बिहार पुलिस ने देश के जाने माने 49 गणमान्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह, जनता में दुर्भावना फैलाने और शांति भंग करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर लिया. एफआईआर में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें अदूर गोपालकृष्णन, रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम, शुभा मुद्गल, अपर्णा सेन, कोंकणा सेन और अनुराग कश्यप जैसी हस्तियां शामिल हैं. यह एफआईआर एक शिकायत के आधार पर मुजफ्फरपुर अदालत के आदेश से दर्ज की गई है.

इन लोगों ने देश भर में भीड़ की तरफ से हिंसा (मॉब लिंचिंग) के बढ़ते मामलों की शिकायत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था. एक स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा ने 27 जुलाई को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने शिकायत की थी कि ये गणमान्य लोग देश की छवि खराब कर रहे हैं और प्रधानमंत्री के अच्छे कार्यों को नजरअंदाज करते हुए अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दे रहे हैं.

ओझा की शिकायत पर मुजफ्फरपुर की अदालत ने 18 सितंबर को सदर पुलिस थाने को एफआईआर दर्ज करने और कार्रवाई की रिपोर्ट 11 नवंबर तक पेश करने के निर्देश दिए थे. इसी आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर के बाद कांग्रेस ने बिहार सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भारत तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. सभी जानते हैं कि देश में क्या हो रहा है. यह कोई छिपी हुई बात नहीं है. दरअसल पूरी दुनिया इस तथ्य को जानती है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति, जो प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ भी कहेगा, सरकार की जरा भी आलोचना करेगा, उस पर हमला होगा, उसे जेल भेज दिया जाएगा.

इन गणमान्य लोगों ने 23 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा था. बिहार पुलिस ने इनके खिलाफ गांधी जयंती दो अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की. इसमें आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह), 153बी (राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने), 160 (सांप्रदायिक तनाव पैदा करने), 290 (जनता में दुर्भावना फैलाने) और 504 (शांति भंग करने) के तहत आरोप लगाए गए हैं. सदर पुलिस थाने के एसआई हरेराम पासवान को जांच सौंपी गई है. सदर पुलिस थाने के प्रभारी मनोज कुमार ने कहा कि प्रारंभिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जांच के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी.

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पत्र में इन 49 गणमान्य लोगों ने प्रधानमंत्री से कहा था कि मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ भीड़ की तरफ से होने वाली हिंसा तत्काल रोकी जानी चाहिए और जय श्रीराम नारे का इस्तेमाल युद्धोन्माद पैदा करने के लिए किया जा रहा है. असहमति के बगैर लोकतंत्र नहीं चल सकता. असहमति व्यक्त करने वालों को देशद्रोही और अरबन नक्सली नहीं माना जा सकता.

याचिकाकर्ता वकील ओझा ने कहा कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का अधिकार सभी को है, लेकिन पत्र को इस तरह मीडिया में जारी करना शरारतपूर्ण और माहौल खराब करने का काम है. ओझा बड़ी-बड़ी हस्तियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाकर काफी नाम कमा चुके हैं. इससे पहले वह सोनिया गांधी, राहुल गांधी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, राज ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, आसाराम बापू, निर्मल बाबा सहित कई लोगों के खिलाफ शिकायतें दर्ज करवा चुके हैं.

ओझा की शिकायत पर दर्ज मुकदमों में से कुछ खारिज हो चुके हैं, जब कि कुछ में जांच चल रही है. ओझा मुजफ्फरपुर अदालत में वकालत करते हैं. 2007 में ओझा की तरफ से जनहित याचिका दायर करने होने के बाद कोर्ट फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले चुकी है. ओझा ने बताया कि 2005 में उनकी जनहित याचिका पर ने रेलवे का मंडल कार्यालय हाजीपुर से दानापुर ले जाने का फैसला रोक दिया था. 2011 में उन्होंने 1600 करोड़ के सोलर लाइट घोटाले के सिलसिले में शिकायत की थी, जिस पर मुजफ्फरपुर पुलिस ने 22 बीडीओ सहित 385 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे.

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