राजद्रोह का मामला हटने के बाद संजीवनी क्रेडिट मामले में भी गजेन्द्र सिंह को बड़ी राहत, HC ने लगाई रोक

हाइकोर्ट ने जयपुर महानगर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के 21 जुलाई को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े मामले में गजेन्द्र सिंह शेखावत व अन्य के खिलाफ एसओजी से अनुसंधान कराने के आदेश की पालना पर रोक लगा दी

Credit Society Scam Jaipur Court Directs Probe Into Complaint Against Gajendra Shekhawat
Credit Society Scam Jaipur Court Directs Probe Into Complaint Against Gajendra Shekhawat

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच केंद्रीय मंत्री और जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को लगातार दूसरे दिन बड़ी राहत मिली है. मंगलवार को जहां विधायक खरीद फरोख्त मामले में SOG द्वारा राजद्रोह का मामला वापस ले लिया वहीं बुधवार को हाइकोर्ट ने जयपुर महानगर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के 21 जुलाई को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े मामले में गजेन्द्र सिंह शेखावत व अन्य के खिलाफ एसओजी से अनुसंधान कराने के आदेश की पालना पर रोक लगा दी.

याचिकाकर्ता केवल चंद डकलिया की याचिका पर करीब सवा दो घंटे सुनवाई के बाद न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने बुधवार को यह आदेश दिया. इस दौरान कोर्ट ने जहां केवल चंद की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया, वहीं पीडि़त व्यक्तियों का पक्ष सुनने की भी मंशा जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि नामित व्यक्तियों का पक्ष सुने बिना पीड़ित की निगरानी पर एडीजे कोर्ट का आदेश प्रथम दृष्टया कानून के विपरीत है, इस कारण एडीजे कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश की पालना पर रोक रहेगी.

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बता दें, एसओजी की जयपुर ईकाई पिछले साल से संजीवनी क्रेडिट घोटाले की जांच कर रही है. इस संबंध में प्राथमिकी 23 अगस्त 2019 को दर्ज की गई थी. संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की मुख्य शाखा जोधपुर से संचालित होती थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर रिविजन के मुताबिक उन्होंने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में लाखों रुपये जमा कराए थे. सोसायटी ने यह पैसा गजेंद्र सिंह शेखावत और इनके सहयोगियों की कंपनियों में लगाया था. इस बीच, सोसायटी करोड़ों रुपयों के घोटाले में फंस गई. इस घोटाले की एसओजी ने जांच की थी. जांच कर रही एसओजी ने मामले में इनके खिलाफ जांच लंबित रखकर कोर्ट में चालान पेश कर दिया था. एसओजी ने मामले के संबंध में दाखिल आरोपपत्र में शेखावत का जिक्र नहीं किया. लेकिन बाद में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने आरोपपत्र में उनका नाम शामिल करने की एक अर्जी भी खारिज कर दी थी

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत का रुख किया. याचिकाकर्ता गुमान सिंह और लाबू सिंह ने कोर्ट में रिवीजन प्रार्थना-पत्र लगाया. मजिस्ट्रेट अदालत में दी अर्जी में दोनों शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि प्राथमिकी में धन के जिस लेनदेन का जिक्र है वह मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की कंपनियों से जुड़ा है. इस प्रार्थना-पत्र पर सुनवाई के बाद 21 जुलाई को एडीजे कोर्ट ने केन्द्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ साफजांच के आदेश जारी किये हैं.

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बुधवार को हाइकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान पीड़ित लाबू सिंह के वकील ने याचिकाकर्ता केवल चंद डकलिया को प्रॉक्सी कहा, तो डकलिया के वकील वीआर बाजवा ने पीड़ित पर राजनीति से प्रेरित होकर शिकायत करने का आरोप लगाया. राजनीति प्रेरित होने का आरोप लगने पर सरकारी पक्ष की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने आपत्ति की, जिसके बाद बाजवा ने कहा कि उनका आरोप एसओजी पर नहीं है. वहीं डकलिया की ओर से अधिवक्ता वीआर बाजवा ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता का पक्ष सुना ही नहीं गया है. इसके अलावा कथित पीडित व्यक्ति मामला दर्ज होने के महीनों बाद उस समय कोर्ट आया है, जब राजनीतिक माहौल गर्म है, इसलिए मामला राजनीति प्रेरित है. डकलिया के वकील के तकनीकी सवाल उठाने पर पीड़ित लाबू सिंह की ओर से कहा गया कि गरीब की कहीं सुनवाई नहीं होगी क्या, इस मामले में गजेन्द्र सिंह का नाम है. यह भी सवाल उठाया कि 15 करोड़ की कंपनी के 100 करोड़ के शेयर कैसे ट्रांसफर हुए.

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