भाजपा वाले जहां जाते हैं वहां मुद्दा बना करते हैं आग लगाने का काम, उनके पास धन-बल बहुत है- गहलोत

करौली हिंसा मामले पर बीजेपी की न्याय यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साधा निशाना, कहा- नाम तेजस्वी सूर्या है और देखिये ये काम क्या करने आए हैं, भाजपा के लोग केवल एक ही मुद्दे को पकड़ कर बैठे हुए हैं इसके अलावा उनके पास कुछ नहीं, बीजेपी आज जो विधानसभा चुनाव से पौने 2 साल पहले ही एक्टिव हो गई है वह सब इलेक्टोरल बॉन्ड की देन है'

बीजेपी की न्याय यात्रा पर सीएम गहलोत ने साधा निशाना
बीजेपी की न्याय यात्रा पर सीएम गहलोत ने साधा निशाना

Politalks.News/Rajasthan. करौली में नवसंवत्सर के मौके पर हुए उपद्रव को लेकर राजस्थान की सियासत में मचा उबाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा. बुधवार को बीजेपी नेताओं द्वारा करौली में किये गए बवाल को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जमकर निशाना साधा. साथ ही सीएम गहलोत ने देश भर के कई राज्यों में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा के बाद हो रही बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर भी सवाल दागा. बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की 131वी जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंच उनकी तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की. पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद सीएम गहलोत ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं और नेताओं से चर्चा भी की. वहीं पत्रकारों से बात करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘भाजपा वालों के पास और कुछ काम नहीं है वे बस मुद्दा बना आग लगाने का काम कर रहे हैं.’

बुधववार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या द्वारा निकाले जाने वाली न्याय यात्रा को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए बवाल को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निशाना साधा है. सीएम गहलोत ने तेजस्वी सूर्य का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘तेजस्वी सूर्या, नाम तो तेजस्वी सूर्या और यहां पर आप देखिए किस काम के लिए आए. करौली के अंदर जो कुछ भी हुआ वो बहुत ही अनफॉर्च्युनेट घटना थी, उसकी हम सब लोगों ने निंदा की और उस वक्त भी मैंने कहा कि ये लोग आग लगाने का काम करते हैं. आपको याद होगा और उसके बाद में लगातार इन्होंने एक इश्यू पकड़ रखा था करौली का. हमें तो करौली में जैसे ही घटना हुई, करीब 2 दिन तक राजस्थान भर के SPs की बैठक ली, पुलिस अधिकारियों की बैठक की 10 घंटे तक, इंस्ट्रक्शन्स दिए कि हमारे यहां कोई ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए जो करौली में हुई है.

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सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘एक तरफ तो हम लोग चिंतित थे कि रामनवमी आ रही है, धार्मिक उत्सव आ रहे हैं और पता नहीं, एक ये करौली की घटना हुई है, कहीं घटनाएं और बढ़ नहीं जाए. तो मुझे इस बात का संतोष है कि हमारी पुलिस विभाग ने, डीजी साहब ने खुद ने जो ब्रीफिंग की मेरे सामने SPs की, होम सेक्रेटरी ने ब्रीफिंग की. चाक-चौबंद व्यवस्था की कि रामनवमी के जुलूस के अंदर सब धर्मों के लोगों ने फूल बरसाए, स्वागत किए और एक जगह घटना नहीं हुई, और देश के अंदर अनेकों राज्यों के अंदर दंगे भड़क गए, आग लग गई और अब उनके मकान तोड़े जा रहे हैं. आप बताइए कि किसने अधिकार दिया आपको. ये अधिकार तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पास भी नहीं होता है कि आप बिना कोई तफ्तीश के, बिना किसी को दोषी ठहराए आप जाकर किसी का मकान तोड़ दो. ये गलत है.’

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘आप बताइए क्या बीतती होगी, जो निर्दोष भी हैं उसके अंदर, एक तरफ तो हमें कहते हो कि करौली के अंदर निर्दोष लोग पकड़े जा रहे हैं और एक तरफ क्या वो निर्दोष लोग पकड़े जा रहे हैं, क्या राजस्थान सरकार जाकर उनके मकान पर बुलडोजर चला दे जो अरेस्ट हुए हैं? ये आप बताइए, बुलडोजर चलाना, मकान को ध्वस्त करना पूरा जहां वो रहते हैं, क्या बीतती होगी? कल रात को मैं देख रहा था टीवी, मकान किस रूप में गिराए गए हैं, वो रो रहे थे गरीब लोग, गरीब लोग थे वो और आपने कह दिया कि ये तो इनका नाम आ गए, अभियुक्त बन गए, मकान गिरा रहे हैं, ये अधिकार किसी के पास नहीं है. ये अधिकार सिर्फ कानून के पास में है, कानून अपना काम करे, उसके अंतर्गत आप कुछ भी करो, कोई दिक्कत नहीं है, कानून का राज नहीं रहेगा तो सबको भुगतना पड़ेगा एक न एक दिन.

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बीजेपी पर निशाना साधते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘आज जो खुश हो रहे हैं न, हो सकता है कि उनको भी भुगतना पड़े क्योंकि कानून के राज से ही देश चलता है, प्रदेश चलते हैं, शासन चलता है, लेकिन आज उसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं लोग. संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है, ज्यूडीशियरी पर, सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स के सब पर छापे पड़ रहे हैं, क्या हो रहा है देश के अंदर? ये देशवासियों को, प्रदेशवासियों को और देश के नौजवानों को समझना पड़ेगा कि देश किस दिशा में जा रहा है, वरना वो भुगतेंगे आने वाले जमाने के अंदर, बहुत हालात खराब हैं देश के अंदर.’

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘ये अंबेडकर की बात करते हैं, जिंदगी में कभी अंबेडकर को माना नहीं इन्होंने, उनको स्वीकार नहीं किया और आज देखिए आप, अंबेडकर की जयंती मनाएंगे. ये लोग अपनी राजनीति के हिसाब से आज गांधी जी को चुरा रहे हैं, सरदार पटेल को चुरा रहे हैं. अरे भाई सरदार पटेल ने तो आरएसएस पर बैन लगाया था और आज उनकी मूर्ति बना रहे हैं. तो चुनाव जीतने के लिए, राजनीति करने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं ये लोग, इनके हथकंडों को अगर देश नहीं समझा, प्रदेशवासी नहीं समझे, तो भुगतना एक न एक दिन सबको पड़ेगा मेरा मानना है. आज अंबेडकर की जयंती है, एक तरफ तो बढ़-चढ़कर सब लोग अपनी बात कह रहे हैं. खाली दिखावे के लिए अंबेडकर का नाम लेते हैं, तो कब तक चलेगा ये? क्योंकि हमें तो बहुत चिंता लगी हुई है कि अगर हमने समय रहते हुए इनको करारा जवाब नहीं दिया तो सबको भुगतना पड़ेगा ये मेरा मानना है.

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वहीं ERCP से जुड़े सवाल पर सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘ईआरसीपी जीवन दायिनी है 13 जिलों के लिए और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मुंह से निकल गया राष्ट्रीय परियोजना के बारे में चुनाव के वक्त में, उस वक्त की मुख्यमंत्री वसुंधरा जी को कोट करके उन्होंने कहा, पूरी बात उन्होंने कोट की, जिलों के नाम लिए, अब उसके बाद बच क्या जाता है बताइए? क्या एक मंत्री को जो है, एक मंत्री जो राजस्थान का ही हो, क्या वो एक काम नहीं करवा सकता राजस्थान का? एक काम. जब मुझे ये कहना पड़ता है कि ये काहे के मंत्री है? अगर एक काम अपने प्रदेश के लिए नहीं करवा सकते तो फिर काहे के मंत्री.

वहीं जब सीएम गहलोत से सवाल पूछा गया कि पौने 2 साल पहले ही बीजेपी इस तरह से एक्टिव हो रही है जबकि अभी तो चुनाव बहुत दूर हैं? तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘भई उनके पास धन-बल बहुत है, ये जो इलेक्टोरल बॉन्ड आए हैं ये सब उसी की देन है. अब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि हम उस पर सुनवाई करेंगे, इनको सुनवाई करनी चाहिए थी शुरू से ही, इलेक्टोरल बॉन्ड एकतरफा पैसा जा रहा है 90-95 पर्सेंट, दबाव हो रहा है इंडस्ट्रियलिस्ट्स पर, पूरा पैसा जा रहा है बीजेपी की किटी के अंदर. सुप्रीम कोर्ट में केस किया हुआ है, 3 साल बाद सुनवाई हो रही है, वो ही सीजेआई साहब कह रहे हैं हम सुनवाई शुरू करेंगे, पर कब करेंगे भगवान जाने. इतने बड़े-बड़े इश्यू देश के अंदर हुए हैं कि कोई सोच नहीं सकता, अगर मीडिया वाले सोचते हैं बेचारे, पर उनके ऊपर दबाव है, वो ही बात लागू होती है लेखकों के ऊपर, साहित्यकारों पर, पत्रकारों पर, जेल में जाना पड़ता है कि ये देशद्रोही लोग हैं, तो क्या हो रहा है देश के अंदर? ये कोई मैं ये कोई राजनीतिक बात नहीं कर रहा हूं, हमारी लड़ाई क्या है उनसे, हमारी कोई दुश्मनी है क्या? सत्ता तो बदलती रहती है, हमारा मानना है कि विचारधारा की लड़ाई आज है, अगर विचारधारा संविधान के अनुरूप है, उसको नहीं बचाया गया देश के अंदर, तो देश को भुगतना पड़ेगा, ये मेरा मानना है.

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