Mamta Banerjee got angry on BSF officers. पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक बैठक के दौरान प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अचानक से BSF अधिकारियों पर भड़क पड़ीं. यह वाक्या हावड़ा में ईस्टर्न जोनल काउंसलिंग की बैठक के दौरान हुआ. सीएम ममता बनर्जी की एक मुद्दे को लेकर BSF अधिकारियों से तीखी बहस शुरू हो गई. इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह भी वहां मौजूद थे. मामला बढ़ते देख बीएसएफ के आला अधिकारियों ने बीच बचाव करते हुए मामले को शांत कराया. हालांकि इस मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री का फिलहाल कोई बयान अभी तक सामने नहीं आया है और न ही ममता ने आगे कुछ कहा है.
लेकिन अचानक से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीएसएफ पर भड़कने का क्या कारण है? दरअसल, ममता दीदी BSF को बॉर्डर के 50 किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई के अधिकार देने से नाराज हैं. उनका कहना है कि इससे आम लोगों को परेशानी हो रही है. केंद्र सरकार ने नए कानून के तहत BSF को इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर तक के इलाके में कार्रवाई करने का अधिकार दिया है. ममता इस कानून के खिलाफ है और इसके विरोध में है. ममता ने मीटिंग में ये आरोप भी लगाया है कि BSF के पास ज्यादा पावर है, जो लोगों और अफसरों के बीच तालमेल नहीं बनने देता.
आपको बता दें, पिछले साल अक्टूबर में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवाद और सीमा पार से अपराधों पर लगाम लगाने के मकसद से BSF एक्ट में बदलाव करते हुए पाकिस्तान और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया था. BSF अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय क्षेत्र के अंदर 50 किमी तक तलाशी अभियान चला सकेगी. साथ ही संदिग्धों को गिरफ्तार करने और संदिग्ध सामग्री को जब्त करने का भी अधिकार होगा. इसके लिए उसे किसी प्रशासनिक अधिकारी से परमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी. पहले BSF को बॉर्डर से केवल 15 किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त था.
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BSF एक्ट 1968 की धारा 139 (1) के तहत प्रावधानों के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले का असर देश के 12 राज्यों पर पड़ा. इनमें गुजरात, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय, केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं. इन सभी 12 राज्यों में से राज्य असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में BSF का अधिकार क्षेत्र पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इन राज्यों में अब बीएसफ 50 किलोमीटर तक के दायरे में बिना मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट के कार्रवाई कर सकेगी.
इस फैसले से सबसे पहले पंजाब में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था. इससे पहले तक पंजाब में किसी भी कार्रवाई में स्थानीय पुलिस की मदद से बीएसएफ काम करती थी. नए संशोधन के बाद कांग्रेस और अकाली दल ने इसका जोरदार विरोध किया. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसे राज्य के अधिकारों पर हमला बताया था. पंजाब की तरह ही बंगाल ने भी इस फैसले का विरोध किया था. इसके विरोध में ममता सरकार ने दिसंबर में विधानसभा ने BSF के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाए जाने के खिलाफ प्रस्ताव भी पास किया था.
अब जब हावड़ा में शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में ईस्टर्न जोनल काउंसलिंग की मीटिंग हुई तो ममता बनर्जी अपने आप को रोक नहीं पाई और उबल पड़ीं. ममता का मानना है कि इस नए कानून से आम जनता को परेशानी हो रही है. चूंकि BSF के पास ज्यादा पावर है, जो लोगों और अफसरों के बीच तालमेल नहीं बनने देता. इसी मुद्दे पर ममता बनर्जी की अमित शाह के समक्ष ही BSF अधिकारियों की बहस शुरू हो गई. बाद में आला अधिकारियों ने ममता दीदी और अन्य अधिकारियों को शांत कराया.
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गौरतलब है कि ममता ने कुछ महीनों पहले बीएसएफ पर लोगों को मारने और इंटरनेशनल बॉर्डर पर गायों की तस्करी कराने का गंभीर आरोप लगाया था. ममता ने कहा था कि केंद्र सरकार के तहत आने वाली BSF वाले गांवों में घुसकर लोगों को मार रहे हैं और उनके शव बांग्लादेश में फेंक देती है, लेकिन उसका इल्जाम बंगाल पुलिस पर आता है. ममता ने बीएसएफ पर इंटरनेशनल बॉर्डर के उस पार गायों की तस्करी कराने का भी आरोप लगाया था.