Politalks.News/Rajasthan. गुरुवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएम आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चिकित्सा महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ आयोजित बैठक को संबोधित किया. इस दौरान सीएम गहलोत ने राज्य में जारी बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं का जिक्र करते हुए प्रदेश सरकार की पीठ थपथपाई और साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में जारी लूट खसोट के खेल पर चिंता जताई. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने लूट मचा रखी है. उन्हें लूट मचाने की छूट नहीं दी जा सकती.’ यही नहीं सीएम गहलोत ने राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में फैली गंदगी को लेकर को लेकर कहा कि, ‘मैं खुद जब SMS अस्पताल में एडमिट था तो वहां फैली गंदगी को देखकर मुझे खुद को शर्म आ गई.’ वहीं सीएम गहलोत के इस बयान के सामने आने के बीजेपी नेता एवं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सवाल उठाते हुए कहा कि, ‘राज्य के मुखिया का शर्मिंदा होना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे है और सरकार के तमाम दावे झूठे हैं.’
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आवास पर गुरुवार को राज्य में क्रियाशील एवं नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक की. इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता एवं संवेदनशीलता के साथ प्रदेशवासियों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रही है. बैठक के दौरान प्रदेशभर के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्राचार्यों से सीएम गहलोत ने संवाद किया व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं पर फीडबैक लिया. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्राइवेट अस्पतालों पर जमकर निशाना साधा.
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सीएम गहलोत ने प्राइवेट अस्पतालों द्वारा खेले जा रहे लूट खसोट के खेल का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने लूट मचा रखी है लेकिन उन्हें किसी भी कीमत पर इसकी छूट नहीं दी जा सकती. हम राइट-टू-हेल्थ का बिल लेकर आए थे, उसका भी प्राइवेट अस्पताल वालों ने विरोध किया. दूसरे राज्य के मरीज का एक्सीडेंट हो जाए तो उसका इलाज करना क्या हमारी ड्यूटी नहीं बनती? उसमें इन्हें क्या तकलीफ हो रही है मुझे ये समझ नहीं आ रहा है? प्राइवेट अस्पताल वालों को मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए हर चीज को समझना चाहिए. वे लोग इतना पैसा कमाते हैं, कुछ तो उन्हें सेवा के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को अपना बिजनेस बना रखा है, यह अच्छी बात नहीं है.’
वहीं मेडिकल कॉलेज द्वारा ली जा रही भारी भरकम फीस को लेकर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिंता जताई. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘डॉक्टरों के बेटे-बेटी जाते हैं तो भी कैपिटेशन फीस मांग लेते हैं वो लोग. पीजी करने में पता नहीं एक करोड़, दो करोड़ कितना लेते हैं. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज वाले बाद में यूनिवर्सिटी खोल लेते हैं, उन्हें कोई पूछ नहीं सकता. ये सब बातें देखनी चाहिए. इन्हें इतनी छूट नहीं दे सकते. हमें देखना पड़ेगा कि इनके कितने खर्चे आ रहे हैं. मेडिकल कॉलेज वाले आज लाखों में फीस लेते हैं.’ इस दौरान सीएम गहलोत ने बताया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों के प्रभावी प्रबंधन, साफ-सफाई व रखरखाव के लिए ‘कोड ऑफ कन्डक्ट’ लागू करने के निर्देश दिए हैं.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह में फैली गंदगी एवं अव्यवस्थाओं पर चिंता जाहिर की. सीएम गहलोत ने बताया कि, ‘जब मैं खुद SMS अस्पताल के जिस वार्ड में भर्ती था तब मुझे वहां बड़ी शर्म आई. मेरे लिए तो अस्पताल प्रशासन ने अलग से व्यवस्थाएं कर दी लेकिन बाकी जो मरीज थे वो वहां पर गंदगी देखकर तरह तरह के कमेंट कर रहे थे. अस्पताल में फैली गंदगी को लेकर मुझे भी शर्म आ गई कि ये क्या है.’ इस दौरान सीएम गहलोत ने सरकारी अस्पतालों में गंदगी और जर्जर अस्पताल भवनों को लेकर पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव और जिम्मेदार अफसरों को एक महीने में सर्वे करने के आदेश दिए. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘सरकारी अस्पतालों की बिल्डिंग के मेंटेनेंस का काम पीडब्ल्यूडी खुद आगे आकर करे. पीडब्ल्यूडी देखे कि किस अस्पताल बिल्डिंग की हालत बिगड़ी हुई है.’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव नवीन महाजन और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया से कहा कि, ‘अस्पतालों की जर्जर बिल्डिंग का सर्वे का काम एक महीने में पूरा कर लीजिए. इसकी प्रायरिटी तय करके बजट की डिमांड का नोट तैयार करके वित्त विभाग को भेज दीजिए. तभी यह सुधाार हो पाएगा.’ वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सवाई मानसिंह अस्पताल में गंदगी को लेकर दिए गए बयान पर बीजेपी नेता एवं विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने चुटकी ली.
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राजेंद्र राठौड़ ने एक खबर की प्रति शेयर करते हुए ट्वीट करते हुए लिखा, ‘इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस में गंदगी देखकर शर्मिंदा होना पड़ा वो भी तब जब वह स्वयं अस्पताल में भर्ती थे. मरीजों के बाद अब तो खुद मुख्यमंत्री जी ने अस्पतालों में व्याप्त गंदगी और अपनी ही सरकार में चरमराई चिकित्सा व्यवस्था की कलई खोल दी है. राज्य के मुखिया का शर्मिंदा होना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे है और सरकार के तमाम दावे झूठे हैं.’