Politalks.News/Congress. जब से सोनिया गांधी अपने इलाज के लिए अमेरिका के लिए रवाना हुई है तभी से पार्टी के दिन मान कुछ ठीक नहीं चल रहे. पहले पार्टी के युवा नेता ने इस्तीफा दिया तो वहीं शुक्रवार को पार्टी के सबसे वरिष्ठ एवं सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे गुलाम नबी आज़ाद ने पार्टी को अलविदा कह दिया. देश के कई राज्यों में अगले 6 महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में नेताओं का पार्टी से मोहभंग होना कांग्रेस के लिए काफी चिंताजनक है. सूत्रों का कहना है कि, गुलाम नबी आज़ाद पहले काफी समय से कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे थे लेकिन उनकी नाराजगी अब इतनी बढ़ गई कि उन्होंने सोनिया की अनुपस्तिथि में पार्टी का साथ छोड़ दिया. यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को 5 पन्नों का पत्र लिख अपनी नाराजगी की वजह भी बताई और साथ ही पार्टी के गर्त में जाने का कारण भी बताया. इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी जमकर अपनी भड़ास निकाली. आजाद ने कहा कि, ‘जब से राहुल गांधी को आपने पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया तब से राहुल ने पार्टी में चली आ रही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया. दुर्भाग्य से पिछले 08 वर्षों में नेतृत्व ने एक गैर-गंभीर व्यक्ति को पार्टी के शीर्ष पर थोपने की कोशिश की है कि कांग्रेस ने भारत के सही के लिए लड़ने के लिए एआईसीसी चलाने वाली मंडली के संरक्षण में इच्छाशक्ति और क्षमता दोनों खो दी है.
आजाद ने सोनिया की तारीफ में पड़े कसीदे
भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं में शुमार जिनकी पक्ष और विपक्ष तारीफे करते नहीं थकता आज वो गुलाम नबी कांग्रेस पार्टी से आजाद हो गए हैं. गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. आजाद की ओर से पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने 5 पन्ने के इस्तीफे में 7 किरदार और 4 हालात हैं. अपने इस पत्र में गुलाम नबी आजाद ने जिस पर सबसे ज्यादा निशाना साधा है वह हैं राहुल गांधी. यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के पक्ष में कसीदे भी पड़े. गुलाम नबी आजाद ने अपने पत्र में लिखा कि, ‘मैंने अपने वयस्क जीवन का हर कामकाजी क्षण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सेवा में खर्च किया है. निस्संदेह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में आपने यूपीए -1 और यूपीए -2 दोनों सरकारों के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालाँकि, इस सफलता का एक प्रमुख कारण यह था कि अध्यक्ष के रूप में आपने वरिष्ठ नेताओं के बुद्धिमान परामर्श पर ध्यान देने के अलावा, उनके निर्णय पर भरोसा करने और उन्हें शक्तियाँ सौंपने का काम किया.’
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राहुल गांधी के बचकाना व्यवहार से 2014 में हुई कांग्रेस की हार- आजाद
वहीं राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि, ‘हालाँकि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद और विशेष रूप से जनवरी, 2013 के बाद जब उन्हें आपके द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, तो उनके द्वारा पहले मौजूद संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया गया था. सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी. इस अपरिपक्वता का सबसे ज्वलंत उदाहरण राहुल गांधी द्वारा मीडिया की चकाचौंध में एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ देना था. इस ‘बचकाना’ व्यवहार ने प्रधान मंत्री और भारत सरकार के अधिकार को पूरी तरह से उलट दिया. 2014 में यूपीए सरकार की हार के लिए इस एक ही कार्रवाई ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो दक्षिणपंथी ताकतों और कुछ बेईमान कॉर्पोरेट हितों के संयोजन से बदनामी और आक्षेप के अभियान के अंत में थी.’
पार्टी में बदलाव की शिफारिशें पिछले 9 साल से पड़ी है भंडार कक्ष में- आजाद
गुलाम नबी आजाद यही नहीं रुके उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा कि, ‘जनवरी 2013 में जयपुर में, मैंने इसके साथ प्रस्ताव रखा था. समिति के अन्य सदस्यों की सहायता से 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करनी थी. इन सिफारिशों को 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले समयबद्ध तरीके से लागू किया जाना था. दुर्भाग्य से, ये सिफारिशें पिछले 9 वर्षों से एआईसीसी के भंडार कक्ष में पड़ी हैं.’ लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में मिली हार का जिक्र करते हुए गुलाम नबी आजाद ने लिखा कि, ‘2014 से आपके नेतृत्व में और बाद में राहुल गांधी के नेतृत्व में, कांग्रेस दो लोकसभा चुनावों में अपमानजनक तरीके से हार गई है. 2014-2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से उसे 39 में हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी ने केवल चार राज्यों के चुनाव जीते और छह मामलों में गठबंधन की स्थिति में आने में सफल रही.’
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राहुल गांधी के फैसले उनके सुरक्षा गार्ड एवं PA ले रहे हैं- आजाद
गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि, ‘दुर्भाग्य से, आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में शासन कर रही है और दो अन्य राज्यों में बहुत मामूली गठबंधन सहयोगी है. 2019 के चुनाव के बाद से पार्टी की स्थिति और खराब हुई है. इसके बाद राहुल गांधी ने पद छोड़ दिया और आपने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया और आज भी पिछले तीन साल से हम वहीं हैं. इससे भी बुरी बात यह है कि यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त करने वाला ‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लागू हो गया है. आप केवल एक नाममात्र की अध्यक्ष हैं क्योंकि सभी महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी द्वारा लिए जा रहे हैं या फिर उनके सुरक्षा गार्ड और पीए द्वारा लिए जा रहे हैं.’ वहीं G 23 गुट के नेताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र का भी गुलाम नबी आजाद ने जिक्र किया.
कांग्रेस पार्टी को संभालने के लिए अब लिया जा रहा है प्रॉक्सी का सहारा- आजाद
गुलाम नबी आजाद ने आगे लिखा कि, ‘2020 के अगस्त में जब मैंने और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों सहित 22 अन्य वरिष्ठ सहयोगियों ने आपको पार्टी में घटिया बहाव को चिह्नित करने के लिए पत्र लिखा था, तो कुछ लोगों ने कोटरी में मौजूद अपने चापलूसों को हम पर उतारने के लिए चुना और हम पर हमला किया, बदनाम किया और अपमानित किया. पार्टी के लिए चिंता के कारण उस पत्र को लिखने वाले 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया गया एकमात्र अपराध यह है कि उन्होंने पार्टी की कमजोरियों के कारणों और उसके उपचार दोनों को इंगित किया. दुर्भाग्य से, उन विचारों को रचनात्मक और सहयोगात्मक तरीके से बोर्ड पर लेने के बजाय हमें गाली दी गई, अपमानित किया गया.’ गुलाम नबी आज़ाद ने आगे कहा कि, ‘दुर्भाग्य से, कांग्रेस पार्टी की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए प्रॉक्सी का सहारा लिया जा रहा है. यह प्रयोग विफल होने के लिए अभिशप्त है क्योंकि पार्टी इतनी व्यापक रूप से नष्ट हो गई है कि स्थिति अपूरणीय हो गई है.’
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एक गैर-गंभीर व्यक्ति को पार्टी के शीर्ष पर बैठाने का है ये नतीजा- आजाद
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि, ‘दुर्भाग्य से, राष्ट्रीय स्तर पर हमने भाजपा के लिए उपलब्ध राजनीतिक स्थान और क्षेत्रीय दलों के लिए राज्य स्तर के स्थान को स्वीकार कर लिया है. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि पिछले 08 वर्षों में नेतृत्व ने एक गैर-गंभीर व्यक्ति को पार्टी के शीर्ष पर थोपने की कोशिश की है. ऊपर वर्णित सभी कारणों से विशेष रूप से कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत के लिए सही के लिए लड़ने के लिए एआईसीसी चलाने वाली मंडली के संरक्षण में इच्छाशक्ति और क्षमता दोनों खो दी है. वास्तव में, भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले नेतृत्व को पूरे देश में कांग्रेस जोड़ो एक्सर्साइज़ करना चाहिए था. इसलिए बड़े खेद और अत्यंत भावुक हृदय के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा शताब्दी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है और इसके द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सहित अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.’