तीसरी लहर के खतरे के बीच स्कूल खोलने के फैसले पर उठे सवाल, बीजेपी ने बताया तुगलकी फरमान

कोरोना की तीसरी लहर का मंडराता खतरा, स्कूल खोलने के फैसले पर उठ रहे सवाल, बीजेपी के निशाने पर गहलोत सरकार, बीजेपी ने बताया- तुगलकी फैसला, जड़ा आरोप- निजी स्कूलों के दबाव में लिया फैसला, सोशल मीडिया पर भी अभिभावकों का फूटा गुस्सा, कुछ ने बताया बेहतर फैसला

सरकार के फैसले पर हैरान अभिभावक
सरकार के फैसले पर हैरान अभिभावक

Politalks.News/Rajasthan. एक तरफ जहां कोरोना का तीसरी लहर आने की बात हो रही है, दूसरी तरफ गहलोत सरकार ने स्कूल खोलने का ऐलान कर दिया है. अशोक गहलोत सरकार ने कोरोना का असर कम होने के साथ ही दो अगस्त से स्कूल खोलने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में स्कूल, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में कक्षाएं शुरू करने का फैसला किया गया. हालांकि इसकी एसओपी आना अभी बाकी है.मगर इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. घरों, मोहल्लों और चौराहों पर इस फैसले को लेकर चर्चाएं हो रही है. कोई इस फैसले को सही बता रहा है कोई इस जल्दबाजी बता रहा है. फैसले के पक्ष में उतरे अभिभावकों का कहना है कि कोविड
प्रोटोकॉल की पालना और सभी सावधानियों को बरतते हुए शिक्षण संस्थाओं को खोला जाए. सरकार के इस फैसले के बाद परिजन और स्कूल प्रबंधन दोनों ही असमंजस की स्थिति में है. कितने बच्चे स्कूल आएंगे. कैसे पढ़ाया जाएगा ये सभी सवाल मन में घूम रहे हैं. भाजपा के दो पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और कालीचरण सराफ ने सवाल उठाए हैं. सराफ ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर इस फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है.
‘डोटासरा का शिक्षा से नहीं वास्ता, तुगलकी फैसला’- देवनानी
पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक देवनानी ने कांग्रेस अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री डोटासरा पर हमला करते हुए कहा कि, ‘शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का शिक्षा से कोई वास्ता नहीं और वो शिक्षा के बारे में सोचते भी नहीं है. डोटासरा को आरएसएस और मोदी फोबिया हो गया है. वे कई तुगलकी फैसले करते आए हैं. स्कूल खोलने का फैसला भी बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालने वाला है. सब चाहते हैं कि स्कूल भी खुले और पढ़ाई का दौर भी शुरू हो, लेकिन स्कूल कब खुले और किस रूप में खुले इस बारे में सरकार को परिजनों और शिक्षक संगठनों से भी चर्चा करना चाहिए थी. मगर सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया.

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निजी स्कूलों के दबाव में लिया निर्णय- कालीचरण सर्राफ
वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री रहे और विधायक कालीचरण सराफ ने इस निर्णय को अविवेकपूर्ण करार देते हुए आरोप लगाया कि, ‘निजी स्कूल संचालकों के दबाव में सरकार ने यह फैसला किया है. सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है. सराफ ने कहा कि दबाव एवं जल्दबाजी में लिए गए सरकार के इस इस निर्णय से बच्चों और अभिभावकों में तनाव-चिंता के साथ आक्रोश भी है. लोग अपने बच्चों को घर से बाहर भी नहीं निकलने दे रहे हैं तो ऐसे में संक्रमण के मंडराते खतरे के बीच 8-9 घण्टे के लिए बच्चे स्कूल भेजना अभिभावकों के लिए अत्यंत कष्टदायक होगा. काली चरण सराफ ने सीएम से मांग की है कि कैबिनेट के फैसले को तुरंत वापस लेने के आदेश देकर प्रदेश के लाखों अभिभावकों और बच्चों को चिंता व तनाव से मुक्त करें.
क्या कहा शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि, ‘2 अगस्त से सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूलों में कक्षाएं शुरू की जाएंगी. बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा. एक्सपर्ट्स ने राय दी है कि छोटे बच्चों को खतरा नहीं है. कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाएगा. आगे कोई दिक्कत आएगी, तो देख लिया जाएगा. पर एक बार सभी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा.

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सोशल मीडिया पर भड़के अभिभावक
सोशल मीडिया पर भी स्कूल खोलने के फैसले पर यूजर्स आग बबूला हैं. यूजर्स ने लिखा है कि, ‘कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना के बीच सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला लिया ताकि स्कूल प्रशासन फीस कलेक्शन तीसरे लोकडॉउन से पहले कर सके. स्कूल फीस कलेक्शन के लिए खुल रहे है ना कि पढ़ाई के लिए.एक अन्य यूजर ने लिखा कि, ‘कोरोना की दूसरी घातक लहर के सदमे से अभी तक कई परिवार उभर नही पाए है. ऐसे में स्कूल खोलने का फैसला जल्दबाज़ी है. तीसरी लहर का संकट सिर पर मंडरा रहा है. ऐसे में इस निर्णय पर सरकार को एक बार पुनः विचार करना चाहिए.

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