Politalks.News/Gujarat. सियासत करने का अपना अलग अंदाज दिखाते हुए बीजेपी के कर्ता-धर्ता पीएम मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बना कर एक बार फिर सभी को चौंका दिया है. बता दें, गुजरात के मुख्यमंत्री के लिव कई नामों पर चर्चा थी, वहीं भूपेंद्र पटेल का नाम रेस में कहीं नजर नहीं आ रहा था. लेकिन भूपेन्द्र पटेल को गुजरात की कमान सौंपने के इस फैसले के साथ मोदी-शाह का सरप्राइज फैक्टर फिर कायम रहा. वैसे भाजपा ने दो दिन में दो बार चौंकाया है! पहले अचानक विजय रुपाणी का इस्तीफा लेकर और फिर गुजरात को एकदम नया चेहरा देकर.
अब हम आपको सबसे मजे की बात बताते हैं, हालांकि अविश्वसनीय है लेकिन बताया जा रहा है की खुद भूपेन्द्र पटेल को भी नही पता था कि विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव आने वाला है. पहली बार के विधायक होने के नाते विधायक दल की बैठक में भूपेंद्र पटेल सबसे पीछे की लाइन में बैठे थे. अपने नाम का प्रस्ताव आने के बाद पटेल स्टेज पर आए.
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पहली बार के विधायक बने हैं भूपेंद्र पटेल
राज्यपाल नियुक्त होने से पहले आनंदीबेन पटेल ने घाटलोडिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. आनंदीबेन के राज्यपाल नियुक्त होने के बाद घाटलोडिया से पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार शशिकांत पटेल को एक लाख 17 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था, जो 2017 के गुजरात चुनावों में सबसे अधिक जीत का अंतर था. आपको बता दें, भूपेंद्र पटेल पाटीदार समुदाय के सदस्य हैं. पटेल ने अहमदाबाद में मेमनगर नगरपालिका के अध्यक्ष, अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष और अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के पदों पर भी कार्य किया है. आपको बता दें, अहमदाबाद के शिलाज इलाके के निवासी 59 वर्षीय भूपेंद्र पटेल ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है.
इस तरह भारतीय जनता पार्टी ने 24 घंटे से कम समय में गुजरात के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया है. लेकिन गुजरात से जितनी आश्चर्यजनक पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की विदाई रही, उतना ही चौंकाने वाला रहा नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का नाम भी. मोदी-शाह और नड्डा की अगुवाई वाली बीजेपी ने यहां भी ‘सरप्राइज‘ फैक्टर को बरकरार रखा. वो सरप्राइज फैक्टर जो मोदी-शाह ब्रांड बीजेपी की राजनीति का ट्रेडमार्क बन चुका है. आपको बता दें, भूपेंद्र पटेल को आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है. वहीं सदा से बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ता रहे भूपेंद्र पटेल अमित शाह के भी करीबी नेताओं में गिने जाते हैं.
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24वें घंटे तक कई नाम आए मुख्यमंत्री की रेस में
शनिवार को जब विजय रुपाणी ने कुर्सी छोड़ी तो उसी समय से कई नाम गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मीडिया और सोशल मीडिया में चल रहे थे. कभी नितिन पटेल को विजय रुपाणी का उत्तराधिकारी माना जा रहा था तो कभी चर्चा हो रही थी कि पीएम नरेंद्र मोदी केंद्र से स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को गुजरात में बतौर सीएम नई जिम्मेदारी दे सकते हैं. 24 घंटे में मीडिया, सोशल मीडिया और सियासत की गप्पों और कयासबाजियों में कई चेहरे सीएम पद की रेस के लिए उभरे. कभी गोरधन झड़पिया का पलड़ा लोगों ने भारी बताया तो कभी गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल इस रेस में आगे नजर आए. यहां तक कि मुख्यमंत्री पद की रेस में 23वें घंटे में तो एक और नाम अचानक से आया और ये नाम था रणछोड़ फालदू, रणछोड़ फालदू गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके थे और वे जामनगर से विधायक भी थे.
वहीं गुजरात भाजपा के सूत्रों की मानें तो दिल्ली से गांधीनगर तक मनसुख मांडविया का नाम चला, लेकिन नितिन पटेल ने वीटो लगा दिया और पार्टी छोड़ने तक की बात बढ़ गई. इसको देखते हुए ना नितिन और न ही मनसुख का नाम आगे लिया गया, और इस तरह नाम आया भूपेंद्र पटेल का! पीएम मोदी और अमित शाह ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के गढ़ गुजरात में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री की अहम जिम्मेदारी दी है. हालांकि पटेल नाम दूर दूर तक इस चर्चा में नहीं था. हां इतना तो तय है कि दिल्ली से मोदी-शाह का मैसेज लेकर अहमदाबाद में बीजेपी दफ्तर ‘कमलम‘ गए भूपेंद्र यादव को भूपेंद्र पटेल की इस ताजपोशी का अंदाजा जरूर था.
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अब भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी पावर बेलेंस की. विजय रुपाणी, नितिन पटेल, मनसुख मांडविया और सीआर पाटिल को दरकिनार कर भाजपा आलाकमान ने पहली बार के विधायक बने भूपेंद्र पटेल को सत्ता सौंपी है. हालांकि लोगों का कहना है कि गुजरात में मोदी शाह को वो व्यक्ति चाहिए था जो कहे काम को पूरा कर दे, चुनाव कैसे जीतना है वो दोनों जानते हैं.