सत्रहवीं लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली का माहौल काफी बदला हुआ है. पहले नए सांसदों को पांच सितारा होटलों तक में ठहरा दिया जाता था. वह सुविधा अब नहीं हैं. अब नए सांसदों को या तो वेस्टर्न कोर्ट में ठहराया जाता है या सम्बन्धित राज्यों के भवनों में ठहर सकते हैं सांसद. इस नई व्यवस्था में कई सांसद असुविधा महसूस कर रहे हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 25 जून को नवसारी के सांसद सीआर पाटिल की अध्यक्षता में नई आवास समिति का गठन कर दिया है. इसके बाद सीआर पाटिल की व्यस्तता बहुत बढ़ गई है.

इन दिनों सीआर पाटिल के तीसरी मंजिल स्थित कार्यालय में सांसदों की भारी चहल-पहल है. कार्यालय के बाहर कई सांसद मनपसंद आवास की अर्जी लिए कतार में बैठे देखे जा सकते हैं. सत्रहवीं लोकसभा में 267 नए सांसद हैं, जो पहली बार लोकसभा में चुने गए हैं. 2014 में कई सांसदों को होटलों में ठहराया गया था. इनमें 32 नए सांसद एक साल से ज्यादा समय तक अशोका होटल में ठहरे थे. आखिरकार लोकसभा सचिव ने होटल को उन सांसदों के किराये का भुगतान करने से इनकार कर दिया था.

सांसदों को अस्थायी तौर पर आवास उपलब्ध करवाने के लिए वेस्टर्न कोर्ट परिसर में एक नई एनेक्सी बिल्डिंग बनाई गई थी, जिसका उद्घाटन अप्रैल, 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. वर्तमान सांसदों में से इस नई बिल्डिंग में 88 नए सांसदों को ठहराया गया है, जबकि 20 सांसद वेस्टर्न कोर्ट की पुरानी बिल्डिंग में ठहरे हैं. बाकी सांसदों के ठहरने की व्यवस्था राज्यों के भवनों में की गई है. कई नए सांसदों की अपनी विशिष्ट मांगें भी हैं जिनको पूरा करना आवास समिति के लिए संभव नहीं है.

पश्चिम बंगाल के बांकुरा से पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए डॉ. सुभाष सरकार का कहना है कि चिकित्सक होने के नाते उनके यहां क्षेत्र के कई लोग इलाज करवाने पहुंचते हैं, इसलिए उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आसपास आवास आबंटित किया जाए. फिलहाल वह बांग्ला भवन में ठहरे हुए हैं. उन्होंने 17, नॉर्थ एवेन्यू का आवास आवंटित करने की मांग की है.

गाजीपुर के बसपा सांसद अफजल अंसारी को वेस्टर्न कोर्ट के एक कमरे में रहने में काफी असुविधा हो रही है. उनका कहना है कि उनके पास क्षेत्र के कई लोग रोजाना इलाज या अन्य कार्यों के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने आवास समिति से मांग की है कि जिस श्रेणी में भी संभव हो, उन्हें जल्द से जल्द आवास आवंटित किया जाए.

पिछली आठ जुलाई को लोकसभा की आवास समिति की पहली बैठक हुई थी, जिसमें सांसदों को आवास आवंटित करने के लिए मानदंड तय किए गए. बैठक में आवास आवंटित करने के मौजूदा मानदंडों में बदलाव भी किया गया है. चार श्रेणियां बनाई गई हैं, जिनके तहत सांसदों को आवास आवंटित किए जा सकते हैं. जो पहली बार लोकसभा सांसद बने हैं, उन्हें टाइप-5 के आवास की पात्रता है. जो सांसद पहले राज्य में विधायक या मंत्री रह चुके हैं, उन्हें टाइप-6 के आवास आवंटित किए जा सकते हैं. असम की मंगलदोई लोकसभा सीट से भाजपा सांसद चुने गए दिलीप सैकिया को टाइप-5 आवास में रहने की पात्रता है. दिलीप सैकिया ने 147, साउथ एवेन्यू स्थित आवास आवंटित करने की मांग की है.

बिहार के नवादा से लोजपा सांसद चंदन कुमार की समस्या अलग तरह की है. वह चुनाव जीतने के बाद अपनी रिश्तेदार वीणा देवी को आवंटित आवास में रह रहे हैं, जो पिछली लोकसभा में मुंगेर से सांसद थीं. चंदन कुमार ने मांग की है कि जब तक उन्हें नया आवास आवंटित नहीं किया जाता, तब तक उन्हें वीणा देवी के आवास में रहने दिया जाए. आवास समिति ने चंदन कुमार की मांग नामंजूर कर दी है और वीणा देवी को आवास खाली करने का आदेश दे दिया है. चंदन कुमार के सहयोगी ने बताया कि आवास समिति ने चंदन कुमार को वेस्टर्न कोर्ट या बिहार भवन में ठहरने के लिए कहा है. चंदन कुमार के मुताबिक जहां रहने की जगह मिल रही है, वहां पहले से दो पूर्व सांसद रह रहे हैं. चंदन कुमार के लिए सिर्फ एक कमरे में गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.

ऐसे में नवगठित आवास समिति के अध्यक्ष सी. आर. पाटिल के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है कि किस सांसद को राजी किया जाए और किससे नाराजगी ली जाए.

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