CM के OSD लोकेश ने भी स्वीकारा ऑडियो क्लिप्स आगे भेजना, वहीं दिग्गजों के बीच वार-पलटवार जारी

ऑडियो टेप सोशल मीडिया के माध्यम से सभी तक पहुंचे और सरकार गिराने की साजिश बेनकाब हो इसलिए ये ऑडियो क्लिप्स मैंने आगे भेजीं- लोकेश शर्मा, डोटासरा, खाचरियावास और महेश जोशी के वार पर कटारिया, राठौड़ और रामलाल का पलटवार

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Politalks.News/Rajasthan/PhoneTapping. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा और कुछ पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करवाने के बाद से प्रदेश की सियासत अचानक से गरमा गई है. वहीं फ़ोन टैपिंग मामले में अपने ऊपर लगे आरोपों पर बोलते हुए सीएम गहलोत के OSD लोकेश शर्मा ने कहा कि, ‘फ़ोन टैपिंग के आरोप गलत हैं, मैं मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी संभाल रहे हूं और मेरा काम ही संवाद स्थापित करना है. उक्त ऑडियो टेप सोशल मीडिया के माध्यम से सभी तक पहुंचे और सरकार गिराने की साजिश बेनकाब हो इसलिए ये ऑडियो क्लिप्स मैंने आगे भेजीं.”

इससे पहले शुक्रवार को यह खबर आने के बाद कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गजों में आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया. सबसे पहले पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के फोन टैपिंग मामले में दिल्ली में एफबयानआईआर दर्ज कराने को नौंटंकी एवं षडयंत्र करार देते हुए कहा है कि उन्हें अपनी आवाज का नमूना देना चाहिए ताकि सच बाहर आ सके.

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पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि शेखावत मामले के आठ महीने बाद अब एफआईआर क्यों दर्ज कराई है. डोटासरा ने आरोप लगाया कि भाजपा में नैतिकता नहीं बची हैं और फिर षडयंत्र रचा जा रहा है. पहले भी दिल्ली से ही साजिश रची गई और अब भी दिल्ली से ही साजिश रची जा रही है. डोटासरा ने कहा कि जब इस मामले में पहली बार गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम आया था और उन पर आरोप लगे थे, उसी समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनसे मंत्री पद से इस्तीफा ले लेना चाहिए था लेकिन न तो प्रधानमंत्री ने इस्तीफा लिया और न ही शेखावत ने नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दिया. गोविंद सिंह डोटासरा ने आगे कहा कि मैं यह जानना चाहता हूं कि वे अब किस नैतिकता के आधार पर एफआईआर दर्ज करा रहे हैं.

गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 14 अगस्त को विधानसभा में स्पष्ट कर दिया था कि प्रदेश में किसी जनप्रतिनिधि का फोन टैप नहीं हुआ है, तब इस पर कोई सवाल नहीं उठा. अब एफआईआर दर्ज कराने का क्या मकसद है. डोटासरा ने कहा कि हमारे पास तथ्य हैं और उसी आधार पर बात की जा रही है, बल्कि गजेंद्र सिंह शेखावत को चाहिए कि वह राजस्थान आकर अपना वॉयस सैम्पल पुलिस को दें. डोटासरा ने आगे कहा कि राज्य की जनता के विश्वास से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी हैं और वह न केवल पूरे पांच साल पूरा करेगी बल्कि आगे आने वाले समय में और पांच साल के लिए कांग्रेस की सरकार बनेगी. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि एफआईआर दर्ज कराकर इस तरह नौटंकी नहीं की जानी चाहिए, ऐसा करके राज्य सरकार पर दबाव बनाना चाह रहे हैं तो ऐसा नहीं होगा.

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वहीं, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि शेखावत मामला सामने आने के इतने दिनों बाद अब जागे हैं और दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई है. यह उनका दिल्ली में कोई षडयंत्र लगता हैं. खाचरियावास ने कहा कि शेखावत को राजस्थान की सरकार से कोई तकलीफ थी तो वे जयपुर में मामला दर्ज कराते. जिस दिन यह मामला सामने आया उस समय एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई. इसके साथ ही सरकारी मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी ने कहा कि यह एफआईआर साजिश का हिस्सा हो सकती है. जोशी ने कहा कि एफआईआर की कॉपी मिल जाए, उसमें क्या रुख आता है. महेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस इससे विचलित नहीं हैं क्योंकि हमने जो भी किया, वह कानून के हिसाब से किया है. यहां आपको बता दें, कांग्रेस के नेताओं के यह बयान गजेन्द्र सिंह द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर की कॉपी सामने आने से पहले के हैं.

बीजेपी के दिग्गजों ने किया पलटवार

वहीं दूसरी और फौन टैपिंग मामले में आए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के बयान पर पलटवार करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार इस मामले में दूसरों के ऊपर आरोप लगाकर बच नहीं सकती. कटारिया ने दावा किया कि गलत तरीके से फोन टैपिंग को लेकर केंद्रीय मंत्री ने जो मामला दर्ज कराया है, जब इसकी जांच शुरू होगी तो यह सरकार भी जाएगी. वॉइस सैंपल को लेकर गुलाबचंद कटारिया ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि शेखावत के मामले में देरी हो रही है तो कांग्रेस अपने विधायक भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह का वॉयस सैंपल क्यों नहीं ले लेती?

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने आगे कहा कि मैं खुद गोविंद डोटासरा से पूछना चाहता हूं कि मुख्य सचेतक ने एसओजी में भी इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन फिर बाद में उसमें एफआर लगाने की जल्दबाजी क्यों की गई. कटारिया ने कहा कि फोन टैपिंग कराने का अधिकार सरकार को है, लेकिन नियमानुसार होम सेक्रेटरी की स्वीकृति जरूरी है.

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‘डोटासरा बताएं, मुख्य सचेतक के केस में एफआर क्यों लगा दी?’
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पीसीसी चीफ डोटासरा के बयान पर पलटवार करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, ‘गोविंद सिंह डोटासरा जी आप केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी का वॉयस सैम्पल लेने से पहले उन कारणों का तो खुलासा कर दें कि आपकी ही सरकार के मुख्य सचेतक द्वारा दर्ज कराए गए केस में एफआर क्यों लगा दी गई? IPC की धारा 182 के तहत मुख्य सचेतक पर क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही?’

इसके साथ ही प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि डोटासरा बार-बार शेखावत के वाइस सैम्पल लेने की बात कर रहे हैं, लेकिन मुख्य सचेतक ने अपनी ही पार्टी के जिन विधायकों के नाम लिए थे, उनके वाइस सैम्पल तो सरकार ले ले. रामलाल ने कहा कि जब भी नैतिकता की बात आती है तो कांग्रेस पीछे हट जाती है. सरकार ने गैर कानूनी तरीके से विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्रियों के फोन टैप किए हैं.

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