एग्जिट पोल्स के नतीजों ने बढ़ाई सियासी दलों की धड़कन, सरकार बनाने के लिए शुरू हुई ‘आखिरी जंग’

निपट गए बंगाल में दंगल के आठों चरण, एग्जिट पोल के नतीजों के बाद बंद कमरों में शुरू हुई राजनीतिक दलों की सियासत, कुल 9 चुनावी सर्वे में से 5 में बंगाल में टीएमसी लगातार तीसरी बार सरकार बनाती आ रही है नजर, जबकि 2 सर्वे में बीजेपी पहली बार पूरे बहुमत से बना रही है सरकार, जबकि 2 सर्वे के मुताबिक बंगाल में हैं काटें की टक्कर, वहीं एग्जिट पोल्स के नतीजों के बाद अब बंद कमरों में शुरू हुई सियासत

एग्जिट पोल्स के नतीजों ने बढ़ाई सियासी दलों की धड़कन
एग्जिट पोल्स के नतीजों ने बढ़ाई सियासी दलों की धड़कन

Politalks.News/WestBengalPolitics. साल 2021 की शुरुआत से अभी तक सबसे बड़ी मीडिया कवरेज अगर किसी खबर को मिली तो वह है पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव. हालांकि पिछले लगभग एक महीने से देशभर में अगर कोई चर्चा है तो वह है कोरोना का कहर. खैर, कोरोना के इस महाकहर के बीच बंगाल में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो गए हैं. इस बार का बंगाल विधानसभा चुनाव बिलकुल भी साधारण नहीं था. लगा कि जैसे भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच जैसे सियासी युद्ध लड़ा गया हो, जिसमें सब कुछ ‘जायज‘ था. आखिरकार बीते दिन गुरुवार को बंगाल में आठवें और अंतिम चरण का मतदान भी सम्पन्न हो गया. इसी के साथ पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का भी समापन हो गया, यानी जनता ने अपना काम कर दिया है. अब बारी है इन राज्यों में सरकार बनाने के लिए सियासत की ‘आखिरी जंग‘ की, जो अब शुरू हो गई है.

देश में हुए ये विधानसभा चुनाव बहुत लंबे समय तक याद रखे जाएंगे. लेकिन, आज हम मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की बात करेंगे जो देश की सियासत में सबसे अधिक ‘सुर्खियों‘ में रहे. बंगाल में सत्ता की ‘हैट्रिक‘ लगाने के लिए ममता बनर्जी ने अपना पूरा जोर लगाया तो वहीं, बंगाल की भूमि में कमल खिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से लेकर बीजेपी के तमाम नेता मशक्कत करते नजर आए. जबकि कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन राज्य में अपने सियासी वजूद बनाए रखने के लिए संघर्ष करता दिखा. बंगाल में इस बार चुनाव प्रचार में टीएमसी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक महीने से अधिक ‘व्हीलचेयर‘ पर रैली करती नजर आ रही थीं. वहीं बीजेपी के पहली पंक्ति के नेता बंगाल में डेरा जमाए हुए थे.

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आपको बता दें, पीएम मोदी ने बंगाल में करीब 20 जनसभाएं तो अमित शाह ने तकरीबन 70 रैलियां कीं. ममता बनर्जी ने टीएमसी प्रत्याशी के समर्थन में करीब 150 जनसभाओं को संबोधित किया. पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा और ममता बनर्जी ने वह सभी मुद्दे उठाए जिससे जनता पर प्रभाव डाला जा सके. ‘भाजपा और टीएमसी पार्टी के नेताओं ने एक दूसरे पर जुबानी जंग करते-करते सभी मर्यादाओं को पार कर गए‘. राज्य में चुनाव की तारीखों के एलान के दौरान भाजपा ने टीएमसी के नेताओं को अपने पाले में मिलाया. ‘भाजपा को एक बंगाल की माटी के स्टार प्रचारक की जरूरत थी, ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों ने बॉलीवुड फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को प्रचार करने के लिए लगाया’.

वहीं टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी भाजपा के सभी सियासी दांवपेंच का दमदारी के साथ जवाब देती रहीं. कई बार बीजेपी और टीएमसी की लड़ाई निर्वाचन आयोग के दफ्तर भी पहुंची. बंगाल चुनाव के आखिरी दौर में कोरोना संक्रमण का असर और उससे जुड़े हुए वादे हावी रहे. एक ओर जहां ममता केंद्र को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराती नजर आईं. दीदी ने ये वादा भी किया कि अगर टीएमसी की सरकार आएगी तो बंगाल के लोगों का मुफ्त में टीकाकरण किया जाएगा. वैक्सीन को लेकर ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दो बार पत्र भी लिखा. वहीं बीजेपी ने भी मुफ्त वैक्सीनेशन का वादा किया है. इस तरह से कोरोना के मुद्दे पर ममता ने केंद्र पर जमकर हमले किए तो बीजेपी ने भी उन्हें निशाने पर लिया.

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भाजपा और टीएमसी के नेता धुआंधार प्रचार किए जा रहे थे लेकिन चुनाव के आखिरी तीन चरण जब बचे थे तब राज्य में कोरोना महामारी ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए. उस पर भी सुप्रीम कोर्ट को बंगाल में नेताओं की रैली करने के लिए सवाल उठाने पड़े साथ ही सोशल मीडिया पर देशभर के लोगों ने बंगाल में महामारी के बीच प्रचार करने पर नेताओं पर गुस्सा उतारा. तब जाकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को अपनी चुनावी जनसभाएं रद करनी पड़ी.

एग्जिट पोल के नतीजों के बाद बंद कमरों में शुरू हुई राजनीतिक दलों की सियासत
पश्चिम बंगाल में आठवें चरण के चुनाव के लिए हुए मतदान के समाप्त होते ही तमाम चैनल्स ने एग्जिट पोल्स के नतीजे दिखाए, जिसके बाद पांचों राज्यों के लिए राजनीतिक दलों में बंद कमरों में चुनावी ‘गणित‘ शुरू हो गई है. बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में भाजपा, कांग्रेस, एआईडीएमके, डीएमके, टीएमसी और वाम दलों के नेताओं के बीच बैठकों का दौर शुरू हो गया है. लेकिन सबसे अधिक जोर भाजपा और टीएमसी के बीच बंगाल में सरकार बनाने को लेकर है. अब आपको बताते हैं कि विभिन्न एग्जिट पोल्स ने पश्चिम बंगाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव का भविष्य क्या निर्धारित किया है.

बंगाल में आठवें चरण का मतदान समाप्त होने के साथ ही सामने आए तमाम एग्जिट पोल्स के नतीजों में से 3 एग्जिट पोल के नतीजे तो ‘2 मई, दीदी गई‘ का संकेत दे रहे हैं. इंडिया टीवी-पीपल्स पल्स के एग्जिट पोल में तो बंगाल में बीजेपी की प्रचंड जीत की भविष्यवाणी की गई है. हालांकि, कई दूसरे एग्जिट पोल्स में ममता बनर्जी की हैटट्रिक की भविष्यवाणी की गई है, मसलन-

  • इंडिया टीवी-पीपल्स पल्स के एग्जिट पोल को माने तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रचंड जीत के साथ सत्ता में आती दिख रही है. उसके मुताबिक बंगाल में बीजेपी को 173 से 192 सीटें मिल मिल सकती हैं. जबकि टीएमसी के खाते में 64 से 88 सीटें आ सकती हैं.
  • टाइम्स नाउ-सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, यहां बीजेपी ने टीएमसी को बहुत ही कड़ी टक्कर दी है लेकिन सूबे में पहली बार सरकार बनाने के लिए अभी उसे इंतजार करना पड़ेगा. सी-वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में टीएमसी को 152 से 164 सीटें मिल सकती हैं. जबकि बीजेपी के खाते में 109 से 121 सीटें जा सकती हैं. कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन को 14 से 25 सीटें मिलने का अनुमान है. सभी 5 राज्यों को मिलाकर कुल 822 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई है. बंगाल की 2 सीटों पर एक-एक उम्मीदवार की मौत की वजह से वोटिंग बाद में होगी.
  • हालांकि, रिपब्लिक-सीएनएक्स के एग्जिट पोल के मुताबिक बंगाल में पहली बार बीजेपी सत्ता में आ सकती है. एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को 138 से 148 सीटें मिल सकती हैं. टीएमसी को 126 से 136 सीटें मिल सकती हैं. कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन को 6 से 9 सीटें और अन्य को 1 से 3 सीटें मिल सकती हैं.
  • ‘जन की बात’ के एग्जिट पोल के मुताबिक भी बंगाल में बीजेपी पहली बार सरकार बना सकती है. उसके मुताबिक, बीजेपी को 173, टीएमसी को 113 और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को महज 6 सीटें मिलने का अनुमान है.

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आपको बता दें कि शनिवार को यानी रविवार को आने वाले चुनावी नतीजों से ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने सभी विधायकों के साथ मीटिंग करेंगी. ममता बनर्जी काउंटिंग के दिन की अपने नेताओं को रणनीति बताएंगी. गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई 2021 को पूरा हो रहा है. ऐसे में 30 मई से पहले हर हाल में विधानसभा और नई सरकार के गठन की प्रकिया पूरी होनी है.

पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन 2 प्रत्याशियों का निधन हो जाने की वजह से वहां 292 सीटों पर चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हुई है. बता दें, पिछले 10 साल से ममता बनर्जी यहां मुख्यमंत्री हैं. अब देखना है कि ममता अपना किला बचा पाती है या नहीं? दूसरी ओर बीजेपी ने यहां बहुत जोर लगाया है. पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल से ममता बनर्जी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सियासत के सभी शस्त्र आजमाए हैं, जिसके बाद अब भाजपा भी बंगाल में सरकार बनाने के लिए बेकरार है.

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एग्जिट पोल्स के नतीजों के बाद भाजपा हाईकमान ने दिल्ली में पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाने के लिए गुप्त बैठकें शुरू कर दी हैं. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने असम में वापसी और बंगाल में पहली बार ‘भगवा‘ लहराने के लिए सब कुछ दांव पर लगा रखा है. ऐसे ही कांग्रेस पार्टी के लिए असम और केरल के साथ पुडुचेरी की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. कई महीनों से पार्टी में मची उथल-पुथल के बीच राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की इन दोनों राज्यों में कुशल नेतृत्व की परीक्षा भी होनी है. वहीं डीएमके ने तमिलनाडु में सत्ता पाने के लिए तैयारी तेज कर दी है. मौजूदा सत्तारूढ़ एआईडीएमके की भी पूरी कोशिश रहेगी कि तमिलनाडु की सत्ता में वापसी कर सके. ऐसे ही वामदलों ने अपना एकमात्र राज्य केरल बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. बता दें कि दो मई को तमिलनाडु, केरल, पुड्डुचेरी, असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने हैं.

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