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GujaratAssemblyElection2022. गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान को अब 24 घंटे का ही वक्त बचा है. 182 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव होने हैं. यूं तो किसी भी चुनाव में हर सीट महत्वपूर्ण होती है लेकिन गुजरात की एक ऐसी भी सीट है जो हर पार्टी के लिए लकी मानी जाती है. यह सीट हे वलसाड जिले की वलसाड विधानसभा सीट, जिसने भी इस सीट पर कब्जा जमाया, समझो सत्ता उसी पार्टी के हाथ आ गई. यह एक संयोग ही कहा जा सकता है कि एक बार को छोड़कर 1960 में गुजरात बनने के बाद जिसने भी इस सीट पर जीत दर्ज की, सत्ता उसी के हाथ लगी. वलसाड सीट पर एक दिसम्बर को मतदान होना है. इस दौरान एक बार फिर वलसाड सीट के इस लकी फैक्टर पर निगाह रहेगी.

वलसाड विस सीट पर बीजेपी पिछले 32 सालों से जीतती आ रही है और इन्हीं 32 सालों से गुजरात की सत्ता पर काबिज भी है. इससे पहले यहां पर कांग्रेस का शासन रहा है. 1980 और 1985 में यहां पर कांग्रेस उम्मीदवारों को जीत मिली है. इसके बाद कांग्रेस ने गुजरात में सरकार बनाई थी. 1980 में कांग्रेस उम्मीदवार दौलतभाई देसाई ने जीत हासिल की थी. 1985 में दौलतभाई फिर एक बार इस सीट से लड़े, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार बरजोरजी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

साल 1990 में दौलतभाई देसाई ने बीजेपी का दामन थामा. जैसे ही दौलतभाई ने वलसाड सीट जीती और गुजरात में बीजेपी ने जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाई. इसके बाद तो यह एक सिलसिला सा बन गया. दौलतभाई 1998, 2002 और 2007 में भी वलसाड से जीत हासिल की. बीजेपी ने इन सभी विधानसभा चुनावों में गुजरात में सरकार बनाई. साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी ने वलसाड से भरतभाई पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया. कैंडिडेट भले बदल गया, लेकिन बीजेपी की किस्मत नहीं बदली. भरतभाई लगातार दो चुनावों में जीते और गुजरात में पार्टी की सत्ता कायम रही. पिछले गुजरात विस चुनाव में भरतभाई ने यहां पर कांग्रेस के नरेंद्र कुमार तंदेल को हराया था.

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वलसाड सीट का अस्तित्व 2008 में हुए परिसीमन के बाद आया, इससे पहले इसका नाम बुल्सार था. साल 1962 में पहली बार यहां विधानसभा चुनाव हुए थे. इसके बाद से 1975 यहां पर कांग्रेस सत्ता में रही. बता दें कि गुजरात में दो बार, पहली बार 1975 और दूसरी बार 1990 में यहां त्रिशंकु सरकार बनी. 1975 में कांग्रेस से टूटकर बनी कांग्रेस (ओ) या सिंडिकेट कांग्रेस, जनसंघ, चिमनभाई पटेल की किसान मजदूर लोक पक्ष ने मिलकर सरकार बनाई थी. यहां भी वलसाड कनेक्शन रहा क्योंकि सिंडिकेट कांग्रेस के केशवभाई पटेल ने यहीं से जीत हासिल की थी. वहीं साल 1990 में बीजेपी और जनता दल का गठबंधन हुआ था.

वलसाड सीट पर जीतने वाले उम्मीदवार के दल की सरकार बनने का क्रम सिर्फ एक बार टूटा है. साल 1972 में यहां पर सिंडिकेट कांग्रेस उम्मीदवार केशव भाई पटेल ने कांग्रेस के गोविंद देसाई को 6,908 मतों से हराया था. हालांकि 140 सीटें जीतने वाली कांग्रेस की सरकार यहां बनी जरूर, लेकिन कुछ समय के बाद ही गुजरात में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था. यानी इसे एक अपवाद ही कह सकते हैं.

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वर्तमान में यहां 260425 मतदाता हैं. बीजेपी की ओर से भरतभाई किकुभाई पटेल और आम आदमी पार्टी की ओर से राजू मरछा मैदान में हैं. कांग्रेस की ओर से कमल कुमार पटेल दोनों को टक्कर दे रहे हैं. तीनों चुनावी उम्मीदवार पाटीदार समुदाय से आते हें. यही वजह है कि बीजेपी के लिए इस बार चुनौतियां थोड़ी सी बढ़ गई हैं. वैसे तो गुजरात में मुख्य मुकाबला इस बार भी बीजेपी बनाम कांग्रेस में ही है लेकिन आम आदमी पार्टी इस बार कांग्रेस को नंबर तीन पर भेजने का इरादा रखती है. ऐसे में 1 दिसंबर को वलसाड विधानसभा सीट पर पड़ने वाले वोटों पर हर किसी की निगाहें गढ़ी रहेंगी.

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