उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार का बड़ा फैसला, बेटियों के आत्मनिर्भर होने की दिशा में उठाया अहम कदम

उत्तराखंड में 37 लाख बेटियों/महिलाओं के जीवन में आएगा नया सवेरा, लंबे समय से फैसले का इंतजार कर रही थी महिलाएं, चुनावों से पहले महिला वोटर्स को पक्ष करने की जुगत में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

Trivendra Singh Rawat
Trivendra Singh Rawat

Politalks.News/Uttarkhand. उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की 37 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम फैसला लिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मंत्रिमंडल ने राज्य की सभी बालिग महिलाओं को भूमि का मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है. इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कैबिनेट ने एक कमेटी का गठन भी कर दिया है जो तय करेगी कि महिलाएं भूमि के खातों में किस तरह से खातेदार बनेंगी. सरकार के इस फैसले के बाद उत्तराखंड की आर्थिकी की धुरी माने जाने वाली मां और बालिग बेटियों के आत्मनिर्भर होने की राह खुलेगी.

बकौल कौशिक भूमि पर अधिकार मिल जाने के बाद महिलाएं अपने नाम पर दर्ज संपत्ति पर स्वरोजगार के लिए बैंकों से ऋण ले सकेंगी और वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे. दरअसल राज्य में काम कर रहे स्वयं सहायता समूह में शामिल कई महिलाओं ने सीएम रावत से यह शिकायत की थी कि वे अपने दम पर स्वरोजगार स्थापित करना चाहती हैं लेकिन उनके पास पूंजी नहीं हैं. अपने नाम कोई संपत्ति न होने के चलते काम धंधा शुरू करने के लिए बैंक उन्हें लोन नहीं देते हैं.

इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश की सभी बालिग महिलाओं को भूमिधरी का अधिकार देने की घोषणा कर दी. इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने भी अपनी सहमति दे दी. अब कैबिनेट को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सुझावों के मिलने का इंतजार रहेगा. इस कमेटी में अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री), सचिव राजस्व और सचिव न्याय को शामिल किया गया है. यह कमेटी महिलाओं को संपत्ति में स्वामित्व देने पर विचार करेगी और अगली कैबिनेट की बैठक में अपनी रिपोर्ट रखेगी. महिलाओं को जमीन पर मालिकाना हक मिलने से बालिग बेटियों और महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की राह खुलेगी.

इससे पहले हुई कैबिनेट बैठक में कुल 13 प्रस्ताव आए, जिनमें से 11 को मंजूरी दे दी गई है. कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री मेधावी छात्र पुरस्कार योजना को भी मंजूरी दे दी गई है. इसके तहत प्रदेश सरकार सरकारी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के कला, विज्ञान एव वाणिज्य के अंतिम वर्ष के छात्रों को नकद पुरस्कार देगी.

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स्नातक स्तर पर प्रथम आने वाले छात्रों को 50 हजार, दूसरे नंबर पर आने वाले को 30 हजार और तीसरे स्थान पर आने वाले छात्रा को 15 हजार रुपये की नकदी राशि पुरस्कार में ​दी जाएगी. इसी तरह स्नोतकोत्तर स्तर पर पहले नंबर पर आने वाले छात्र को 75 हजार, दूसरे नंबर पर आने वाले छात्र को 60 हजार और तीसरे नंबर पर आने वाले छात्र को 30 हजार रुपये बतौर पुरस्कार दिए जाएंगे. मेधावी छात्र योजना के तहत सरकार करीब 18 लाख रुपये की धनराशि खर्च करेगी. वहीं प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक ने कोविड-19 महामारी के कारण बंद पड़े उच्च शिक्षण और तकनीकी संस्थानों को खोलने पर फैसला टाल दिया गया है. त्योहारी सीजन के बाद कोविड के प्रभाव को देखने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा. अगली कैबिनेट में इस बात पर विचार किया जाएगा.

वहीं प्रदेश सरकार ने आवास नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले के बाद कृषि भूमि पर आवासीय निर्माण पर रोक की वजह से लटके एक लाख प्रधानमंत्री आवास का रास्ता साफ हो गया है. संशोधन के तहत बिल्डरों को आवासीय कॉलोनियों में कमजोर वर्ग के लिए बनाए जाने वाले घरों को योजना से जोड़ने का निमंत्रण दिया गया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने कृषि भूमि पर आवासीय कालोनी बनाने पर रोक लगा रखी है. अब राज्य सरकार ने 2020 में नीति संशोधन कर यह प्रावधान कर दिया था कि पात्र व्यक्ति अपनी निजी कृषि भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बना सकता है.

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