केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से जूड़ी संसदीय स्थायी समितियों का गठन हो चुका है, जिसका काफी समय से इंतजार था. भाजपा का बहुमत भरपूर होने से मंत्रालयों से जुड़ी स्थायी समितियों में भी भाजपा सदस्यों की संख्या पर्याप्त हो चुकी है, जिसकी वजह सरकार को किसी भी विधेयक को पारित कराने में जरा भी असुविधा नहीं होगी. पहले कुछ समितियों की अध्यक्षता विपक्षी सांसदों के पास थी. अब गृह मंत्रालय और कुछ अन्य विभागों को छोड़कर बाकी सभी विभागों से जुड़ी समितियों में ज्यादातर की अध्यक्षता भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों के पास चली गई है. पहले गृह मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की सदस्यता पी. चिदंबरम के पास थी. अब उनकी जगह आनंद शर्मा अध्यक्ष बन गए हैं.

संसदीय प्रणाली में इन संसदीय स्थायी समितियों का यह महत्व है कि सदन में जब किसी विधेयक पर ज्यादा मतभेद हो जाते हैं, तब उसे विचार के लिए संबंधित मंत्रालय की स्थायी समिति के पास भेज दिया जाता है. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में तीन तलाक विधेयक इसी वजह से राज्यसभा में रुक गया था, जो इस बार दोनों सदनों से पारित हो चुका है. सत्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र में मोदी सरकार ने तमाम महत्वपूर्ण विधेयक पारित करवा लिए हैं. तब मोदी सरकार की आलोचना हुई थी कि महत्वपूर्ण विधेयकों को स्थायी समिति के पास विचारार्थ भेजने से पहले ही पारित किया जा रहा है. तीन तलाक, मोटर वाहन कानून में संशोधन और इंडियन मेडिकल काउंसिल अधिनियम में संशोधन वाले विधेयक राज्यसभा में सिर्फ एक दिन की बहस के पास पारित हो गए थे. तब कई सांसद इन विधेयको को संसदीय समिति के पास भेजने की मांग कर रहे थे.

फिलहाल लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं. राज्यसभा में उसके सांसदों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. दो साल में भाजपा राज्यसभा में भी बहुमत में आ जाएगी. राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं. इनमें फिलहाल भाजपा के 78 सदस्य हैं. राज्यसभा के कुछ विपक्षी सांसद पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं और राज्यसभा से इस्तीफा दे कर फिर से भाजपा के टिकट पर सदस्य चुने जा रहे हैं. इस तरह राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़ रही है. अगले साल जब कुछ सीटों पर राज्यसभा के चुनाव होंगे, तब अधिकांश सीटों पर विपक्षी सदस्यों की जगह भाजपा के सदस्य चुन लिए जाएंगे.

संसद में विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी 24 संसदीय स्थायी समितियों का गठन होता हैं. प्रत्येक समिति में लोकसभा के 24 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल किए जाते हैं. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान कई विधेयक स्थायी समितियों में भाजपा का बहुमत नहीं होने से अटक गए थे. स्थायी समितियों में प्रस्तावित विधेयक पर बहस होती है. कोई फैसला नहीं कोने पर विवादित विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाते या स्थायी समिति में ही लंबित रह जाते हैं.

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इस बार सिर्फ गृह मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता कांग्रेस को मिली है. पहले इस समिति के अध्यक्ष चिदंबरम थे. कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक पर्यवेक्षकों को उत्सुकता थी कि समितियों के पुनर्गठन के दौरान चिदंबरम को इसमें जगह मिलती है या नहीं. जैसी की उम्मीद थी, चिदंबरम अब इस समिति से बाहर हैं और उनकी जगह आनंद शर्मा को अध्यक्ष बना दिया गया है. विज्ञान, टेक्नोलॉजी, पर्यावरण और वन विभागों की समिति के प्रमुख जयराम रमेश हैं, जो इस विषय के जानकार होने के नाते समिति के अध्यक्ष हैं. पहले इस समिति की अध्यक्षता आनंद शर्मा के पास थी. सूचना तकनीक विभाग से जुड़ी समिति की अध्यक्षता शशि थरूर संभालेंगे.

संसद की लोक लेखा समिति की तरह विदेश मेंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति में विपक्ष के नेता को अध्यक्ष बनाने की परंपरा है. पहले विदेश मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर थे. शशि थरूर को भाजपा के अनुराग ठाकुर की जगह सूचना प्रौद्योगिकी विभाक की स्थायी समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है. विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता भाजपा के पीपी चौधरी को सौंपी गई है, जो विदेश मामलों से ज्यादा विधि संबंधी मामलों के जानकार हैं. वित्त मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की अध्यक्षता जयंत चौधरी को सौंप दी गई है. पहले कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली इसके अध्यक्ष थे. जब देश की अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार विभिन्न उपाय कर रही है, ऐसे में वीरप्पा मोइली सरकार के सामने रुकावटें पैदा कर सकते थे.

कृषि मंत्रालय की समिति में हुकुमदेव नारायण यादव की जगह पीसी गड्डीगौदर, रसायन एवं उर्वरक विभाग की समिति में द्रमुक की कनीमोजी की जगह शिवसेना के आनंदराव अडसुल, कोयला एवं इस्पात विभाग में चिंतामणि मालवीय की जगह राकेश सिंह, रक्षा विभाग में कलराज मिश्रा की जगह जुएल ओराम, ऊर्जा मंत्रालय में भाजपा के के हरिबाबू की जगह जदयू के राजीव रंजन सिंह, खाद्य, उपभोक्ता एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में तेदेपा के जेसी दिवाकर रेड्डी की जगह तृणमूल कांग्रेस के सुदीप वंदोपाध्याय, श्रम विभाग में किरीट सोमैया की जगह भर्तृहरि मेहताब, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विभाग में प्रह्लाद जोशी की जगह रमेश विधूड़ी, रेलवे में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप वंदोपाध्याय क जगह भाजपा के राधा मोहन सिंह, ग्रामीँण विकास विभाग में अन्ना द्रमुक के पीवी वेणुगोपाल की जगह शिवसेना के प्रताप राव जाधव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में रमेश बैंस की जगह रमा देवी, जल संसाधन विभाग में राजीव प्रताप रूडी की जगह संजय जायसवाल स्थायी समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं.

इसी तरह अन्य महत्वपूर्ण बदलावों के तहत वाणिज्य विभाग में अकाली दल के नरेश गुजराल की जगह वाईएसआरसीपी के वी विजयसाई रेड्डी, उद्योग विभाग में जदयू के आरसीपी सिंह की जगह टीआरएस के के केशवराव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समितियों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन की जगह टीजी वेंकटेश को स्थायी समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है.

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