पाॅलिटाॅक्स न्यूज/दिल्ली. क्या मोदी राज में विपक्ष को सवाल पूछने का भी अधिकार नहीं? चीनी विवाद पर सरकार की ओर दी गई आधी-अधूरी जानकारी को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवालों के सरकार द्वारा जवाब देना तो दूर बल्कि उसे कभी सेना का मनोबल तोड़ने वाला तो कभी मर्यादा का उल्लघंन करने वाला बताया जा रहा है. अपने ताजा बयान में राहुल गांधी ने पीएम मोदी के उस बयान पर हमला किया जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि ना कोई देश में घुसा, ना ही हमारी ज़मीन पर किसी ने कब्ज़ा किया. राहुल गांधी ने एक बड़े मीडिया संस्थान की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा ‘लेकिन सैटेलाइट फ़ोटो साफ़ दिखाती हैं कि चीन ने पैंगोंग झील के पास भारत माता की पावन धरती पर कब्ज़ा कर लिया है.’ उन्होंने इसका वीडियो भी शेयर किया है.
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प्रधानमंत्री ने कहा- ना कोई देश में घुसा, ना ही हमारी ज़मीन पर किसी ने कब्ज़ा किया।
लेकिन सैटेलाइट फ़ोटो साफ़ दिखाती हैं कि चीन ने पैंगोंग झील के पास भारत माता की पावन धरती पर कब्ज़ा कर लिया है।pic.twitter.com/BniFenomBb
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 21, 2020
पहले जान लेते हैं घटनाक्रम क्या है
सेटेललाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर विशेषज्ञों ने बताया है कि चीन की सेना अपने लावलश्कर के साथ 9 मई से गलवान घाटी में पहुंचना शुरू हो गई थी. सैटेललाइट तस्वीरों में स्पष्ट है कि 9 मई से पहले वहां कोई ऐसी गतिविधि नहीं थी. बाद में सैकड़ों की संख्या में वाहन और बुलडोजर सहित अन्य सैन्य उपकरण इस क्षेत्रों में पहुंचे. जब चीनी सैनिकों द्वारा बंकर और टेंट लगाए गए तो इसके बाद विवाद बढ़ना शुरू हुआ. चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में ओल्डी तक पहुंचने के लिए बनाई जा रही सामरिक महत्व की सड़क निर्माण का विरोध करना शुरू कर दिया. इसके चलते दोनों के सैनिकों में हल्की फुल्की झड़प हो गई और गतिरोध बढ़ गया.
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दोनों के सैन्य कमाडंरों द्वारा बैठकर मसले को हल करने का प्रयास किया गया. सैन्य अधिकारियों की बैठक के बाद कहा गया कि दोनों देशों की सेनाएं ढाई किलोमीटर पीछे हट गई है. लेकिन जानकारों का कहना है कि चीन की ओर से ऐसा नहीं किया गया. बल्कि चीन ने और अधिक सैनिकों का जमावड़ा कर लिया. बाद में गलवान घाटी में दोनांे देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हो गया. इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए, 10 सैनिक चीनी सेना द्वारा बंधक बनाए गए और 72 सैनिक चोटिल हुए. इनमें से 18 को गंभीर चोंटे आईं, जिनका इलाज चल रहा है और सभी खतरे से बाहर है. इस घटना के बाद चार दिनों तक चीनी और भारतीय सेना के अधिकारियों के बीच बातचीत होती रही. लेकिन चीनी सेना ने गलवान घाटी से पीछे हटने से मना कर दिया.
पूरे मसले पर सरकार की ओर से यह दी गई जानकारी
– खूनी संघर्ष के बाद सबसे पहले कहा गया कि घटना में भारत के एक अधिकारी सहित दो सैनिक शहीद हुए हैं. कुछ देर बाद कहा गया कि 10 सैनिक शहीद हुए हैं.
Why is the PM silent?
Why is he hiding?Enough is enough. We need to know what has happened.
How dare China kill our soldiers?
How dare they take our land?— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 17, 2020
– अगले दिन न्यूयार्क टाइम्स ने छापा कि चीनी सेना द्वारा 10 भारतीय सैनिकों को बंधक बनाया गया है, जिसमें अधिकारी स्तर के लोग भी हैं. सरकार ने कहा कि हमारा कोई सैनिक लापता नहीं है. इसे बाद 10 सैनिकों के बंदी होने और उनके रिहा होने के बाद को सूत्रों के हवाले से स्वीकारा गया. इस पूरे घटनाक्रम की ओर से रक्षामंत्री राजनाथसिंह या फिर विदेश मंत्रालय या फिर सेना की ओर से किसी भी प्रकार की कोइ प्रेसवार्ता नहीं की गई. जिस तरह पुलवामा हमले के बाद पूरे घटनाक्रम की पारदर्शिता रखी गई थी.
– मीडिया में भी जो भी खबरें चली वो कभी पीएमओ, कभी रक्षा मंत्रालय तो कभी विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से चली. इन खबरों की न तो अधिकारिक पुष्टि की गई और न ही खंडन. यहां तक की रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री की ओर से शुरूआती बयानों में देश की संप्रभुता की रक्षा का संकल्प तो जताया गया लेकिन चीन का नाम तक नहीं लिया गया. लिहाजा 20 सैनिकों की मौत से देश के नागरिकों में चीन के प्रति गुस्सा स्वाभाविक बात है.
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ऐसे में सवाल उठना तो लाजिमी है कि इतने बड़े घटनाक्रम होने के बाद भी चीन का नाम लेने से क्यूं परहेज किया जा रहा है. वहीं चीनी सरकार ने उसके सैनिकों की मौत की संख्या नहीं बताने के अलावा हर दिन कोई न कोई भारत विरोधी बयान दिया. चीनी सरकार ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने सीमा समझौते का उल्लघंन किया. घटना के लिए भारत जिम्मेदार है. भारतीय सैनिकों की मौत पर भी कहा कि झड़प के बाद भारत अपने सैनिकों को उपचार नहीं दे सका, जिसके चलते मौते हुई.
भारतीय सैनिकों की मौत के लिए खुद भारत जिम्मेदार है. फिर कहा कि गलवान घाटी का क्षेत्र विवादित नहीं है बल्कि यह चीन सीमा में है. यानि चीन की सरकार की ओर से एक के बाद एक बयान आते रहे. इधर सरकार पर जब दबाव बड़ा तो प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. सोनियां गांधी ने बैठक की टाइमिंग पर सवाल उठाया. सोनिया ने कहा कि सर्वदलीय बैठक दोनों देशों के बीच तनाव के शुरूआती समय में ही बुलाकर एक नीति बना ली जानी चाहिए थी.
सर्वदलीय बैठक के समापन पर प्रधानमंत्री ने कहा कि न तो कोई हमारी सीमा में आया और न ही कोई पोस्ट किसी के कब्जे में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान को चीनी सरकार की ओर से भारत का अधिकृत बयान बताकर चीनी मीडिया में दिखाया जा रहा है. चीनी मीडिया की ओर से बताया जा रहा है कि घटना के लिए भारत खुद दोषी है. चीनी सेना ने सीमा नियमों का उल्लघंन नहीं किया.
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इसके बाद राहुल गांधी ने सवाल किया कि चीनी हमले के पीदे प्रधानमंत्री ने सरेंडर कर दिया, राहुल ने पूछा कि अगर वह जमीन चीन की थी तो भारतीय सैनिकों को शहीद क्यों होना पड़ा.
PM has surrendered Indian territory to Chinese aggression.
If the land was Chinese:
1. Why were our soldiers killed?
2. Where were they killed? pic.twitter.com/vZFVqtu3fD— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 20, 2020
इसके पहले 19 जून को राहुल गांधी ने कहा कि गलवान में हमला चीन की सोची समझी साजिश थी, सरकार गहरी नींद में थी, उसने समस्या को नहीं समझा, शहीद हुए जवानों को उसकी कीमत चुकानी पड़ी. गलवान में खूनी संघर्ष के बाद राहुल ने सवाल उठाया था कि हमारे जवानों को बिना हथियार शहीद होने के लिए क्यूं भेज दिए गए. इसके लिए कौन जिम्मेदार है.
कौन ज़िम्मेदार है? pic.twitter.com/UsRSWV6mKs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 18, 2020
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा घटना के बाद किए गए ट्विटर में चीन का नाम नहीं लेने पर भी राहुल गांधी ने सवाल उठाए थे. राहुल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी सीधे सवाल किए थे. रक्षा मंत्री ने कहा था कि गलवान वैली में हमारे सैनिकों के शहीद होने से दुखी हैं. राहुल ने उनसे पूछा कि आप चीन का नाम क्यों नहीं ले रहे. भारतीय सेना को बेइज्जत क्यों कर रहे हैं? जब सैनिक शहीद हो रहे हैं तो आप रैलियां कर रहे हैं? चीजें छिपाई क्यों जा रही हैं?
If it was so painful:
1. Why insult Indian Army by not naming China in your tweet?
2. Why take 2 days to condole?
3. Why address rallies as soldiers were being martyred?
4. Why hide and get the Army blamed by the crony media?
5. Why make paid-media blame Army instead of GOI? https://t.co/mpLpMRxwS7— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 17, 2020
राहुल गांधी ने सरकार से यह भी पूछा कि हमारे सैनिक क्यूं मरे और हमारे सैनिक कहा मरे?
अब राहुल ने मोदी को बताया सरेंडर मोदी
भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के तेवर काफी तल्ख बने हुए हैं. वह लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर ट्विटर के जरिए हमले कर रहे हैं. ताजा ट्वीट में उन्होंने पीएम मोदी को सरेंडर मोदी करार दिया है. राहुल ने जापान टाइम्स में छपे एक ओपिनियन पीस को शेयर करते हुए यह टिप्पणी की. इस ट्वीट के बाद, कई यूजर्स ने ध्यान दिलाया कि राहुल से सरेंडर की स्पेलिंग लिखने में चूक हो गई है.
Narendra Modi
Is actually
Surender Modihttps://t.co/PbQ44skm0Z
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 21, 2020
बीजेपी के कई नेताओ ने राहुल के इस ट्वीट को शर्मनाक करार दिया. वहीं बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन ने इसे मर्यादा का उल्लघंन करने वाला बताया.
अब हालातों के हिसाब से सेना खुद करेगी निर्णय
बता दें कि आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुख और सीडीएस, जनरल बिपिन रावत के साथ चीन सीमा पर चल रहे गतिरोध को लेकर समीक्षा-बैठक की. करीब एक घंटे चली इस मीटिंग में रक्षा मंत्री ने सैनिकों को चीन सीमा पर उत्पन्न किसी भी विषम-परिस्थिति में किसी भी तरह की कार्रवाई करने की छूट दे दी है. कल से रक्षा मंत्री तीन दिवसीय रूस की यात्रा पर जा रहे हैं.