बिहार: चिराग पासवान ने बढ़ाई डिमांड, एलजेपी की सियासी सौदेबाजी से टेंशन में भाजपा आलाकमान

लोक जनशक्ति पार्टी ने कहा है कि अगर उनकी डिमांड पूरी नहीं होती है तो वह भाजपा और जेडीयू से अलग मैदान में उतर सकते हैं, एलजेपी की यह सौदेबाजी इतनी महंगी है कि भाजपा को यह मंजूर नहीं होगा, नीतीश बोले मुझे इस मामले में कुछ नहीं है कहना

चिराग पासवान, बिहार
चिराग पासवान, बिहार

Politalks.News/Bihar Election. बिहार में भाजपा और जेडीयू विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर जैसे-जैसे एक कदम आगे बढ़ते हैं वैसे ही लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र ‘चिराग पासवान उन्हें दो कदम पीछे ले जाते हैं.’ भाजपा आलाकमान पिछले कई दिनों सेेे बिहार में जोर-शोर से ढिंढोरा पीट रहा है कि एनडीए में कोई मनमुटाव नहीं है और बीजेपी जेडीयू और एलजेपी मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगेे. लेकिन सच्चाई यह नहीं है, बल्कि एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान शुरू से ही सीटों के बंटवारे को लेकर आक्रमक मूड बनाए हुए हैं.

हाल ही में जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार के दौरे पर पहुंचे थे तब भाजपा आलाकमान ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि बिहार में एनडीए के बीच सब कुछ ठीक है और कोई मतभेद नहीं है सभी मामले निपटा लिए गए हैं. लेकिन आज बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भाजपा से खुलेआम एक नया सियासी सौदा करने का एलान कर दिया. चिराग के इस सौदेबाजी से भाजपा एक बार फिर पशोपेश में आ गई है. एलजेपी की यह सौदेबाजी इतनी महंगी है कि भाजपा को यह मंजूर नहीं होगा.

बिहार चुनाव का बिगुल बज चुका है, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है. सबसे अधिक रस्साकस्सी एनडीए में ही चल रही है. लोक जनशक्ति पार्टी ने कहा है कि अगर उनकी डिमांड पूरी नहीं होती है तो वह भाजपा और जेडीयू से अलग मैदान में उतर सकते हैं. आइए हम आपको बताते हैं चिराग का यह नया सियासी सौदा, जिसने बिहार से लेकर दिल्ली तक भाजपा केंद्रीय आलाकमान में उथल-पुथल मचा कर रख दी है.

बिहार चुनाव से पहले चिराग के फार्मूले ने भाजपा-जेडीयू की तैयारियों में लगाया पलीता-

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एलजीपी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अब भाजपा और जेडीयू के साथ बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक नया फार्मूला पेश किया है. ‘चिराग पासवान ने अपने नए फरमान में कहा है कि बीजेपी और जेडीयू को 2015 में हुए विधानसभा चुनाव की तरह एलजेपी को इस बार भी 42 सीटें देनी होंगी. चिराग ने आगे कहा अगर 42 सीटें एनडीए एलजेपी को देने में सक्षम नहीं है तो इसके अलावा एक रास्ता यह भी है.

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चिराग का दूसरा सियासी सौदा भी आपको बता देते हैं. एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि एलजेपी को 33 विधानसभा सीटों के साथ बिहार में राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाले 12 एमएलसी में से दो सीटें देनी होंगी. इसके अलावा अक्टूबर के अंत में उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव में एक राज्य सभा सीट की डिमांड भी एलजेपी ने रख दी है. चिराग ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को एक फॉर्मूला यह भी दिया है, इसके तहत अगर उन्हें राज्यसभा की सीट नहीं दी जाती है तो बिहार में एनडीए सरकार बनने पर बीजेपी के साथ-साथ एलजेपी से चिराग पासवान को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए.

बता दें कि रविवार को चिराग ने नीतीश कुमार और जेडीयू पर सवाल उठाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखा थी, चिराग ने चिट्ठी में एनडीए गठबंधन में अब तक कोई भी बातचीत शुरू न होने का मुद्दा उठाया था. चिराग पासवान की लिखी गई चिट्ठी का भाजपा केंद्रीय आलाकमान की ओर से कोई जवाब न आने पर लोक जनशक्ति पार्टी आज आक्रमक तेवर में आ गई है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दलित दांव से चिराग पासवान में है जबरदस्त नाराजगी-

पिछले कई दिनों से चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू सरकार पर हमलावर हैं. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दलितों को रिझाने के लिए पिछले दिनों की गई घोषणा पर चिराग पासवान गुस्साए हुए हैं. चिराग के तेवर को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने राजनीतिक समीकरण को मजबूत करने की कवायद लगातार कर रहे हैं. रविवार को नीतीश कुमार ने एक और सियासी दांव चल दिया, उन्होंने महादलित समुदाय से आने वाले अशोक चौधरी को बिहार के जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. ‘सीएम के इस दांव से चिराग पासवान आग बबूला हो गए हैं.’

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चिराग की नाराजगी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी के पूर्व सहयोगी रहे दलों के ऊपर कुछ भी नहीं कहना है, भाजपा आलाकमान इस मामले को खुद से देख रही है. नीतीश ने कहा कि एनडीए में जो सहयोगी दलों को बचाए रखने का फैसला भाजपा को करना है. बता दें, अब एलजेपी ने बीजेपी के सामने जो शर्तें रखी हैं, उन्हें एनडीए में अमलीजामा पहनाना मुश्किल लग रहा है, ऐसे में चिराग पासवान अपनी अलग सियासी राह भी तलाश रहे हैं. यहां हम आपको बता दें कि एलजेपी बिहार में 2015 के चुनाव में 42 विधानसभा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरकर महज दो सीटें ही जीत सकी थी.

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