मुख्यमंत्री केजरीवाल के फ्री काॅम्बो पैक से गहरी चिंता में है भाजपा और कांग्रेस के धुरंधर

अरविंद केजरीवाल की पृष्ठभूमि भले ही राजनीतिक ना हो लेकिन उन्होंने धुरंधर राजनीतिज्ञों को अकेले में जाकर आइना देखने पर मजबूर जरूर कर दिया है

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. 21वीं शताब्दी में बाजारवाद हावी है, इसका असर राजनीतिक कौशल पर भी नजर आ रहा है. एक के साथ एक फ्री के इस दौर में अगर बहुत कुछ फ्री मिल जाए तो फिर कहना ही क्या. यानि एक टोकरी में महंगे प्याज सहित आलू और दूसरी सभी हरी सब्जियां किसी कॉम्बो प्लान में मिल जाएं और वो भी फ्री तो फिर क्या कहने. बाजारवाद के विशेषज्ञ कहते हैं कि फ्री काॅम्बो प्लान मन मस्तिष्क पर सीधा असर डालता है.

क्या वास्तव में यह एक ऐसा दौर है जो बाजारवाद और राजनीति के बीच एक बारीक रेखा में सिमट गया है. क्या वाकई जनता सरकार की ऐसी सेवाओं के प्रति वोट देना का मन बनाती हैं, जो पूरी तरह फ्री हों, स्वाभाविक है जवाब हां में ही होगा. राजनीति पर हावी पूंजीवाद और महंगाई से त्रस्त जनता को फ्री सर्विस के रूप में कुछ मिल जाए तो वह बल्ले-बल्ले यानि बडी राहत से कम नहीं.

खैर चलिए छोडिए, राजनीति और बाजारवाद को… चर्चा करते हैं इन दिनों गर्माए दिल्ली के मौसम पर. देश की राजधानी दिल्ली में किसी पार्टी के लिए राजनीतिक तापमान शून्य से नीचे तो किसी के किए शून्य से बहुत ज्यादा बना हुआ है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पृष्ठभूमि भले ही राजनीतिक ना हो लेकिन उन्होंने धुरंधर राजनीतिज्ञों को अकेले में जाकर आइना देखने पर मजबूर जरूर कर दिया है.
दिल्ली में विधानसभा के चुनाव 8 फरवरी को होने हैं और ऐसे में अकेले केजरीवाल ही हैं जो चुनाव में जीत को लेकर पूरी तरह काॅन्फिडेंट नजर आ रहे हैं.

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केजरीवाल ने सोमवार को विधानसभा चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद प्रेस कांफ्रेंस करते हुए एलान किया कि अगर दिल्ली की जनता को लगता है कि दिल्ली में आप पार्टी की सरकार ने कुछ काम करके दिखाया है तो ही हमें वोट देना वरना वोट मत देना. इतना बड़ा एलान करने का साहस वो ही कर सकता है जिसको अपने किए कामों पर पूरा पूरा भरोसा हो. दिल्लीवासियों के लिए केजरीवाल का फ्री काॅम्बो प्लान अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. आरोप प्रत्यारोप के बीच दोनों ही पार्टियां केजरीवाल के फ्री काॅम्बों प्लान का तोड निकालने में जुटी हैं.

चुनाव के नतीजे तो 11 फरवरी को ही पता चलेंगे लेकिन दिल्ली में केजरीवाल के फ्री कॉम्बो मसलन दिल्ली की आधी आबादी यानि महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा, 18 वर्ष से अधिक विधार्थियों के लिए 10 लाख तक का एज्युकेशन लोन, हर वर्ग के गरीब बच्चों के लिए बडे कोचिंग इंस्टीटयूट फ्री, सीनियर सीटिजन को 5 हजार तक की पेंशन, हर घर को 200 यूनिट तक बिजली फ्री, पानी फ्री, सरकारी स्कूल और अस्पतालों में बेहतरीन सुविधाएं पूरी तरह फ्री, नौजवानों के लिए वाई-फाई फ्री, 10 से 15 हजार रूपए का खर्च वाला सीवर कनेक्शन भी फ्री जैसे प्लान का तोड़ कैसे निकाल पाएंगे बीजेपी के चाणक्य अमित शाह या फिर कांग्रेस की लकी कॉइन मानी जाने वाली सोनिया गांधी.

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केजरीवाल के इतने सारे फ्री कॉम्बो प्लान के बाद अब अगर कोई दिल्ली की जनता से कहे कि केजरीवाल ने पांच साल में कुछ नहीं किया तो क्या दिल्लीवासियों के गले से नीचे उतरेगी यह बात. बस ऐसी ही चिंताओं से भाजपा और कांग्रेस को गुजरना पड रहा है. हालांकि इसके बाद भी बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को पूरा भरोसा है कि दिल्ली की जनता केजरीवाल के फ्री काॅम्बो प्लान को दरकिनार कर सभी सेवाओं के लिए अपनी जेब ढीली करने का मन बनाकर उन्हें सत्ता के गलियारों में बैठाएगी.

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