बेनीवाल ने सदन में उठाई दलित हितों के संरक्षण की मांग, जातीय जनगणना पर सरकार को लिया आड़े हाथ

लोकसभा में हुई संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा, आरएलपी सांसद बेनीवाल ने दलित हितों का संरक्षण करने की उठाई मांग, बेनीवाल बोले- 'आरक्षण की विभिन्न मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाए केन्द्र सरकार, जो पिछड़े हैं उन्हें आरक्षण का पहुंचाया जाए लाभ' राजस्थान में हुए दलित अत्याचारों का सदन में किया जिक्र, प्रश्नकाल में ग्राम न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों के पदों पर ST-SC के प्रतिनिधित्व का उठाया मुद्दा

बेनीवाल ने सदन में उठाई दलित हितों के संरक्षण की मांग,
बेनीवाल ने सदन में उठाई दलित हितों के संरक्षण की मांग,

Politalks.News/HanumanBeniwal. RLP संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal, ) ने आज दलितों के संरक्षण की मांग लोकसभा में उठाई. बेनीवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक-2022 की चर्चा में भाग लिया. विधेयक का समर्थक करते हुए बेनीवाल ने दलित हितों के संरक्षण (Protection of Dalit interests) को लेकर कई मुद्दे उठाए. बेनीवाल ने देश के विभिन्न समाजों द्वारा की जा रही आरक्षण की मांग को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार से सकारात्मक रुख अपनाने का आग्रह किया. साथ ही बेनीवाल ने जातीय जनगणना (Caste Census) नहीं करवाने पर केन्द्र सरकार को जमकर आड़े हाथ लिया. सांसद के द्वारा उठाए गए मुद्दों की खुद मंत्री एसपी सिंह बघेल ने तारीफ की.

आरक्षण की विभिन्न मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाए केन्द्र सरकार- बेनीवाल
सांसद बेनीवाल ने देश में हुए विभिन्न आरक्षण आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन, हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन, गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन, राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन, कर्नाटक में लिंगायत आरक्षण आंदोलन, आंध्र में कापू आरक्षण आंदोलन हुए और जब प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं तो प्रधानमंत्री को इन समुदायों के आरक्षण की मांग को लेकर भी सकारात्मक रुख केंद्र को अपनाना चाहिए.

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‘देश आजादी का अमृत वर्ष मना रहा है दूसरी तरफ दलित कर रहे संघर्ष’
सांसद बेनीवाल ने मांग उठाई की हरियाणा, यूपी, राजस्थान के धौलपुर, भरतपुर सहित 9 राज्यों के जाटों को भी केंद्र की नौकरियों में आरक्षण दिया जाए. सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘समाज के कमजोर वर्गो में सबसे प्रतिकूल स्थिति अनुसूचित जातियों व जन जातियों की है तथा संविधान में इन जातियों के बहुमुखी विकास को सुनिश्चित करने व इनकी सभी प्रकार के शोषण से रक्षा करने के लिए प्रावधान बनाए हुए हैं उसके बावजूद इन वर्गों की जो स्थिति है उस पर सदन को चिंतन मनन करने की जरुरत है’. सांसद बेनीवाल ने कहा कि एक तरफ जहां देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं दूसरी तरफ आज भी देश का दलित वर्ग समानता के लिए संघर्ष कर रहा है और तमाम कानूनों के बावजूद दलितों पर बढ़ते अत्याचारों के कोई कमी नहीं आ रही है’.

‘…इतने पद खाली है तो आरक्षण का लाभ ले कौन रहा है?’
सांसद हनुमान बेनीवाल ने सदन में एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि, ‘देश के 23 आईआईटी में दिसंबर 2021 में दिए आंकड़ों के मुताबिक देशभर के आईआईटी में अनुसूचित जनजाति के मात्र 32, अनुसूचित जाति के मात्र 183 और अन्य पिछड़ा वर्ग से मात्र 462 फैकल्टी सदस्य थे, वहीं विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में 31 दिसंबर, 2020 तक अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 34,000 से अधिक पद खाली पड़े रहे थे और जब इतने पद खाली है तो आरक्षण का लाभ ले कौन रहा है?

‘जो पिछड़े हैं उन्हें आरक्षण का पहुंचाया जाए लाभ’
नागौर सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा तैयार किए गए ‘ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन धृतियों का मूल्यांकन, 2019’ सर्वे करवाया था जिसमे यह आंकड़े आए कि देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी परिवार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 21.6 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी), 12.3 फीसदी अनुसूचित जनजाति (एसटी) के हैं. इसी सर्वे ने यह भी दर्शाया है कि एक कृषक परिवार हर महीने औसतन महज 10,218 रुपए कमा पाता है. इसमें से ओबीसी कृषि परिवार और कम 9,977 रुपये, एससी कृषि परिवार 8,142 रुपये और एसटी कृषि परिवार 8,979 रुपये प्रति महीने ही कमा पाते हैं, इसी परिप्रेक्ष्य में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि यह सुनिश्चित किया जाये कि सामाजिक न्याय में कौनसे समुदाय अभी तक पिछड़े है, जहां आरक्षण का लाभ पहुंचाया जा सके’.

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जातीय जनगणना नहीं करवाने पर केन्द्र सरकार को लिया आड़े हाथ
सांसद बेनीवाल ने केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि, ‘लेकिन विडम्बना है कि सरकार ने जाति जनगणना कराने से इनकार कर दिया है, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’है’. बेनीवाल ने मांग करते हुए कहा कि, ‘विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की जल्द से जल्द गिनती हो ताकि सामाजिक न्याय उन वर्गों तक पहुंच पाये’. सांसद ने बाबा साहब आंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘जो अधिकार उन्होंने पिछड़ों और दलितों के लिए संविधान में दिए उसके बावजूद आज दलित भेदभाव व उत्पीड़न का शिकार हो रहे है’

राजस्थान में हुए दलित अत्याचारों का सदन में किया जिक्र
सांसद हनुमान बेनीवाल ने धौलपुर जिले में दलित महिला के साथ उसके पति और बच्चे के सामने हुए सामूहिक दुष्कर्म, अलवर जिले के थानागाजी में हुए सामूहिक दुष्कर्म और अलवर जिले में ही मुख बधिर बालिका के साथ हुए घिनौने कृत्य और पाली जिलें में दलित संविदा कार्मिक की हुई निर्मम हत्या, दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने के प्रकरणों का हवाला देते हुए राजस्थान में बढ़ते दलित उत्पीड़न के मामलों की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित किया.

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ग्राम न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों के पदों पर ST-SC के प्रतिनिधित्व का उठाया मुद्दा
सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रश्नकाल में राजस्थान में संचालित ग्राम न्यायालयों में न्यायिक अधिकारी के पद पर अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति महिला तथा अन्य वर्गों को न्यायधिकारी के पद पर समुचित प्रतिनिधित्व देने के विषय के लेकर सरकार से जानकारी चाही जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय विधि एवम न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि, ‘राजस्थान में 45 अधिसूचित ग्राम न्यायालयों में सभी न्यायालय कार्यरत हैं’. वहीं मंत्री ने केंद्र व राज्य की कमेटी में होने वाले सदस्यों का हवाला देते हुए कहा कि, ‘केंद्र समय समय पर वहां न्यायालयों में आरक्षित वर्ग को मिलने वाले प्रतिनिधित्व की समीक्षा भी करता है’.

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