एक जाजम पर नहीं आया यादव परिवार, तमतमाए चाचा बोले- नेताजी ने पढ़ाया है तो सिखाई है कुश्ती भी

यूपी की सियासत में एक ही सवाल- क्या चाचा-भतीजा होंगे एक? मुलायम के 84वें जन्मदिन पर एक मंच पर आने की थी तैयारी, लेकिन धरी रह गई आस, अखिलेश ने लखनऊ में कटवाया केक, अकेले पड़े चाचा शिवपाल ने सैफई में करवाया दंगल, अखिलेश को दिया एक हफ्ते का अल्टीमेटम

मुलायम का आशीर्वाद किसके साथ?
मुलायम का आशीर्वाद किसके साथ?

Politalks.News/Uttarpradesh. उत्तरप्रदेश की सियासत में आज का दिन बदलाव की बड़ी बयार वाला साबित हो सकता था लेकिन हुआ नहीं. सियासी जानकार आज समाजवादी चाचा-भतीजे में सुलह की अटकलें लगा रहे थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है. अब बड़ा सवाल ये गूंज रहा है कि क्या मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद हासिल करने में उनके छोटे भाई शिवपाल यादव पीछे रह गए हैं? सोमवार को समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के मौके पर सामने आईं तस्वीरें तो कुछ ऐसा ही संकेत देती हैं. भतीजे अखिलेश यादव ने जहां लखनऊ में केक कटवाया तो वहीं चाचा शिवपाल ने सैफई में दंगल करवाया.

लखनऊ स्थित सपा के पार्टी मुख्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के 83वें जन्मदिन के मौके पर बेहद करीब नजर आए. अखिलेश ने पहले शॉल ओढ़ाकर नेताजी का सम्मान किया और फिर हाथ पकड़कर केक कटवाया. दोनों के बीच इस दौरान गजब की बॉन्डिंग देखने को मिली और मुलायम सिंह यादव बेटे को आशीर्वाद देते नजर आए. इस दौरान अखिलेश के करीबी कहे जाने वाले परिवार के ही एक और सदस्य राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव भी मौजूद रहे.

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शिवपाल का एक हफ्ते वाला अल्टीमेटम
लखनऊ में एक तरफ सपा मुख्यालय में अखिलेश यादव ने धूमधाम से पिता का जन्मदिन मनाया तो वहीं दशकों तक नेताजी के साथ परछाईं की तरह रहने वाले शिवपाल यादव अकेले सैफई में मौजूद थे. शिवपाल ने गांव में ही नेताजी के जन्मदिन के मौके पर केक काटा और भाषण में एक तरफ सबको शुभकामनाएं दीं. इस दौरान अखिलेश को अल्टीमेटम देते हुए शिवपाल यादव ने साफ कहा कि, ‘यदि अखिलेश यादव एक सप्ताह के भीतर उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ विलय या फिर गठबंधन को लेकर फैसला नहीं लेते हैं तो फिर वह लखनऊ में सम्मेलन बुलाएंगे और आगे की रणनीति पर फैसला लेंगे. हम चाहते हैं कि 2022 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सत्ता में जरूर आए’.

‘नेताजी ने हमको पढ़ाया तो सिखाए हैं कुश्ती के दांव
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शिवपाल सिंह ने दो टूक वाले लहजे में कहा कि, ‘नेताजी ने हमको पढ़ाया है तो कुश्ती के दांव भी सिखाए हैं. राजनीति के बारे में भी बहुत कुछ सीखा है. एकता में ताकत होती है. परिवार में बिखराव होता है तो बहुत कमियां आती हैं. प्रसपा प्रमुख ने कहा कि,’हम अपने समर्थकों के लिए 100 सीटें चाहते थे, लेकिन हम अब पीछे हट गए. हम ही झुक गए. आज दो साल हो गए यह बात कहे हुए, लेकिन कोई बात अभी तक फाइनल नहीं हुई’.

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भाई नहीं, बेटे के साथ हैं नेताजी!

एक दौर में मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी रहे शिवपाल यादव का अकेले सैफई में जन्मदिन मनाना इस बात का संकेत देता है कि परिवार में अब भी सब कुछ ठीक नहीं है. इसके अलावा अखिलेश भी उन्हें फिलहाल भाव देने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. लखनऊ में अपने संबोधन में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी को मजबूत करने की बात कही और युवाओं से क्रांति में हिस्सा लेने को कहा, लेकिन शिवपाल यादव का कोई जिक्र नहीं किया. यही नहीं दोनों दलों के बीच किसी तरह के समझौते या फिर बिखराव को रोकने को लेकर भी कुछ नहीं कहा. इससे यही संकेत मिलता है कि शायद मुलायम सिंह का आशीर्वाद छोटे भाई से ज्यादा बेटे के साथ है.

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