हरियाणा में विधानसभा चुनाव का चुनावी दंगल चल रहा है. चुनाव के समय उम्मीदवार जनता में अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए नए नए पैतरें अपनाते हैं. ऐसा ही कुछ तरीका अपनाया है जुलाना विधानसभा सीट पर इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार सुरेंद्र लाठर ने, जो अपने वादा-ए-विकास वाले एफिडेविट से खासे सुर्खियों में हैं. सुर्खियों में होने की वजह उनका वायरल शपथ पत्र है, जिसमें उन्होंने 100 रुपए के स्टांप पेपर पर जुलाना क्षेत्र की जनता से 4 वादे किए हैं. हलफनामे में उन्होंने यह भी वचन दिया है कि अगर वे इन वादों को पूरा नहीं कर पाए तो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. जुलाना विधानसभा सीट पर उनका सुरेंद्र लाठर का सीधा मुकाबला पूर्व पहलवान विनेश फोगाट से है.
यह भी पढ़ें: हरियाणा में इस बार ‘नो मोदी की डबल इंजन सरकार’! चौंकाने वाले आ सकते हैं नतीजे
सुरेंद्र लाठर लंबे समय से यहां समाजसेवा से जुड़े हैं. 11 साल पहले कमिश्नर के पद से वीआरएस लेने के बाद वह राजनीति में आए थे. उनके परिवार का यहां अच्छा प्रभाव है. सामाजिक सरोकार भी अच्छा बताया जाता है. हरियाणा चुनाव से ठीक पहले डॉ. सुरेंद्र सिंह लाठर ने टिकट न मिलता देख बीजेपी को छोड़कर इनेलो में शामिल हुए थे. इसके तुरंत बाद ही इनेलो ने जुलाना विधानसभा से उन्हें पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था. अपने शपथ पत्र में सुरेंद्र लाठर ने कहा कि अगर वे विधायक बने तो….
- सबसे पहले 25 हजार युवाओं को नौकरी दिलाने का काम करूंगा.
- जुलाना हलके के हर गांव में पीने के पानी की बड़ी समस्या है, विधायक बनते ही वे प्राथमिकता के आधार पर पीने के पानी की इस समस्या का समाधान करेंगे.
- जुलाना में भव्य किसान-मजदूर भवन का निर्माण कराया जाएगा.
- हरियाणा के बजट में जुलाना का हिस्सा 11 हजार करोड़ रुपये, वहां की जनता से पूछकर और जहां वे कहेंगे, वहां हर बूथ पर 55 करोड़ रुपये खर्च करूंगा.
शपथपत्र में सुरेंद्र लाठर ने यह भी कहा है कि अगर वह इन चारों वादों को पूरा नहीं कर पाए तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक किसी भी प्रत्याशी ने ऐसा शपथपत्र नहीं दिया है. प्रचार के दौरान भी लाठर लोगों को अपने शपथपत्र की कॉपी देकर वोट मांग रहे हैं.
इनोलो का रहा है दबदबा
जुलाना विधानसभा क्षेत्र में हमेशा से इनेलो का दबदबा रहा है. यह इनेला का गढ़ रहा है. 2009 और 2014 में इनेलो के परमेंद्र सिंह ढुल ने यहां जीत दर्ज की थी. 2019 में जजपा के अमरजीत ढांका ने यह सीट अपने नाम कर ली. ढांका इस बार भी मैदान में हैं. वहीं इनेलो-बसपा प्रत्याशी डॉ. सुरेंद्र लाठर का 12 गांवों में अच्छा प्रभाव है. इन गांवों में लाठर गोत्र के मतदाता हैं. ऐसे में सुरेंद्र लाठर को यहां से बड़ी बढ़त मिलते दिख रही है.
यह भी पढ़ें: बजरंग-विनेश फोगाट पर सियासी दांव क्या बढ़ा पाएगा हरियाणा में कांग्रेस का भाव?
जुलाना सीट जाट लैंड के आती है. सबसे ज्यादा जाट मतदाता होने के चलते यहां के लोगों की पहली पसंद जाट प्रत्याशी है. यही वजह है कि इस सीट पर 5 में से चार प्रत्याशी जाट समुदाय से आते हैं. कांग्रेस की ओर से विनेश फोगाट, बीजेपी की ओर से कैप्टन योगेश बैरागी, आम आदमी पार्टी की ओर से कविता दलाल, जजपा-आसपा गठबंधन की ओर से अमरजीत ढांका और इनोलो-बसपा गठबंधन की तरफ से डॉ.सुरेंद्र लाठर मैदान में है. बीजेपी प्रत्याशी को छोड़ सभी जाट समुदाय से आते हैं. ऐसे में जाट बाहुल्य वोटर वाले क्षेत्रों में वोटों का बिखराव तय है.
बीजेपी-कांग्रेस जीत को तरसे
यहां ओबीसी समुदाय के 29 हजार और ब्राह्मण समुदाय के 21 हजार मतदाता हैं. इन सभी का झुकाव बीजेपी की ओर है. हालांकि भाजपा इस सीट पर कभी अपना खाता नहीं खोल पाई है. कांग्रेस भी यहां 15 साल से सूखे का सामना कर रही है. 2000 और 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद लगातार तीन चुनावों में यह सीट इनेलो और जेजेपी के पास रही.
इस विधानसभा चुनाव में स्थानीय कांग्रेस नेता परमेंद्र ढुल, धर्मेंद्र ढुल और रोहित दलाल टिकट के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने चर्चित नाम विनेश फोगाट पर दांव लगाया. यहां विनेश पर भितरघात और राजनीतिक अनुभव न होने का खतरा मंडरा रहा है.
जुलाना में है कांटे की टक्कर
2019 में चौटाला परिवार में फूट के बाद वोटर्स ने इनेलो का साथ छोड़कर जजपा की तरफ रुख किया. हालांकि जजपा के बीजेपी से गठबंधन और किसान आंदोलन में चुप रहने के चलते लोग जजपा से नाराज हैं. ऐसे में सभी प्रत्याशियों में जीत की संभावनाएं प्रबल हैं. मुकाबला कांटे का है. विनेश पर सबसे भारी दांव खेला गया है और एक चर्चित नाम होने की वजह से जीत पक्की मानी जा रही है लेकिन WWE रेसलर एवं आम आदमी पार्टी की कविता दलाल भी राह में रोडे अटका रही हैं. अब देखना ये होगा कि अपने ऐफिडेविट से लाठर जुलाना की जनता में विश्वास जगा पाते हैं या फिर विनेश बनाम कविता में से किसका पंच पहली जीत का दरवाजा खोल पाता है.