राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने नरेन्द्र मोदी की सरकार के सामने खुलकर आने का संकेत दे दिया है. वह पिछले दो हफ्ते से मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खेले हुए हैं. वह सरकार के अधीन चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के निजीकरण के खिलाफ आवाज उठा रहा है. इस सिलसिले को जारी रखते हुए उसने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के कर्मचारियों की हड़ताल को समर्थन देने की घोषणा कर दी है.

एएआई के कर्मचारी देश के अच्छी कमाई करने वाले प्रमुख हवाई अड्डों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. मोदी सरकार वाराणसी, रायपुर, इंदौर, भुवनेश्वर, अमृतसर और त्रिचे के हवाई अड्डों के निजीकरण की घोषणा कर रही है. अब त्रिवेन्द्रम, गुवाहाटी और जयपुर के हवाई अड्डों का निजीकरण होने वाला है. बीएमएस ने इन हवाई अड्डों के निजीकरण को रोकने के साथ ही सरकार से हवाई अड्डों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है.

BMS ने आरोप लगाया है कि सरकार AAI को बीमार उपक्रम घोषित करने के लिए हवाई अड्डों के निजीकरण का रास्ता अपना रही है, जो कि विमानन क्षेत्र में काम रहे कर्मचारियों के हित में नहीं है. BMS ने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) कानून में संशोधन करते हुए इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में बदलने का भी विरोध किया है. केंद्रीय श्रम मंत्री के साथ बैठक में बीएमएस के प्रतिनिधि इस योजना पर अपना विरोध जाहिर कर चुके हैं.

BMS का कहना है कि एनपीएस योजना बाजार की परिस्थितियों के देखते हुए जोखिम भरी है. ईपीएस को बहाल करना कर्मचारियों के हित में है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से करवाए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक एनपीएस की बजाय ईपीएस से कर्मचारियों के परिवार को ज्यादा फायदा है.

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