पार्टी स्थापना दिवस पर हनुमान बेनीवाल को भाजपा का ‘नायाब तोहफा’

29 अक्टूबर, 2018 को आयी थी रालोपा अस्तित्व में, एक साल बाद इसी दिन प्रदेश बीजेपी से मिला कड़ा झटका, पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जीती थी तीन सीटें Hanuman Beniwal

Hanuman Beniwal
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पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को अस्तित्व में आए मंगलवार को एक साल पूरा हुआ. जहां इस दिन को बेनीवाल सहित रालोपा के तमाम कार्यकर्ता यादगार बनाने में लगे हुए थे. वहीं इस खास मौके पर प्रदेश भाजपा ने बेनीवाल को एक खास तोहफा दिया, ये नायाब तोहफा था – गठबंधन तोड़ने का फैसला. जब RLP के मुखिया हनुमान बेनीवाल सोशल मीडिया पर रालोपा के कार्यकर्ताओं को सेवा कार्य करने की अपील के साथ पार्टी स्थापना का एक वर्ष पूरा होने की शुभकामनाएं दे रहे थे, उसी समय आगामी 49 निकाय चुनावों को लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक चल रहीं थी. इस बैठक में निर्णय हुआ कि भाजपा निकाय चुनावों में आरएलपी से गठजोड़ नहीं करेगी बल्कि अकेले ही चुनाव लड़ेगी.

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भाजपा के इस बड़े ऐलान के बाद रालोपा चीफ हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा, ‘राष्ट्रहित में लोकसभा चुनाव के दौरान मोदीजी के साथ पार्टी का गठबंधन हुआ था. गांव ढाणी से लेकर शहर तक रालोपा ने लोकसभा व वर्तमान विधानसभा उप चुनाव में रालोपा के एक-एक कार्यकर्ता ने भाजपा का साथ दिया. शहरी क्षेत्रों में भी रालोपा का मजबूत आधार है. आगामी निकाय चुनाव के लिए हम पूरा प्रयास करेंगे कि भाजपा के साथ रालोपा का गठबंधन जारी रहे लेकिन सत्य कहने में मैं कभी पीछे नही हटूंगा’.

याद दिला दें, भाजपा व रालोपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के समय हुआ था. लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गठबंधन के तहत नागौर सीट रालोपा को दी थी जिस पर चुनाव जीत हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) लोकसभा पहुंचे. इसके बाद उनकी खींवसर विधानसभा सीट खाली हो गई थी. हाल ही में हुए खींवसर उप चुनाव में गठबंधन के तहत भाजपा ने रालोपा के लिए खींवसर और बेनीवाल ने मंडावा सीट भाजपा के लिए छोड़ दी. खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल जीत दर्ज की लेकिन जीत का अंतर बहुत कम रहा था जिसके लिए बेनीवाल ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदार बताया था. माना यही जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा सरकार में मंत्री रहे युनूस खान पर की गयी टिप्पणी के चलते बेनीवाल की पार्टी से निकाय चुनावों में नाता तोड़ा गया है.

गौरतलब है कि प्रदेश कि 49 नगर निकायों पर आगामी 16 नवंबर को चुनाव होने है जिसकी तैयारियों में भाजपा जोर शोर से लगी हुई है. इसी के चलते प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं कि मंगलवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर बैठक हुई जिसमें निकाय चुनाव के लिए रणनीति बनाई गई. इस बैठक में निर्णय हुआ कि भाजपा आगामी निकाय चुनाव अकेले लडेगी. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि निकाय क्षेत्रों में भाजपा का अपना वजूद है और पार्टी के पास मजबूत जनाधार है इसलिए रालोपा के साथ गठबंधन की आवश्यकता नहीं है. पूनिया ने कहा कि चेयरमैन के चुनाव के लिए विकल्प खुले है.जरूरत पडी तो रालोपा के साथ चर्चा करेंगे. हालांकि पूनिया ने ये भी कहा कि मुझे नहीं लगता निकाय चुनावों में जितना जनाधार भाजपा का है, उतना आरएलपी का भी है.

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बता दें कि हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की स्थापना पिछले साल 29 अक्टूबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई थी. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में बेनीवाल ने 57 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. पार्टी ने तीन सीटें जीती जिनमें से खींवसर सीट पर खुद हनुमान बेनीवाल जीतकर विधानसभा पहुंचे. इस चुनाव में रालोपा को प्रदेशभर में करीब 9 लाख वोट मिले जिससे भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टी के चुनावी समीकरण प्रभावित हुए. इस चुनाव के बाद पार्टी ने नागौर में जिला परिषद की सीट भी जीतने में सफलता हासिल की. इसके बाद लोकसभा चुनाव में एकमात्र नागौर सीट पर भाजपा ने रालोपा से गठबंधन किया और ये सीट हनुमान बेनीवाल की झोली में आ गिरी. यहां उन्होंने कांग्रेसी की ज्योति मिर्धा को एक तरफा मुकाबले में हराया. शेष अन्य 24 सीटों पर भाजपा की जीत हुई.

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