गुजरात: पहले चरण के लिए मतदान हुआ शुरू, गढ़वी, रीवाबा और इटालिया का भविष्य EVM में होगा कैद

गुजरात में पहले चरण की 89 विधानसभा सीटों पर 788 उम्मीदवार मैदान में, 718 पुरुष और 70 महिलाओं के भविष्य का फैसला होगा EVM में कैद, कांग्रेस-बीजेपी के बीच पुराना प्रदर्शन दोहराने की जद्दोजहद तो पहले चरण में आम आदमी पार्टी ने मुकाबला बनाया त्रिकोणीय

मतदान हुआ शुरू
मतदान हुआ शुरू

Gujarat Assembly Election. गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण की 89 विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू हो चूका है. सुबह 8 बजे शुरू हुआ मतदान शाम 5 बजे तक जारी रहेगा. इसमें सौराष्ट्र की 48, कच्छ की 6 और दक्षिण गुजरात की 35 सीटें शामिल हैं. पहले चरण के मतदान 89 सीटों पर 788 उम्मीदवारों की किस्मत आज ईवीएम में कैद हो जाएगी. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी जहां इतिहास दोहराते हुए जीत का परचम लहराने के लिए आतुर है तो वहीं कांग्रेस पिछली बार के अपने प्रदर्शन को और भी ज्यादा बेहतर बनाते हुए जीत की आस लगाए बैठी है. तो वहीं दिल्ली के बाद पंजाब में चुनावी जीत का परचम लहराने के बाद गुजरात में अपनी सियासी जमीन मजबूत करती आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सियासी दलों की नींदे उदा दी हैं. कांग्रेस और बीजेपी ने जहां सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं तो वहीं आप ने 182 सीटों के लिए 181 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. ऐसे में अब ये देखना अहम है कि बीजेपी और कांग्रेस क्या अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा पाती हैं?

पहले चरण की 89 सीटों में वैसे तो कई वीआईपी सीटें शामिल हैं, जहां से वर्तमान सरकार के मंत्री और बड़े नेता मैदान में हैं, लेकिन इसके कुटियाणा, भावनगर, पोरबंदर, वराछा रोड, गोंडल, कतारगाम, राजकोट पूर्व, खंभालिया, मोरबी और वसंदा सीटों को अहम माना जा रहा है. 89 विधासनभा सीटों पर 788 उम्मीदवार हैं जिनमें से 718 पुरुष और 70 महिलाएं हैं. पहले चरण के लिए जहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने 89 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं तो वहीं आम आदमी पार्टी की तरफ से 88 उम्मीदवार मैदान में हैं. वहीं बात करें अन्य दलों कि तो पहले चरण के तहत मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी ने पहले चरण के चुनाव में 57, भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 14, समाजवादी पार्टी ने 12, सीपीआई (मार्क्सवादी) ने 4 और सीपीआई ने दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. इनके अलावा 339 उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

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गुजरात के पहले चरण में 19 जिलों की 89 विधानसभा सीटों पर मतदान के लिए 25393 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं. पहले चरण के लिए कुल मतदाता 2,39,56,817 हैं, जिसमें 1,24,22,518 पुरुष और 1,15,33,797 महिलाएं हैं. इसके अलावा 503 मतदाता थर्ड जेंडर के भी है. यही मतदाता गुरुवार को 788 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. पहले चरण के चुनाव के तहत आप के मुख्यमंत्री उम्मीदवार इसुदान गढ़वी भी शामिल हैं. गढ़वी देवभूमि द्वारिका जिले की खांबलिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. गुजरात के पूर्व मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी, 6 बार के विधायक कुंवरजी बावलिया, मोरबी कांड के हीरो कांतिलाल अमृतिया, क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा और आप के गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया भी पहले चरण में चुनाव लड़ेंगे.
सियासी गणित
गुजरात में सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके में ही बीजेपी पर कांग्रेस भारी पड़ी थी जबकि दक्षिण गुजरात में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. पहले चरण की जिन 89 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, 2017 के चुनावी नतीजे को देखें तो बीजेपी ने 48 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस को 39, बीटीपी को 2 और एनसीपी को एक सीट मिली थी. इस तरह से बीजेपी और कांग्रेस दोनो ही दलों के लिए अपनी-अपनी सीटें बचाए रखनी चुनौती है जबकि आम आदमी पार्टी को खोने के लिए कुछ नहीं है. पिछले चुनाव में बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन सौराष्ट्र के इलाके में रहा था. पहले चरण की 19 जिलों में से बीजेपी 7 जिलों में खाता नहीं खोल सकी थी.अमरेली में कुल पांच, गिर सोमनाथ में चार, अरावली और मोरबी में तीन-तीन, नर्मदा और तापी में दो-दो और डांग्स में एक सीट है. न सभी जगह कांग्रेस को जीत मिली थी. सुरेंद्रनगर, जूनागढ़ और जामनगर में कांग्रेस ने बीजेपी से ज्यादा सीटें जीती थी. सुरेंद्रनगर जिले की पांच में से चार, जूनागढ़ जिले की पांच से चार और जामनगर जिले की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस जीती थी.

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पहले चरण में पोरबंदर एकलौता जिला था, जहां पर कांग्रेस का खाता नहीं खुला था. बीजेपी यहां की दोनों ही सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कच्छ, राजकोट, भावनगर, भरूच, सूरत, नवसारी और बलसाड़ में बीजेपी ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. सूरत की 16 में से बीजेपी 15 सीटें जीती थी और कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी. बीजेपी की सत्ता में वापसी में सूरत का सबसे अहम योगदान रहा था. कांग्रेस इस इलाके में अगर अच्छा प्रदर्शन किए रहती तो गुजरात में सत्ता का वनवास खत्म हो गया होता.

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