गहलोत को हर 15वें दिन जनता को बताना पड़ता है कि CM मैं ही रहूंगा- जाखड़ के निशाने पर पार्टी दिग्गज

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने न सिर्फ पार्टी को कहा गुड लक एंड गुड़ बाय बल्कि आलाकमान पर भी साधा निशाना, अंबिका सोनी, हरीश रावत को बताया पार्टी का बंटाधार का जिम्मेदार तो वहीं पार्टी से झगड़े में सचिन पायलट को भी लपेटा तो सीएम अशोक गहलोत की बटोरनी चाही सहानुभूति

'खटिया पर नजर आ रही है कांग्रेस'
'खटिया पर नजर आ रही है कांग्रेस'

Politalks.News/SunilJakhar. एक तरफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राजस्थान के उदयपुर में नव संकल्प चिंतन शिविर के जरिए खुद को मजबूत करते हुए पार्टी को रिशेप करने में जुटी है, तो वहीं दूसरी तरफ शिविर के दूसरे दिन पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने पार्टी को बड़ा झटका देते हुए कांग्रेस छोड़ने का एलान कर दिया है. यहीं नहीं सुनील जाखड़ ने शनिवार को अपने दिल की बात कहते हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर पर तो सवाल उठाए साथ ही साथ कांग्रेस के कई दिग्गजों पर जमकर निशाना साधा. सुनील जाखड़ ने अपने फेसबुक पेज पर लाइव कर पार्टी के नाम एक सन्देश दिया और कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी खटिया पर नजर आ रही है, गुड लक एंड गुड बाय टू कांग्रेस पार्टी.’ पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष ने कांग्रेस में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर की जा रही राजनीति पर सवाल उठाए और आलकमान पर निशाना साधा. यहीं नहीं सुनील जाखड़ राजस्थान में 2020 में आए राजनीतिक संकट को लेकर भी सवाल उठाए.

पार्टी दिग्गजों पर उठाए सवाल
शनिवार को जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता नव संकल्प चिंतन शिविर के दूसरे दिन पार्टी की मजबूती के लिए अहम मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं तो वहीं पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी से इस्तीफा देकर पार्टी को बहुत बड़ा झटका दे दिया है. अपने फेसबुक पेज पर LIVE आकर जाखड़ ने कांग्रेस के चिंतन शिविर पर तो सवाल उठाए ही इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की सलाहकार, अंबिका सोनी, पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत सहित अन्य नेताओं पर भी जमकर निशाना साधा. सुनील जाखड़ ने कहा कि, ‘आज कांग्रेस से नाता तो टूट गया परन्तु 50 साल का जो रिस्ता था उसकी टीस मुझे आज भी है.’

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चिंतन शिविर है महज औपचारिकता
कांग्रेस के चिंतन शिविर पर सवाल उठाते हुए जाखड़ ने कहा कि, ‘उदयपुर में जो कुछ भी हो रहा है उसको देख कर पार्टी पर तरस आ रहा है. आज जब मैं पार्टी से नाता तोड़ रहा हूँ तो मेरा भी नाता बनता है की मैं अपनी पार्टी के लिए कुछ कहूँ उसे एक गिफ्ट दूँ. कल मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भाषण सुना वो महज एक औपचारिकता थी. आज के समय जब पार्टी को बचाने का है उस समय हम इस तरह से बर्ताव कर रहे हैं जैसे देश के राष्ट्रीय दायित्वों का जिम्मा कांग्रेस पार्टी पर है. समितियां बनाई गई हैं लेकिन मेरा मानना है की कांग्रेस आज एक मुख्य विपक्षी पार्टी है और हमारा ये फर्ज भी बनता है कि, देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारी एक राय हो परन्तु यहाँ हो ये रहा है कि, घर को सजाने का तस्सवुर तो है बहुत, पहले ये तो तय हो घर को बचाये कैसे.’

हरीश रावत ने कर दिया पंजाब-उत्तराखंड में कांग्रेस का बंटाधार
सुनील जाखड़ ने आगे कहा कि, ‘आलाकमान की कांग्रेस को बचाने की नियत होती तो मात्र औपचारिकता ना होकर उदयपुर में चिंतन होता.’ सुनील जाखड़ ने आगे कहा कि, ‘चर्चा इस बात की होनी चाहिए कि पंजाब और उत्तराखंड में जहां चुनाव से पहले कांग्रेस की सरकार बन रही थी तो वहां ऐसा क्या हुआ कि हम दोनों ही जगह हार गए. समझ तो ये नहीं आया कि चुनाव के अंत तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री चेहरे हरीश रावत का एक पैर देहरादून भेजा और दूसरा पंजाब में था. उन्हें क्या सोच के पंजाब का प्रभारी बनाया गया था समझ से परे है. क्या उनकी मंशा सिर्फ इतनी सी थी कि हम तो डूबे हैं सनम तुमको भी ले डूबेंगे. अगर आज उत्तराखंड में हरीश रावत की हार हुई है तो उसके जिम्मेदार वो खुद हैं.’

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अंबिका सोनी ने लगाया पंजाब के माथे पर कलंक
अंबिका सोनी पर निशाना साधते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि, ‘कांग्रेस नेतृत्व चापलूसों से घिरा हुआ है. इसकी वजह से कांग्रेस का नुकसान हो रहा है. सोनिया गांधी जी आपकी सलाहकार अम्बिका सोनी जी कि एक जुबान ने ना सिर्फ कांग्रेस का तो बंटाधार किया है परन्तु उन्होंने पंजाब के माथे पर कलंक लगाया, सिखों के माथे पर कलंक लगाया है. उन्होंने हिन्दुओं को बदनाम किया है. क्या ऐसे नेता का कांग्रेस में बने रहने का कोई हक़ है. उनका ये बयान कि, ‘पंजाब में अगर एक हिन्दू मुख्यमंत्री बनता है तो पंजाब में आग लग जायेगी,’ हिन्दू सिख भाईचारे में दरार डालने की कोशिश सोनी जी ने की है. मैंने एक बात साफ़ कहना चाहता हूँ पंजाब कांग्रेस का बेड़ागर्क दिल्ली में बैठे उन नेताओं ने किया है जिन्हें पंजाबियत और पंजाब के लोगों की समझ ही नहीं है.’ मेरा ऐसा मानना है कि जब तक आप इन पिछलग्गुओं से पीछा नहीं छुड़ाएंगे तब कांग्रेस का भला नहीं हो सकता.’

वहीं खुद को मिले नोटिस का जिक्र करते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि, ‘पार्टी ने मुझे नोटिस थमा दिया और कहा कि सुनील जाखड़ को पार्टी के सभी पदों से निष्काषित किया जाता है. लेकिन मैं ये पूछना चाहता हूँ कि सुनील के पास पद थे कौनसे. अपने मुझसे संबंध नहीं तोड़ा दिल तोड़ा है. 50 साल से मेरी तीन पीढ़ियों ने कांग्रेस के साथ काम किया लेकिन आपको मुझसे बात करने में शर्म आ रही थी मुँह उठाया और मुझे नोटिस भेज दिया क्यों.’ इस दौरान सुनील जाखड़ ने इशारों इशारों में राजस्थान के सियासी घटनाकर्म का भी जिक्र किया और सचिन पायलट का बिना नाम लिए निशाना साधा.

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जो मानेसर जाकर महीने तक रुके रहे उन्हें क्यों नहीं मिला नोटिस
सुनील जाखड़ ने कहा कि, ‘पंजाब में हरीश रावत को तो भेजा ही इसीलिए गया था कि कैसे कैप्टेन अमरिंदर सिंह को हटाया जाए. अभी कुछ दिन पहले नवजोत सिंह सिद्धू को भी नोटिस भेजा गया. सिद्धू को नोटिस इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने पहले कैप्टन अमरिंदर सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और उसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ आवाज उठाई. लेकिन राजस्थान में ऐसा क्यों नहीं किया गया. मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बड़ा आदर करता हूँ. मैं अशोक गहलोत जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या आपकी सरकार को असंतुलित मैंने कर रखा है या सिद्धू ने कर रखा है, जो हम दोनों को नोटिस दिया गया है. आपको तो हर 15वें दिन राजस्थान की जनता को ये बताना पड़ता है कि मैं अभी मुख्यमंत्री रहूंगा और जो लोग मानेसर में जाकर महीने तक रुके रहे, आपकी सरकार के ऊपर ED की रैड करवाई, लेकिन भगवान की दया से आप बच निकले, क्या उन लोगों को नोटिस नहीं जाना चाहिए ? कांग्रेस अध्यक्ष ने तो उन लोगों को मंत्रणा के लिए उदयपुर बुलाया है.’

यही नहीं सुनील जाखड़ ने राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि, ‘वह पार्टी की बागडोर अपने हाथों में ले. साथ राहुल गांधी चापलूसों से खुद को दूर रखने का भी काम करें.’ अब आखिरी में मैं कांग्रेस को गुड लक और अलविदा कहता हूँ. बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में सुनील जाखड़ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी. उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया था. पंजाब कांग्रेस ने उन्हें 2 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड करने की सिफारिश की थी, जिस पर सोनिया गांधी को फैसला लेना था.

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