गुजरात: पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हार्दिक पटेल के लिए आसान नहीं होगा वीरमगाम फतेह करना

पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के पाले में जा रही है वीरमगाम सीट, सभी जातियों की अच्छी खासी संख्या है यहां पर, कांग्रेस के सीटिंग विधायक के साथ आप पार्टी उम्मीदवार से मिल रही कड़ी टक्कर, बीजेपी के खिलाफ खड़े होकर नेता बने हार्दिक पटेल क्या दे पाएंगे भाजपा की झोली में यह सीट?

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GujaratAssemblyElection. गुजरात विधानसभा चुनाव-2017 में कांग्रेस के लिए मजबूत सियासी पिच तैयार करने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल इस बार बीजेपी की जाजम पर चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें युवा नेता हार्दिक पटेल पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. वे बीजेपी के टिकट पर वीरमगाम विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. हालांकि हार्दिक एक पाटीदार नेता हैं लेकिन वीरमगाम विधानसभा सीट पर विजय हासिल करना हार्दिक पटेल के लिए बिलकुल भी आसान नहीं होने वाला है. वजह है कि पिछले 10 सालों से यानी पिछले दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस इस सीट पर अजेय है. ऐसा भी हुआ है कि इस सीट पर कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार ने अगले चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन जनता ने बीजेपी को नकारते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को चुना और विधानसभा पहुंचाया. कांग्रेस के सीटिंग विधायक लखाभाई पटेल भारवाड़ हैं.

हार्दिक पटेल को इस विधानसभा सीट से उतारने की वजह उनका वीरमगाम से सीधा कनेक्शन होना है. अहमदाबाद के वीरमगाम तालुका के चंद्रनगर गांव से ताल्लुख रखने वाले हार्दिक पटेल का जन्म और पालन पोषण वीरमगाम शहर में हुआ. 29 वर्षीय हार्दिक का यह पहला विधानसभा चुनाव है. चूंकि हार्दिक इसी विधानसभा क्षेत्र में पले बढ़े हैं, तो पिछले दो चुनावों से कांग्रेस के पाले में जा रही इस सीट को बीजेपी के पाले में लाने की जिम्मेदारी पिछले चुनाव में कांग्रेस के साथी रहे हार्दिक पटेल के कंधों पर है.

वीरमगाम विस क्षेत्र में अहमदाबाद के वीरमगाम, मंडल और देतरोज तालुका शामिल है. वीरमगाम विधानसभा सीट पर करीब तीन लाख मतदाता हैं. इस सीट पर पाटीदार मतदाताओं की संख्या 50 हजार से अधिक है, जो एकजुट होकर हार्दिक के पक्ष में आ सकते हैं. ठाकोर और कराडिया समाज राजपूत मतदाताओं की संख्या भी 75 हजार से अधिक है. हालांकि ये वोटर बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में बंटने की संभावना जताई जा रही है. इस विधानसभा सीट पर 65 हजार ठाकोर (ओबीसी), 50 हजार पाटीदार/पटेल, 35 हजार दलित, 20 हजार भारवाड़ एवं रबारी समुदाय, 20 हजार मुस्लिम, 18 हजार कोली समाज के वोटर और करीब 10 हजार कराडिया राजपूत (ओबीसी) वोटर्स हैं.

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हालांकि किसी एक जाति का बाहुल्य न होने के चलते वीरमगाम सीट ने प्रदेश को अलग अलग जाति के विधायक दिए हैं. इस सीट ने तेजश्री पटेल (पाटीदार), दाउदभाई पटेल (मुस्लिम), कामभाई राठौड़ (कराडिया राजपूत) और लाखाभाई भरवाड़ (ओबीसी) जाति के विधायक निकले हैं. लाखाभाई भरवाड़ यहां से मौजूदा कांग्रेस विधायक हैं जिन्हें इस बार भी पार्टी ने मौका दिया है, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तेजश्री पटेल को 6500 वोटों से हराया.

गुजरात के 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में तेजश्री ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और बीजेपी के प्रागजी पटेल को 16 हजार से अधिक के वोट अंतर से हराया. अपने कार्यकाल में तेजश्री ने विधानसभा के अंदर और बाहर भी सत्तारूढ बीजेपी की तीखी आलोचना करते हुए मीडिया की चर्चा में रहे. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनावों में सभी को चौंकाते हुए तेजश्री बीजेपी में शामिल हो गए और इसी सीट पर चुनाव लड़ा. हालांकि विरमगाम की जनता ने तेजश्री को दरकिनार करते हुए कांग्रेस के लाखाभाई पटेल को चुना.

स्थानीय लोगों का मानना है कि ओबीसी समाज से आने वाले लाखाभाई पटेल भारवाड़ा एक विधायक के तौर पर क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है. ऐसे में हार्दिक पटेल के लिए लाखाभाई को हराना आसान नहीं होगा. बहरहाल पाटीदार जाति के लिए आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हार्दिक पटेल ने पार्टी के बाहर से समर्थन देते हुए कांग्रेस को पिछले चुनाव में 77 सीटें जीताकर गुजरात में उनके लिए मजबूत सियासी जमीन तैयार कर दी थी. उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए. दो साल कांग्रेस में रहने के बाद इसी साल जून में बीजेपी में शामिल हो गए.

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बीजेपी में आने के बाद पाटीदार आरक्षण के लिए मुखर होने वाले हार्दिक ने यहां की जनता को वीरमगाम को एक जिले का दर्जा दिलाने का वायदा किया है. इधर, आप के उम्मीदवार भी हार्दिक के रास्ते में कांटे भरने का काम करेंगे. अब देखना रोचक रहेगा कि क्या हार्दिक पटेल पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के पाले में जा रही विरमगाम सीट को बीजेपी के पक्ष में ला पाते हैं या नहीं.

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