गुजरात चुनाव: अमरेली सीट पर जीत का चौका लगा पाएंगे परेश धनाणी! इस बार राह नहीं होगी आसान

पिछले दो बार के सीटिंग सहित तीन बार अमरेली सीट से विधायक हैं परेश धनाणी, आम आदमी पार्टी छोड़ रही युवा वर्ग पर अपनी छाप तो बीजेपी उम्मीदवार कर रहे सत्तारूढ़ पार्टी के जरिए विकास को गति देने का भरोसा दिलाने का प्रयास

अमरेली का चुनावी घमासान
अमरेली का चुनावी घमासान

GujaratAssenblyElections2022. गुजरात विधानसभा चुनावों में अमरेली जिले की अमरेली सीट कुछ खास चर्चा में है. यह सीट पिछले दो चुनावों से लगातार कांग्रेस के पाले में जा रही है और परेश धनाणी ने विपक्षी दल को चुनावों में दिन में भी तारे दिखाए हैं. धनाणी चौथी बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में डटे हैं और जीत के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं. अगर कांग्रेस 2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने में सफल होती तो पूरी संभावनी बनती कि परेश धनाणी मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदार बनते. हालांकि कांग्रेस बहुमत से थोड़ा पीछे रहे गई और बीजेपी ने फिर से सत्ता हासिल कर ली.

गुजरात विधानसभा के लिए अगले महीने होने वाले चुनाव में कांग्रेस नेता और तीन बार के सीटिंग विधायक परेश धनाणी के लिए अमरेली सीट पर जीत का चौका लगाना आसान नहीं होगा. रवि धनाणी आम आदमी पार्टी की तरफ से मैदान में हैं जबकि बीजेपी ने अमरेली सीट पर अपने जिला इकाई प्रमुख कौशिक वेकारिया को मैदान में उतारा है. इस विधानसभा में आधे से अधिक मतदाता पाटीदार समुदाय से आते हैं और ये तीनों ही नेता पाटीदार समुदाय से संबंध रखते हैं. ऐसे में इनके वोट तीनों पार्टियों को बंटना निश्चित है. ऐसे में परेश धनाणी की राह आसान नहीं है.

वैसे अमरेली में प्रवेश करते ही हर प्रमुख मार्ग पर परेश के होर्डिंग देखे जा सकते हैं, जिनमें यह बताया गया है कि उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कितना काम किया है. अमरेली के वर्तमान विधायक धनाणी के अनुसार, यह चुनाव अहंकारी शासकों और गुजरात के लोगों के बीच की लड़ाई है. अमरेली विस के सहारे धनाणी बीजेपी के 27 साल के कुशासन के बाद बदलाव का आह्वान कर रहे हैं. अमरेली में विकास की धीमी रफ्तार का दोष भी उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी पर जड़ा है.

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परेश धनाणी ने 2002 में अमरेली विस सीट पर चुनाव जीता था. तब वह मात्र 26 साल के थे, लेकिन 2007 में उन्हें बीजेपी के दिलीप संघानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. हार के बावजूद भी कांग्रेस ने धनाणी पर भरोसा दिखाया और 2012 के विधानसभा चुनावों में उन्हें फिर से टिकट दिया. कांग्रेस के फैसले को सही साबित करते हुए परेश धनाणी ने 2012 गुजरात विस चुनाव और उसके बाद 2017 गुजरात विस चुनाव में भी अपनी जीत बरकरार रखी.

इधर, बीजेपी के उम्मीदवार कौशिक वेकारिया का कहना है कि अमरेली के लोग जब धनाणी के पास अपना कोई काम लेकर जाते हैं तो मौजूदा सरकार में अपनी बात न रख पाने की बात कहकर मौजूदा विधायक उन्हें वापस भेज देते हैं लेकिन जिला इकाई सचिव होने के नाते वेकारिया ने लोगों के काम कराए हैं और विधायक बनने के बाद जिले के विकास के लिए काम करना आसान हो जाएगा. केंद्र एवं राज्य सरकार के कराए विकास कार्यों का श्रेय लेकर स्थानीय लोगों की सहानुभूति बटौरने का आरोप भी वेकारिया जड़ चुके हैं.

पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में जोर पकड़ता पाटीदार आरक्षण आंदोलन इस समय फीका पड़ गया है और इस बार पाटीदार मुद्दा अस्तित्व में नहीं है. चूंकि यह किसान और कृषि उद्योगों से जुड़े लोगों का जिला है, ऐसे में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रवि धनाणी ने अपने आपको किसान का बेटा बताते हुए घर घर चुनाव प्रचार करना शुरू किया है. रवि धनाणी लोगों को ये विश्वास दिला रहे हैं कि मौजूदा सरकार ने जिले के किसानों के लिए कुछ नहीं किया है, इसलिए कृषक समुदाय इस सरकार से तंग आ चुका है और बदलाव चाहता है.

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चूंकि आम आदमी पार्टी और रवि धनाणी गुजरात चुनाव में नए हैं, ऐसे में उन पर किसी तरह का आरोप प्रत्यारोप लगाना एवं उनके कामों में नुक्स निकालना संभव नहीं है. काबिलगौर ये भी है कि पिछले 27 सालों से लोगों ने गुजरात में केवल मोदी और बीजेपी सरकार को ही देखा है. ऐसे में पहली बार मतदान करने वाले युवा, खासकर सूरत में काम करने वाले युवा नया दल होने के चलते आम आदमी पार्टी को पसंद कर रहे हैं. ऐसे में पाटीदार वोटों का बंटना तो निश्चित है.

अब देखना रोचक रहेगा कि क्या कांग्रेस के परेश धनाणी अमरेली की जनता को कांग्रेस की विश्वस​नीयता का विश्वास दिला पाते हैं या फिर बीजेपी के कौशिक वेकारिया जनता को सत्तारूढ़ पार्टी के विकास कार्य गिनाने में सफल हो पाते हैं या फिर आप पार्टी के रवि धनाणी युवा वर्ग को अपने पक्ष में मतदान के लिए मना पाते हैं. कुछ भी हो लेकिन ये तो पक्का है कि अमरेली विधानसभा सीट पर चुनाव रोचक होने वाला है.

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