पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में गहलोत सरकार का एक साल (One Year of Gehlot Government) पूरा होने पर जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रेसवार्ता कर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई और एक साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताया वहीं भारतीय जनता पार्टी ने कहा गहलोत सरकार के एक साल में राजस्थान बदहाल हुआ है, सरकार ने किसानों और बेरोजगारों के साथ विश्वासघात किया है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि कैसा सरकार का एक साल का उत्सव, प्रदेश में सरकार है ही कहां?
प्रदेश में गहलोत सरकार का एक वर्ष (One Year of Gehlot Government) पूरा होने पर पूर्व सीएम राजे ने कहा है कि राजस्थान में सरकार है ही कहां, अगर सरकार होती तो प्रदेश में कानून व्यवस्था का राज होता और हमारी बच्चियां सुरक्षित होती. महिला सशक्तीकरण की पर्याय भामाशाह योजना बंद नहीं होती. महिलाओं के हाथ में स्मार्टफोन उपलब्ध कराने वाली भामाशाह डिजिटल योजना खत्म नहीं होती. गरीबों की जीवन रेखा भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना पर ताले नहीं लगते. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में सरकार होती तो प्रधानमंत्री मोदी की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ प्रदेश के सभी किसानो को मिल गया होता और चुनाव के समय किए गए वादे के अनुसार सभी किसानो का सम्पूर्ण कर्जा माफ हो गया होता.
वहीं प्रदेश भाजपा ने सोमवार को सरकार (One Year of Gehlot Government) की जनविरोधी नीतियों, जनता से किये गये वादे पूरे नहीं करने व बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था के खिलाफ प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों सहित राजधानी जयपुर के गांधी सर्किल पर बैठकर सांकेतिक उपवास किया. जयपुर के गांधी सर्किल पर हुए धरने में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, मालवीय नगर विधायक कालीचरण सर्राफ, सांगानेर विधायक अशोक लाहौटी सहित प्रमुख नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे. वहीं सभी जिला मुख्यालयों पर प्रमुख नेता, पदाधिकारी, सांसद, विधायक व कार्यकर्ता उपवास पर बैठे.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस मौके पर कहा कि गहलोत सरकार एक साल (One Year of Gehlot Government) पूरा होने पर जश्न की तैयारियां कर रही है और एक साल को बेमिसाल बता रही है, वहीं हम कहते हैं कि इस एक साल में राजस्थान बदहाल हुआ है. गहलोत सरकार ने सरकार बनाते समय किसानों और बेरोजगारों से जो वादे किए थे वो आज तक पूरे नहीं किए. प्रदेश के किसानों और बेरोजगारों से सरकार ने विश्वासघात किया है. पूनियां ने कहा कि गाँधी जी की मूर्ति के सामने प्रदर्शन करने का मकसद ये ही है कि गांधीवादी मुख्यमंत्री है और ये गांधीवादी चेहरे की सरकार है. लेकिन गांधीवादी चेहरे की सरकार में हत्याएं क्यों हुई बलात्कार और डकैतियां क्यों हुईं, इस बात का जवाब हम गांधीवादी सरकार से मांगना चाहते हैं.
सोमवार को बीजेपी द्वारा प्रदेशभर में किये गये सांकेतिक उपवास के बाद मंगलवार को प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और प्रदेशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रवास करने वाले बीजेपी के प्रमुख नेताओं द्वारा कांग्रेस सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया जायेगा. इसके साथ ही प्रदेशभर के सभी पंचायत समिति मुख्यालयों पर भाजपा द्वारा 365 मीटर पैदल मार्च करके सरकार की नाकामियों (One Year of Gehlot Government) को आरोप-पत्र के माध्यम से प्रदेश की जनता को बताया जायेगा.
उधर बीजेपी के द्वारा किये गये सांकेतिक उपवास पर सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि उपवास का मतलब होता है सत्याग्रह करना अगर उनके उपवास में सच्चाई होगी तो प्रदेश की जनता जवाब देगी. बीजेपी में अंदरूनी राजनीति चल रही है. विरोध के नाम पर परफॉर्मेंस का खेल चल रहा है. विपक्ष के नाते एक साल बीजेपी ने कुछ किया नहीं. प्रदेश की जनता बीजेपी के विरोध को अच्छे से जानती है.
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष एवं मीडिया चेयरपर्सन अर्चना शर्मा ने सांकेतिक उपवास को फ्लॉप बताते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा की स्थिति खिसायानी बिल्ली खम्भा नोंचे जैसी हो गयी है. प्रदेश की गहलोत सरकार (One Year of Gehlot Government) जनहित को ध्यान में रखकर जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रही है और अपने वादों को पूरा करने में प्रदेश की सरकार पूरी तत्परता से काम कर रही है. सरकार की कार्यप्रणाली से आमजनता संतुष्ट है और यही वजह है कि भाजपा के धरने में जनसमर्थन ना के बराबर रहा. खुद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने इसमें रूचि नहीं दिखाई इसलिये प्रदेश भाजपा भीड़ जुटाने में पूरी तरह से नाकाम रही है.
आगे अर्चना शर्मा ने कहा कि झूठे आरोप लगाना भाजपा की प्रवृत्ति है और नकारात्मक सोच के साथ प्रदेश में भाजपा काम कर रही है. जो भी आरोप भाजपा के नेता कांग्रेस सरकार के खिलाफ लगा रहे हैं वो सब निराधार है और यह भाजपा का जनता को भ्रमित करने का षडय़ंत्र है. इसके साथ ही अर्चना शर्मा ने मंगलवार को भाजपा के होने वाले पैदल मार्च को नोटंकी कर जनता का ध्यान आर्कर्षित करना बताया.