Jaipur: राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर अब सेफ जोन में नहीं रहा. जयपुर अब भूंकप के लिहाज से हाई रिस्क (रेड) जोन में आ गया है. यहां 5 से 6 रिक्टर स्केल के झटके आ सकते हैं जिनसे पुरानी बिल्डिंगों को नुकसान हो सकतो है. हाल ही में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडड्र्स ने देश का नया भूकंप जोखिम नक्शा जारी किया है. इसमें जयपुर, भिवाड़ी और अलवर को ज्यादा खतरे वाले जोन 4 में डाला गया है. जोन 4 में भूकंप की इंटेंसिटी बढ़ती है. गौर करने वाली बात ये है कि अब अब दिल्ली एनसीआर और जयपुर को एक ही जोन में शामिल कर लिया गया है. इससे पहले साल 2016 तक जयपुर माइल्ड डैमेज रिस्क जोन 2 में शामिल था.
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडडर्स ने इस मैप को PSHA यानी प्रोबैबिलिस्टिक सीस्मिक हैज़र्ड असेसमेंट मॉडल के आधार पर तैयार किया है. साल 2016 तक बीकानेर जोन 3, अजमेर, जयपुर, जोधपुर और उदयपुर जोन 2 में थे. नए मैप में इस बार कई शहरों के जोन को अपग्रेड किया गया है. इससे पहले कई ऐसे शहर जो कम जोखिम में समझे जाते थे, अब अधिक संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में आ गए हैं. ऐसे में आने वाले समय में बिल्डिंग के स्ट्रक्चर में ध्यान रखने की जरूरत है, ताकि तीव्र भूकंप आने पर जनधन की हानि कम से कम की जा सके.
BIS ने नया नक्शा IS 1893 (Part 1): 2025 कोड के तहत जारी किया है, जो जनवरी 2025 से लागू है. अब देश में बिल्डिंग्स, ब्रिज, हाईवे और बड़े प्रोजेक्ट इसी नए भूकंप नियमों के अनुसार बनाए जाएंगे. यह नक्शा पुराने 2002 के नक्शे की जगह ले रहा है. यह अब तक का सबसे वैज्ञानिक और सटीक नक्शा कहा जा रहा है. इसमें GPS डेटा, सैटेलाइट स्टडी, फॉल्ट लाइन, भूकंप इतिहास, लाखों सिमुलेशन शामिल हैं जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों की तकनीक अपनाई गई है.
भू विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियमों से भूकंप में 80-90% नुकसान कम किया जा सकता है. नई बिल्डिंग्स भूंकप के झटके सहने लायक होंगी जबकि पुरानी बिल्डिंग्स को अपडेट करना जरूरी है.























