GujaratAssemblyElections. गुजरात विधानसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त हो चुका है. पहले चरण में 17 जिलों की 89 विधासभा सीटों पर करीब 60 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है. बताया जा रहा है कि यह पिछले 10 सालों के इतिहास में सबसे कम वोट प्रतिशत है. 5 दिसम्बर को गुजरात विस चुनाव का दूसरे चरण का मतदान है जिसमें 14 जिलों की 93 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है. हालांकि पहले चरण में मतदान का प्रतिशत अनुमान से भी काफी कम रहा लेकिन चुनावों का अगला फेज बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस के लिए भी काफी अहम रहने वाला है. इसकी वजह है कि गुजरात चुनावों का दूसरे चरण का मतदान अगले साल होने वाले राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों पर भी गहरा परिणाम डाल सकता है. बता दें कि इस 93 सीटों में से पिछले चुनाव में 51 सीटों पर बीजेपी और 39 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था.
दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है, उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का क्षेत्र भी शामिल है. ऐसे में बीजेपी के लिए यह चरण प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. खासतौर पर उत्तर गुजरात क्षेत्र, जहां पिछले गुजरात विस चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी काफी अधिक पिछड़ गई थी. गुजरात की राजधानी गांधीनगर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे बड़े शहर और श्वेत क्रांति के लिए जानी जाने वाली आणंद विधानसभा क्षेत्रों में भी इसी चरण में मतदान होना है. यही वजह है कि बीजेपी की मंशा इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को पहले से अधिक मजबूत करने की है. इसी मंशा के चलते और खासतौर पर उत्तर गुजरात में मजबूत करने के लिए हाल में पीएम मोदी ने अहमदाबाद में 50 किमी. का लंबा रोड शो कर गुजरात की जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो को बीजेपी ने नया आयाम देते हुए इसे ‘प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि’ का नाम दिया. तीन घंटे से अधिक चले इस 50 किमी. लंबे रोड शो में जगह जगह पर महापुरुषों की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर भक्तिभाव का संदेश देने का प्रत्यन्न किया. यह रोड शो प्रथम चरण के मतदान के दिन आयोजित किया गया ताकि मीडिया कवरेज केवल मतदान केंद्रों तक सीमित न रहे, बल्कि जहां अगले फेज में चुनाव होना है, वहां भी बनी रहे. इसका फायदा ये हुआ कि टीवी स्क्रीन पर एक तरफ बीजेपी नेता लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित कर रहे थे तो दूसरी तरफ पीएम मोदी का रोड शो दिखाई दे रहा था. यानी सीधे साफ और सरल शब्दों में कहा जाए तो हर तरफ मोदी मोदी की छाप नजर आ रही थी.
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अब बात करें कि कांग्रेस के लिए गुजरात चुनाव का दूसरा चरण पहले से भी क्यों महत्वपूर्ण है? दरअसल, यहां की 93 में से 39 सीटों पर कांग्रेस ने पिछले चुनावों में कब्जा जमाया था. इससे भी बड़ा कारण ये है कि इन सीटों का एक बड़ा हिस्सा राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमाओं से लगती सीटों का है. इनमें आदिवासी बहुल पंचमहल क्षेत्र भी है. सीमावर्ती इस क्षेत्र में मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों के मुद्दे एवं रिश्ते काफी असर डालते हैं. चूंकि अगले साल राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में उत्तर गुजरात का यह क्षेत्र चुनावी दृष्टि से काफी मायने रखता है.
काबिले गौर ये भी है कि वर्तमान गुजरात विस चुनाव से पहले कांग्रेस के कई प्रमुख नेता पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए हैं जिनका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है. पार्टी छोड़ने वाले प्रमुख नेताओं में मोहन भाई राठवा भी हैं, जो आदिवासी नेता के तौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में अपनी खास पकड़ रखते हैं. ऐसे में कांग्रेस दूसरे चरण में चुनावी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ साथ पिछली बार की बढ़त को बनाए रखने का जी तोड़ प्रयास कर रही है.
राजस्थान से जुड़े गुजरात के इलाकों में पकड़ बनाए रखने और इसका असर राजस्थान विस चुनावों में पड़ने की संभावनाओं को देखते हुए ही प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव प्रबंधन का कार्य संभाल रहे हैं. इन इलाकों में अधिकांश जन सभाएं और रैलियों में राजस्थान से जुड़े नेताओं की भागीदारी भी अधिक है. हाल में सचिन पायलट ने भी उत्तर गुजरात से जुड़े बापूनगर विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया और बीजेपी के पिछले 27 सालों के प्रशासन पर हमलावर होते हुए कांग्रेस को अवसर देने की अपील की. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे भी अपनी तीखी बयानबाजी से इन क्षेत्रों में पीएम मोदी के गहरे प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
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गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में अब बात बीजेपी की प्रतिष्ठा और कांग्रेस की सुरक्षा पर आ गई है. बीजेपी अपने गृह क्षेत्रों में पकड़ खोना नहीं चाहती और कांग्रेस बढ़त वाली सीटों को गंवाना नहीं चाहती. दूसरे चरण के मतदान एवं परिणामों का असर आगामी दो राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ना भी निश्चित है. चूंकि चुनावी प्रचार बंद हो चुका है, तो ऐसे में अब दोनों ही पार्टियों के प्रमुख नेता भी घर घर जाकर जनता से अपने पक्ष में वोट मांगने की याचना करते दिखाई दे रहे हैं.