Politalks.News/HaryanaPolitics. हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है. प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है. बता दें, इन दो सीटों के लिए देश के तीन राज्यों (हरियाणा, दिल्ली और छत्तीसगढ़) में हलचल मची हुई है. क्रॉस वोटिंग और खरीद-फरोख्त की आशंका के मद्देनजर कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटी है. कांग्रेस ने पार्टी के दिग्गज नेता अजय माकन को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने अपने पूर्व परिवहन मंत्री और पांच बार के विधायक कृष्ण पंवार को प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा एक मीडिया ग्रुप के मालिक कार्तिकेय शर्मा भी मैदान में हैं. कार्तिकेय भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुराने दोस्त और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे हैं. इनका अपना कोई राजनीतिक इतिहास नहीं है लेकिन कार्तिकेय को भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) सहित कुछ निर्दलीयों का समर्थन हासिल है.
ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि हरियाणा में छह साल पुराना इतिहास दोहराता जा सकता है. छह साल पहले 2016 के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पास विधानसभा की 15 सीटें थीं और 19 सीट के साथ इंडियन नेशनल लोकदल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी. भाजपा के 47 विधायक थे. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और इनेलो ने जाने माने वकील आरके आनंद को साझा उम्मीदवार के तौर पर उतारा था. लेकिन भूपेंदर हुड्डा को आरके आनंद पसंद नहीं थे. इसे देखते हुए भाजपा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सुभाष चंद्रा को उतार दिया. उन्होंने कमाल किया. एक सीट जीतने के लिए 31 वोट की जरूरत थी, लेकिन ऐसा खेला हुआ कि वे 22 वोट लेकर जीत गए और आरके आनंद 21 वोट लेकर हार गए.
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जानकारों की मानें तो एक बड़ी रणनीति के तहत कांग्रेस के 14 विधायकों के वोट अवैध करा दिए गए थे. सियासी कूटनीति का यह खेल भाजपा ने चुनाव अधिकारियों से मिल कर कराया या कांग्रेस के सबसे बड़े नेता ही इस खेल में शामिल थे यह तो बाद तक भी स्पष्ट नहीं हुआ. लेकिन हुआ यह कि वोट की लाइन में लगे कांग्रेस नेताओं को वह पेन नहीं मिली, जिससे चुनाव आयोग ने वोटिंग अधिकृत की थी. उनके हाथ में दूसरी स्याही वाली पेन आ गई और इस आधार पर उनके वोट अवैध हो गए. उसके बाद एक सीट जीतने के लिए जरूरी वोट का आंकड़ा कम होकर 26 हो गया. ऐसे में भाजपा ने अपने पहले उम्मीदवार को मिले अतिरिक्त 22 वोट सुभाष चंद्रा को ट्रांसफर कर दिए. दूसरी ओर आरके आनंद को इनेलो के 19 के अलावा दो और वोट मिले थे. ऐसे में आनंद 21 वोट लेकर हार गए.
राजनीति के जानकारों की मानें तो इस बार फिर ऐसा खेला होने की संभावना बन रही है. भाजपा ने दूसरी सीट के लिए एक मीडिया समूह के मालिक कार्तिकेय शर्मा को समर्थन दिया है तो कांग्रेस ने पार्टी महासचिव अजय माकन को मैदान में उतारा है. पिछली बार कांग्रेस और इनेलो के पास 34 सीट थी. इस बार कांग्रेस के पास 31 और इनेलो की सिर्फ एक सीट है. राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए ठीक 31 वोट की जरूरत है. लेकिन भूपेंद्र हुड्डा को कमान दिए जाने से पार्टी के कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं. जिसमें पहले नम्बर पर हैं कुलदीप बिश्नोई, जिन्होंने इसका खुला विरोध किया है. दूसरी ओर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा की मदद कर रहे हैं क्योंकि कार्तिकेय उनके दामाद हैं. कार्तिकेय शर्मा के पिता विनोद शर्मा हरियाणा के बड़े नेता हैं और किसी जमाने में हुड्डा के बेहद करीब रहे हैं. माकन और विनोद शर्मा रिश्तेदार भी हैं. माकन के बड़े भाई ललित माकन की शादी शंकर दयाल शर्मा की बेटी से हुई थी और उनकी दूसरी बेटी से विनोद शर्मा के भाई की शादी हुई थी.
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ऐसे में आशंका है कि हुडा और माकन में खेमेबाजी से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है. ओमप्रकाश चौटाला के नए दांव के बाद से इस आशंका पर अधिक चर्चा होने लगी है. दरअसल, चौटाला की जेजेपी के पास 10 विधायक हैं. इनेलो-हलोपा के एक-एक और सात निर्दलीय विधायक हैं. चौटाला अपना कोई उम्मीदवार जिता नहीं सकते, इसलिए उन्होंने कार्तिकेय को समर्थन कर दिया है. कार्तिकेय ने एक कदम बढ़ते हुए निर्दलीय विधायकों से समर्थन हासिल होने का दावा कर दिया है. अगर ये दावे जमीन पर हकीकत साबित हो जाए तब भी 14 और वोटों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में कांग्रेस को डर सता रहा है कि कहीं कार्तिकेय उसके विधायक को अपने पाले में न कर लें. इस परिस्थिति में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की मंशा से भाजपा भी कार्तिकेय की मदद कर सकती है.
इन्हीं आशंकाओं के बीच बीते गुरुवार को दिल्ली में दीपेंद्र के आवास पर कांग्रेस विधायकों को एकत्र किया गया था. रात से पहले कांग्रेस के 31 विधायकों में से 4 को छोड़कर सभी चार्टर्ड फ्लाइट से रायपुर पहुंचा दिए गए तो शाम विधायक किरण चौधरी बीमारी का हवाला देते हुए नहीं गईं. चिरंजीव राव जन्मदिन समारोह का हवाला देते हुए नहीं गए. सधौरा की पहली महिला विधायक रेणु बाला व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर नहीं गईं. आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनाए जाने से खासे नाराज़ चल रहे हैं, इसलिए उनका पहुंचना भी अभी नहीं हो पाया है. साथ ही हुड्डा का अभी खुद पहुंचना भी बाकी है. पांच सितारा रिसॉर्ट में रखे गए विधायक खुफिया अधिकारियों समेत छत्तीसगढ़ पुलिस की निगरानी में हैं.
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने आलाकमान को विश्वास दिलाया है कि क्रॉस वोटिंग नहीं होगी. हुड्डा ने कहा, अगर कोई विधायक पार्टी में रहना चाहता है तो आलाकमान के निर्णय का पालन करना होगा. फिर भी नंबर गेम को देखने पर खेल अभी भी उलझा मालूम पड़ रहा है. 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 40, कांग्रेस के 31, जजपा के 10, इनेलो और हरियाणा लोकहित पार्टी के एक-एक और सात निर्दलीय विधायक हैं. एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 31 मतों की आवश्यकता होती है. भाजपा आसानी से जीत की गारंटी दे सकती है लेकिन कांग्रेस अपनी संख्या के बारे में अनिश्चित है क्योंकि बिश्नोई नाराज हैं और अन्य कई विधायक भी रायपुर नहीं पहुंचे हैं.
दूसरी तरफ नाराज दिग्गज विधायक कुलदीप बिश्नोई को मनाने का प्रयास जारी है. शुक्रवार को बिश्नोई ने कहा कि, मैं पहले ही कह चुका हूं कि जब तक राहुल गांधी मुझसे नहीं मिलेंगे, मैं और मेरे समर्थक पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. मुझे बताया गया है कि वह देश से बाहर हैं और आठ या नौ जून को मुझसे मिलेंगे. राहुल गांधी से मुलाकात के बाद भी मैं तय करूंगा कि मुझे कौन सा कदम उठाना है.’