार सुबह 10 बजे उनका पार्थिव शरीर बीजेपी दफ्तर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. दोपहर 2:30 बजे दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा. इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. वहीं झारखंड के सीएम रघुबर दास ने अपने शनिवार और रविवार के सभी कार्यक्रम रद्द दिए.

अरुण जेटली भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख दिग्गज नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे. वे राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के शासन में केन्द्रीय न्याय मंत्री के साथ-साथ कई बड़े पदों पर आसीन रहे. भारत के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल के दौरान मोदी की पिछले सरकार में 9 नवंबर, 2016 को भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद पर अंकुश लगाने के इरादे से 500 रुपये और एक हजार रुपये नोटों का विमुद्रीकरण किया. जेटली को आंकड़ों और उनकी गहराई में जाने वालों के तौर पर विशेष रूप से जाना जाता रहा है. अरुण जेटली को देश में सभी टैक्स से निजात दिलाकर एक टैक्स जीएसटी लागू करने और 500 रुपये व 1000 रुपये बैन करने के क्रांतिकारी फैसलों के लिए हमेशा याद किया जाएगा

चाहे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या नरेंद्र मोदी की वे हमेशा प्रधानमंत्री के भरोसेमंद मंत्रियों में रहे. वास्तव में चुनावी राजनीति से उनका स्वभाव मेल नहीं खाता था. वे अध्ययनशील थे और देश, समाज के उत्थान के चिंता करने वाले थे.

अरुण जेटली का जन्म दिल्ली में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ. उनके पिता एक वकील रहे. जेटली ने अपनी विद्यालयी शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली और स्नातक श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में की। उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्‍वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री प्राप्त की. छात्र के रूप में अपने कैरियर के दौरान, उन्होंने अकादमिक और पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियों दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया. जेटली 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे. अरुण जेटली ने 24 मई, 1982 को संगीता जेटली से विवाह किया. उनके एक पुत्र रोहन और एक पुत्री सोनाली हैं और उनके दोनों बच्चे भी पिता की तरह वकील ही हैं. अरुण जेटली शाकाहारी थे और पंजाबी ब्राह्मण थे. उन्हें अध्ययन करने और लिखने का शौक था. अरुण जेटली कानून की कई पुस्तकों के लेखक भी रहे.

अरुण जेटली सीए बनना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपने पिता के पेशे वकालत को ही अपनाया. राजनीति में आने से पहले अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे थे. सन 1977 में एलएलबी करने के बाद अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट और देश के कई उच्च न्यायालयों में वकालत करने लगे थे. जनवरी 1990 में अरुण जेटली को दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ वकील नामित किया.

1989 में वीपी सिंह सरकार के दौर में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होंने बोफोर्स घोटाले की जांच की तफसील तैयार की थी. जेटली ने भारतीय ब्रिटिश विधिक न्यायालय के समक्ष ‘भारत में भ्रष्टाचार और अपराध’ विषय पर दस्तावेज प्रस्तुत किए. लालकृष्ण आडवाणी, माधवराव सिंधिया समेत कई वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के क्लाइंट रहे.

1999 में, भाजपा की वाजपेयी सरकार के नेतृत्व में उन्हें 13 अक्टूबर, 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया. उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया. जेटली ने 23 जुलाई, 2000 को राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला.

26 मई, 2014 को मोदी सरकार में अरुण जेटली को पहली बार वित्त मंत्री चुना गया. भारत के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल के दौरान ही मोदी सरकार ने 9 नवंबर, 2016 को भ्रष्टाचार, काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद पर अंकुश लगाने के इरादे से 500 रुपये और एक हजार रुपये नोटों का विमुद्रीकरण किया.

अरुण जेटली ने 1980 से बीजेपी में सक्रिय होने के बावजूद सन 2014 तक कभी कोई सीधा चुनाव नहीं लड़ा. सन 2014 के आम चुनाव में वे अमृतसर लोकसभा सीट पर लड़े लेकिन कांग्रेस के अमरिंदर सिंह से पराजित हो गए. वे पहले गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे. उन्हें मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया. वे चौथी बार राज्यसभा सांसद बने.

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