Politalks.News/Deoband. देश भर में इन दिनों मंदिर मस्जिद को लेकर सियासत गर्म है. वहींK ज्ञानवापी, मथुरा और कुतुबमीनार मसले पर चर्चा करने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने 28 से 29 मई को देवबंद में एक बैठक बुलाई है. इस्लामी शिक्षा के बड़े केंद्र देवबंद में शनिवार को हो रहे इजलास में पूरे देश से करीब 5 हजार मुस्लिम धर्मगुरु जुटे हैं. इस दौरान जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी अपने सम्बोधन के दौरान भावुक हो गए. मदनी ने अपने संबोधन में देश के मुसलामानों को एकजुट रहने की अपील की साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘वो चाहते क्या हैं? ये समझना जरुरी है. मैं बार बार कह रहा हूं… जो नफरत के पुजारी हैं, आज वो ज्यादा नजर आ रहे हैं. हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन ईमान से समझौता बर्दाश्त नहीं.’
उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में मुस्लिमों के सम्मेलन जमीयत उलेमा-ए-हिंद का आयोजन किया जा रहा है. जमीयत उलमा-ए-हिंद के इजलास में बिहार, तेलंगाना, तमिलनाडु, मणिपुर समेत 25 राज्यों से धर्मगुरु पहुंचे हैं. इसको तीन सेशन में बांटा गया है. पहले सेशन की शुरुआत 28 मई सुबह 8:45 से हो चुकी है जो कि दोपहर 1:00 बजे पूरा हो गया है. वहीं दूसरा सेशन शाम 7:30 बजे से 9:30 बजे रात तक चलेगा. इसी तरह जलसे का तीसरा सेशन 29 मई की सुबह 8:45 बजे से शुरू होकर दोपहर 1:00 बजे संपन्न होगा. शनिवार को इजलास के शुरू हुए पहले सेशन को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, ‘देश भर में सिर्फ मंदिर मस्जिद चल रहा है. आज हम यहाँ इक्क्ठे हुए हैं चर्चा के बाद मस्जिदों पर जमात कल अपना फैसला लेगी की क्या करना है और क्या नहीं.’
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अपने संबोधन के दौरान मदनी ने दो टूक शब्दों में कहा कि, ‘चर्चा के बाद कल जमात जो भी फैसला लेगी वो सभी को मंजूर होना चाहिए और उस फैसले से कोई भी पीछे नहीं हटेगा. हमारा जिगर जानता है कि हमारी क्या मुश्किलें हैं. हां, मुश्किल झेलने के लिए ताकत–हौसला चाहिए. हम जुल्म को बर्दाश्त कर लेंगे, दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे.’ मदनी ने आगे कहा कि, ‘वो चाहते क्या हैं? समझ लीजिए, मैं बार बार कह रहा हूं… जो नफरत के पुजारी हैं और आज वो ज्यादा नजर आ रहे हैं. अगर हमने उन्हीं के लहजे में जवाब देना शुरू किया तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे. हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन ईमान से समझौता बर्दाश्त नहीं कर सकते. वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं लेकिन देश के मुसलमान को पैदल चलना तक दुश्वार कर दिया है. वो मुल्क के साथ दुश्मनी कर रहे हैं.’
वहीं ज्ञानवापी मुद्दे के सवाल पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेशनल सेक्रेटरी मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा, ‘हर शासकों ने गलतियां की हैं, जिसे हम भुगत रहे हैं. इन्हें सुधारने के लिए एक साथ बैठकर हल निकालना होगा. इससे बड़ा तो हमारा दिल है जहां पर भगवान और अल्लाह विराजमान हैं. हम अपने दिलों को बांट देंगे तो इन मंदिरों-मस्जिदों का क्या होगा. अगर हमारे दिल सही रहेंगे तो हमारा मकसद धार्मिक रहेगा. ऐसा कोई विवाद न हो जिससे हमारे रिश्ते टूटें क्योंकि उसके बाद फिर चाहे ये मंदिर और मस्जिद टूटे या बने इससे फर्क नहीं पड़ेगा. आज हमारा देश धार्मिक बैर भाव और नफरत में जल रहा है और देश के युवाओं को इस ओर आगे बढ़ाया जा रहा है. इस्लामी सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ निराधार आरोपों को फैलाया जा रहा है और सत्ता में बैठे लोग उनका हौसला बढ़ा रहे हैं.’
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फारूकी ने आगे कहा कि, ‘मुस्लिमों से अपील है कि प्रतिक्रियावादी रवैया अपनाने के बजाय एकजुट होकर राजनीतिक स्तर पर चरमपंथी फासीवादी ताकतों का मुकाबला करें. राजनीतिक वर्चस्व के लिए बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्तेजित करना, देश के साथ दुश्मनी है. फासीवादी संगठन अगर यह समझते हैं कि देश के मुसलमान जुल्म की जंजीरों में जकड़ लिए जाएंगे, तो यह उनकी भूल है. देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में है, जो सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं क्योंकि उनको तो बस सत्ता प्यारी है.’
आपको बता दें कि ज्ञानवापी, मथुरा और कुतुबमीनार मसले पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है. जमीयत ने यह स्पष्ट किया है कि इस आयोजन का ऐलान एकाएक नहीं हुआ. 15 मार्च को दिल्ली में हुई बैठक में ही देवबंद के इस कार्यक्रम को तय कर दिया गया था. उस वक्त ज्ञानवापी और मथुरा जैसे मुद्दे शुरू भी नहीं हुए थे.जमीयत उलमा-ए-हिंद के इजलास में UP से मौलाना मोहम्मद मदनी, तेलंगाना से हाजी हसन, मणिपुर से मौलाना मोहमद सईद, केरल से जकरिया, तमिलनाडु से मौलाना मसूद, महाराष्ट्र से आए मौलाना नदीम सिद्दीकी, बिहार से मुफ्ती जावेद, गुजरात से निसार अहमद, राजस्थान से मौलाना अब्दुल वाहिद खत्री, असम से हाजी बसीर, त्रिपुरा से अब्दुल मोमिन पहुंचे हैं.